जन्म से बहरे बच्चों को ईलाज के लिए भेजा जाएगा एम्स, प्रत्येक ब्लॉक में गठित की गयी है टीम…
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मिलेगी सुविधा बच्चों को 38 प्रकार के गंभीर रोगों से बचाने की हो रही कोशिश।गया राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत बच्चों को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की शुरुआत की गयी है।आरबीएसके के तहत अब जिले के जन्म से बहरे बच्चों को बेहतर चिकित्सकीय ईलाज मुहैया कराने के लिए पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में संदर्भित किया जाएगा।जिला आरबीएसके समन्वयक डॉ. उदय ने बताया कि जिले में जन्म से बहरे कुल 7 बच्चों को चिन्हित किया गया है जिसमें 6 लड़के एवं 1 लड़की शामिल है।बेहतर ईलाज के लिए इन्हें 20 जून को पटना के एम्स भेजा जाएगा एवं इसके लिए आरबीएसके टीम द्वारा यथोचित सहयोग भी प्रदान किया जाएगा।उन्होंने बताया कि जिले के प्रत्येक प्रखंड में तीन सदस्यीय टीम बनाए गए हैं एवं आयुष चिकित्सकों को इस टीम की संचालन की जिम्मेदारी दी गयी है।जिले के टीम के द्वारा जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों में होने वाले कुल 38 प्रकार के रोगों को चिन्हित कर उन्हें समुचित ईलाज की सुविधा प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
ईलाज हेतु की गयी व्यवस्था
डॉ. उदय ने बताया कि मई महीने में जन्म से लेकर 18 साल तक के कुल 199 बच्चों में विभिन्न रोगों की पहचान की गयी थी।जिसमें 0 से 6 साल तक के कुल 110 एवं 6 साल से 18 साल तक कुल 89 बच्चे शामिल थे।चिन्हित बच्चों में 172 बच्चों को जिला सदर अस्पताल में संदर्भित कर ईलाज किया गया है।उन्होंने बताया कि इस माह दिमागी रूप से कमजोर 2 बच्चों को चिन्हित किया गया था जिनका ईलाज अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में किया गया है।फोर डी के तहत 38 प्रकार के रोगों के खिलाफ़ मुहिम, आपको बताते चले कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत आरबीएसके टीम द्वारा बच्चों के चार डिफेक्टस (डी) पर कार्य किया जा रहा है।जिसमें जन्म से शारीरिक दोष, कमी, शारीरिक विकृति के कारण देर से विकास एवं रोग शामिल है।इन चार दोषों में कुल 38 रोगों को शामिल किया गया है।जिसमें जन्म से होंठ का फटा होना, पैर का मुड़ा होना, अति कुपोषण, तलवे का कटा होना, दिल की बीमारी, गुर्दे की बीमारी, आँख की बीमारी जैसे रोग शामिल है।ऐसे रोगों के ईलाज में बहुत पैसा खर्च होता है।गरीब परिवार के बच्चे सही समय पर उचित स्वास्थ्य सुविधा के आभाव में अपनी जान गँवा देते है।उन्हें निशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए पहले जिले स्तर पर प्रयास किया जाता है. जिले स्तर पर कुछ जटिल रोगों को नियंत्रित नहीं कर पाने की दशा में ऐसे बच्चों को पटना रेफ़र करने की पूरी व्यवस्था भी की जाती है।
रिपोर्ट-मिथिलेश कुमार