
– भाजपा को अगर निषादों का वोट चाहिए तो अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी आरक्षण दे: मुकेश सहनी
– निषाद समाज को बरगलाने के लिए निषाद आयोग का ‘झुनझुना’ थमाने की बात कर रही भाजपा: मुकेश सहनी।
– मेरी लड़ाई निषादों के हक और अधिकार दिलाने की है, जिससे पीछे नहीं हटूंगा: मुकेश सहनी
– समाज के अधिकार के लिए संघर्ष करना झोला उठाना नहीं, समाज के प्रति जिम्मेदारी व कर्तव्य का निर्वहन करना है : मुकेश सहनी
अविनास कुमार/ विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने आज भाजपा के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल द्वारा ‘झोला उठाए जाने’ वाला बताए जाने पर चेतावनी देते हुए कहा कि निषाद समाज अब ‘लोडर’ नहीं, लीडर बनने वाले हैं।
उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भाजपा अध्यक्ष अपनी बात वापस लें, नहीं तो उन्हें निषाद को झोला उठाने वाला कहना महंगा पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस शब्द के लिए भाजपा अध्यक्ष को माफी मांगनी चाहिए, यह पूरे निषाद समाज और बिहार का अपमान है।
उन्होंने कहा, “कोई अपने समाज के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहा है तो वह झोला नहीं उठाता, वह अपने समाज के प्रति जिम्मेदारी और कर्तव्य का निर्वाह करता है और यह मैं जीवनभर करूंगा।”
वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने आज पटना में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि निषाद समाज ने वीआईपी पार्टी बना ली है और अपने हक और अधिकार के लिए संघर्ष कर रही है। उन्होंने भाजपा के निषाद आयोग बनाए जाने की घोषणा को झुनझुना बताते हुए कहा कि बिहार में 20 सालों से एनडीए की सरकार है, लेकिन इसकी याद नहीं आई। अब जब दो-चार महीने में इनकी विदाई होने वाली है, तो यह निषाद समाज को बरगलाने के लिए झुनझुना की बात कर रहे हैं।
बिहार के पूर्व मंत्री श्री सहनी ने भाजपा को सलाह देते हुए कहा कि अगर उन्हें निषाद समाज का वोट चाहिए तो अन्य राज्यों की तरह ही बिहार में निषाद समाज के लिए आरक्षण दे दें। उन्होंने कहा कि मेरी लड़ाई निषादों के हक और अधिकार दिलाने की है, जिससे पीछे नहीं हटूंगा।
उन्होंने भाजपा के निषाद महासम्मेलन किए जाने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा इस सम्मेलन के जरिए भीड़ जुटा सकती है, लेकिन उन्हें अब निषादों का वोट नहीं मिल सकता है। निषाद समाज को भाजपा ने शुरू से बरगलाने का काम किया है। आखिर केंद्र में भाजपा की सरकार है, प्रदेश में सरकार है, तो निषाद समाज को आरक्षण क्यों नहीं दे देती है?
उन्होंने कहा कि बिहार के निषाद और अति पिछड़े अब इतने कमजोर नहीं हैं कि वे आपका झंडा उठाएंगे, अब वे अपने अधिकार के लिए संघर्ष करेंगे।