अपराधब्रेकिंग न्यूज़

जेल में भी अब कैदी सुरक्षित नहीं, अनुमंडल उपकारा दाउदनगर में जेल प्रबंधन की मनमानी व रिश्वत खोरी उजागर, जिला पदाधिकारी ने दिया जाँच का आदेश।

मुँह माँगी रिश्वत व रंगदारी नही देने पर सजायफ्ता कैदी व पुलिस मिलकर अन्य कैदियों को बेहरहमी से करते है पिटाई।

जेल प्रबंधन के कुब्यवस्था व मनमानी का विरोध करने वाले तथा मुँह मांगी रंगदारी / रिश्वत नहीं देने वाले को दिया जाता है जेल में सेल की सजा, नाबालिक बच्चे भी नहीं है अछूते, विश्व सूत्र।

अनिल कुमार मिश्र :- बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले का उपकारा दाउदनगर में सजायफ्ता कैदी जेल के अंदर कैंटीन भी चलाते हैं और मुहमांगी रिश्वत / रंगदारी नही देने वाले कैदियों को जेल के सिपाही एवं सजायफ्ता कैदियों द्वारा पिटाई भी किया जाता है तथा जेल के अन्दर सेल की सजा भी दिया जाता है । सजायफ्ता कैदियों व चंद सिपाहियों के क्रुरता से नबालिक बच्चे भी जेल के अंदर अछूते नहीं हैं। सजायफ्ता कैदी एवं चंद सिपाहियों के दरिंदगी एवं जुल्म को देखकर जेल के अंदर लोगों के रूह भी कांप जाते हैं और इनके दरिंदगी से जेल की कैदी त्रस्त है।
यूं कहा जाये कि उपकारा दाउदनगर में कारा अधीक्षक की मिली भगत से कैदियों के साथ जूल्म ढ़ाहे जाते है और कैदियों के बीच आतंक की महौल कायम कर सरेआम जेल मैनुअल का उल्लंघन किया जाता है तथा कैदियों के घटिया से घटिया स्तर की भोजन दिए जाते हैं जो कैदी जेल के कुब्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठाते है उन्हें जेल के अंदर सेल की सजा दिया जाता है।

उपकारा दाउदनगर के सजायफ्ता कैदी व जेल के सिपाही ने जेल से रिहाई के पहले लाठी से कैदी विकास राज केपुरे बदन को फाड़ डाला फिर हुआ जेल से रिहाई।

तथ्य चाहे जो भी हो सजायफ्ता कैदी और जेल की सिपाही द्वारा जेल से रिहाई के पहले कैदी को बेरहमी से पिटाई, जेल के अंदर कैदियों के साथ तांड़व की घटना को प्रलक्षित करता है जो संज्ञेय अपराध है। अब देखना है कि उपकारा दाउदनगर के अंदर जाति अधारित आतंक को जिलाधिकारी समाप्त करा सकते है या रंगदारी के लिए जेल के अंदर आतंक का खेल / घटनाओं की पुनरावृत्ति जेल अधीक्षक के मिली भगत एवं इनके इशारे पर जारी रहेंगे।
पीड़ित परिवार ने औरंगाबाद जिले के सभी वरीय पदाधिकारियों, जिला जज सहित तमाम सरकारी जाँच संस्थान को आवेदन देकर मामले का संज्ञान लेने तथा पीड़ित को न्याय दिलाने का आग्रह किया है।।

उपकारा दाउदनगर के अंदर सजायफ्ता कैदी और जेल के सिपाही का दरिन्दगी को जिस तरह मीडिया ने संज्ञान में लिया है वह काबिले तारीफ है, जिले के मीड़िया इसी तरह अपराधी व पुलिस गठजोड़ के तहत जिले में आम आवाम के साथ घटित घटनाओं का संज्ञान ले और सरकार व जिला प्रशासन के समक्ष सच्चाई को लायें तो चंद दिनों में औरंगाबाद जिले भी जातिय आधारित वर्चस्व की दरिन्दगी से औरंगाबाद जिला के जनता मुक्त होगे और सरकार व जिला प्रशासन भी पुलिस- अपराधी -बिचौलिया गठ जोड़ के तहत घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए बाध्य होंगे।

सूत्र बताते है की मीड़िया के सुर्खियों में उपकारा दाउदनगर आते ही जिला पदाधिकारी औरंगाबाद ने उपकारा दाउदनगर में कैदी के साथ घटना को संज्ञान में लिया और जाँच का आदेश भी दे दिया है। जिलाधिकारी द्वारा उठाये गये कदम को जहां चारो तरफ से तारीफ हो रहे है। वहीं प्रबुद्धजनों ने जाँच आदेश की प्रकिया को संदेह के कटघरे में खड़ा कर दिया है। न्यायविद व प्रबुद्धजनों की बातों और वर्तमान हालत पर नजर डाला जाये तो सरकारी बाबू के विरुद्ध जाँच का आदेश महज औपचारिकता और लोगों के बीच उत्पन्न गुस्सा को शांत करने की कार्रवाई का प्रक्रिया है जिसके वजह से अधीकांश थानेदार और जेल की प्रबंधन ब्यवस्था और सरकारी बाबू सर चढ़कर बोल रहे है और खुलेआम अनैतिक रूप से दौलत अर्जित करने के लिए बेगुनाहों पर भी जूल्म की कहर ढ़ाहते आ रहे है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button