किशनगंज : जिले में खोजी अभियान के तहत की जा रही है टीबी मरीजों की पहचान।

आशा कार्यकर्ता के सहयोग से घर-घर की जा रही है मरीजों की खोज, दिए जा रहे जरूरी चिकित्सा परामर्श।संक्रमित मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत दी जाती है प्रोत्साहन राशि।
बचाव के उपाय :
- एक दो हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। एवं दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें। मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें। पौष्टिक खाना खाएं, व्यायाम व योग करें। बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें। भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
ये हैं टीबी के लक्षण :
- भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना। बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना। हलका बुखार रहना।खांसी एवं खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना। गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि। बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं। पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, देश को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरूरी पहल की जा रही है। वर्ष 2025 तक देश को पूरी तरह टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित है। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने सोमवार को सदर अस्पताल परिसर में जानकारी देते हुए बताया कि वेलनेस सेंटर के माध्यम से 24 मार्च से 13 अप्रैल तक टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत सघन रोगी खोज अभियान का संचालन किया जा रहा है।
जिसके तहत आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर दस्तक देकर टीबी मरीजों की खोज की जा रही है। वहीं लक्षण वाले व्यक्ति को स्थानीय स्वास्थ्य संस्थानों में जाँच कराने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। ताकि बीमारी की शुरुआती दौर में पहचान हो सके और संबंधित मरीज आसानी के साथ बीमारी को मात दे सके। डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि वर्तमान में खोजी अभियान के तहत ना सिर्फ मरीजों की पहचान की जा रही है बल्कि, उन्हें समुचित जाँच और इलाज के लिए प्रेरित कर सरकारी स्वास्थ्य संस्थान भी भेजा जा रहा है। जहाँ मरीजों को जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
ताकि मरीजों को किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हो और सभी सुलभ तरीके से उपलब्ध सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर सकें। वहीं, उन्होंने बताया कि टीबी संक्रमित मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान छः माह तक 500 रुपये प्रत्येक माह आर्थिक सहायता के रूप में प्रोत्साहन राशि भी देने का प्रावधान है, जो मरीजों को बैंक खाता में दिया जाता। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि टीबी अब लाइलाज नहीं है, पर समय पर जाँच और इलाज शुरू कराना जरूरी है। इसलिए, लक्षण दिखते ही संबंधित मरीजों को तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य संस्थानों में जाँच करानी चाहिए और चिकित्सा परामर्श पालन करना चाहिए।
पीएचसी सहित जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में समुचित जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। ताकि लोगों को जाँच कराने में ना ही किसी प्रकार की असुविधा हो और ना ही लंबी दूरी तय करने की परेशानी उठानी पड़े। मसलन, सभी लोग सुविधाजनक तरीके से अपनी जाँच करवा कर आसानी के साथ बीमारी को मात दे सकें। इसके अलावा जाँच में संक्रमित पाए जाने पर भी समुचित इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि जाँच से लेकर इलाज तक की सभी सुविधाएं पूरी तरह निःशुल्क हैं। इतना ही नहीं राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी आदेश के आलोक में हर महीने के 16 तारीख को सभी आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर निक्षय दिवस आयोजित किया जायेगा। इसमें टीबी की स्क्रीनिंग, रेफरल, जांच, उपचार व अन्य सेवाएं नि:शुल्क उपलब्ध करायी जायेगी।
जिला टीबी समन्वयक अविनाश कुमार ने बताया कि फिलहाल टीबी के 805 मरीज इलाजरत हैं। जिन्हें नि:शुल्क दवा व जरूरी चिकित्सकीय सेवा उपलब्ध करायी जा रही है। उन्होंने बताया कि निक्षय मित्र पोषण योजना के तहत अब तक दो मरीजों को गोद लिया गया है। इसे लेकर सक्षम लोगों को प्रेरित व प्रोत्साहित करने का प्रयास निरंतर जारी है।