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किशनगंज : जिले के कोचाधामन, दिघलबैंक, पोठिया एवं बहादुरगंज CHC को लक्ष्य कार्यक्रम के तहत जोड़ने की कवायद शुरू, अस्पताल का पहला लक्ष्य मरीजो को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना।

लक्ष्य योजना को लेकर उत्तम प्रबंधन ज़्यादा जरूरी, प्रसव कक्ष व मेटरनिटी ओटी के लिए प्रमाणीकरण की व्यवस्था।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के उद्देश्य से लक्ष्य कार्यक्रम के तहत प्रमाणीकरण के लिए कोचाधामन, दिघलबैंक, पोठिया एवं बहादुरगंज प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का जल्द ही लक्ष्य योजना के तहत निरीक्षण किया जाएगा। जिसके लिए विगत छः महीने से तैयारी चल रही हैं। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग लगातार तैयारी करने में लगी हुई है। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने गुरुवार जानकारी देते हुए बताया कि ज़िले के सदर अस्पताल को लक्ष्य योजना के तहत राज्यस्तरीय प्रमाणीकरण किया जा चुका है। तथा जल्द ही राष्टीय स्तर का भीं प्रमाणीकरण प्राप्त होने की सम्भावना है। वही जिले के 04 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को लक्ष्य कार्यक्रम से जोड़ने की कवायद शुरू कर दी गई है। इन सभी अस्पताल में सफ़ाई, शुद्ध पेयजल, शौचालय, जच्चा एवं बच्चा, कागज़ात, संस्थागत प्रसव को लेकर कई तरह के आवश्यक दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं। जिसके लिए क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल होदा की ओर से दो सदस्यीय टीम के द्वारा लगातार कई महीनों से जीएनएम एवं एएनएम को प्रशिक्षित करने का काम किया जा रहा है। अस्पताल में प्रसव से जुड़ी हुई सेवाओं को पहले की अपेक्षा और बेहतर करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है।

बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराना अस्पताल का पहला लक्ष्य :-सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर दिए गए दिशा-निर्देश के अलोक में स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं कर्मी संस्थागत व सुरक्षित प्रसव को लेकर पूरी तरह से सजग हैं। प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह की सुख सुविधाओं को सुदृढ़ बनाना और इससे जुड़ी हुई सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना है। जिससे मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, प्रसव के बाद जच्चा बच्चा को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिहाज से लक्ष्य प्रमाणीकरण बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा लक्ष्य कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है। इसके तहत प्रसव कक्ष, मैटरनिटी सेंटर, ऑपरेशन थियेटर व प्रसूता के लिए बनाये गए एसएनसीयू की गुणवत्ता में सुधार लाना है।

लक्ष्य योजना को लेकर उत्तम प्रबंधन ज़्यादा जरूरी :

दिघलबैंक प्रखंड के प्रभारी चिकित्षा पदाधिकारी टी एन रजक बताते है की ज़िला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित दिघलबैंक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए उपलब्ध संसाधनों की बदौलत ही प्रसव कराया जाता है लेकिन लक्ष्य प्रमाणीकरण के बाद अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण होने के बाद जटिल समस्याओं का समाधान यहीं पर होने लगेगा। जिससे स्थानीय ग्रामीणों को परेशानियों से निजात मिलनी शुरू हो जाएगी। प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह के आवश्यक फाइलों को सुधारा जा रहा है। जीएनएम एवं एएनएम सहित अस्पताल के कर्मियों से लक्ष्य प्रमाणीकरण से संबंधित सभी तरह के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत रूप से चर्चा की जा रही है। लेबर रूम से संबंधित फाइलों की अद्यतन जानकारी देने के साथ ही जीएनएम एवं एएनएम को बेहतर कार्य करने की जिम्मेदारी भी दी जा रही है। सभी कार्यरत जीएनएम को सख़्त निर्देश देते हुए कहा गया कि मग्सल्फ़, कैल्सियम ग्लूकोनेट, डेक्सामेथासोन, एम्पीसिलिन, जेन्टामाइसीन, मेट्रोनिदाजोल, हाइड्रोकोरटीसोन सक्सीनेट, नेफीदेपिन, मिथाइलडोपा जैसी दवाओं की आपूर्ति ससमय होनी चाहिए। ताकि किसी भी परिस्थितियों से निबटने के कोई परेशानी नहीं हो।

प्रसव कक्ष व मैटरनिटी ओटी के लिए प्रमाणीकरण की व्यवस्था :

क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमुल होदा ने लक्ष्य योजना के संबंध में बताया कि लक्ष्य योजना के तहत भारत सरकार द्वारा प्रसव कक्ष व मैटरनिटी ओटी के लिए प्रमाणीकरण की व्यवस्था की गयी है। जो मानक स्तर पर प्रसव से संबंधित सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद ही दी जाती है। हालांकि इसकी व्यवस्था तीन स्तरों पर की गई है। पहला अस्पताल स्तर पर क्वालिटी सर्किल टीम, दूसरा जिला स्तर पर जिला गुणवत्ता यकीन समिति, प्रमंडलीय स्तर पर रिजनल कोचिंग टीम के स्तर से निरीक्षण के बाद ही निर्धारित मानकों के आधार पर कम से कम 70 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त होने के बाद इसे राज्य स्तर पर मान्यता लेने के लिए भेजा जाता है। इसके साथ ही राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा गठित टीम के द्वारा प्रसव कक्ष और ओटी के निरीक्षण के बाद ऑडिट की जाती है। मुख्यालय के टीम द्वारा विभिन्न मानकों के निरीक्षण में कम से कम 70 प्रतिशत अंक प्राप्त होने चाहिए तभी राज्यस्तरीय टीम के द्वारा उसे प्रमाण पत्र दिया जाता है। राज्यस्तरीय प्रमाण पत्र के बाद इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के पास भेजा जाता है। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर की टीम अस्पताल का निरीक्षण व ऑडिट करती है। कम से कम 70 प्रतिशत अंक मिलने पर ही लक्ष्य प्रमाणीकरण प्राप्त होता है।

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