किशनगंज : “माहवारी सामान्य प्रक्रिया है, इसे लेकर शर्म नहीं, समझ जरूरी है” – जिलाधिकारी विशाल राज
विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर किशनगंज में आयोजित हुआ जागरूकता कार्यक्रम, छात्राओं ने दिखाई उत्साहपूर्ण भागीदारी

किशनगंज,28 मई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, माहवारी को लेकर समाज में व्याप्त संकोच और भ्रांतियों को दूर करने के उद्देश्य से विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस 2025 के अवसर पर किशनगंज जिला प्रशासन ने एक प्रेरणादायक और जागरूकता से भरपूर कार्यक्रम का आयोजन किया।
यह कार्यक्रम “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” योजना के अंतर्गत जिलाधिकारी विशाल राज के निर्देशानुसार महिला एवं बाल विकास निगम किशनगंज द्वारा डॉ. अम्बेडकर आवासीय बालिका विद्यालय, मोतिहारा में संपन्न हुआ।
रेड डॉट चैलेंज और छात्राओं का उत्साह
कार्यक्रम के अंतर्गत “रेड डॉट चैलेंज”, कार्यशालाएं, और संवाद सत्र आयोजित किए गए, जिसमें छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका कुमारी गुड्डी की सहभागिता और उनके विद्यालय की छात्राओं की सक्रिय भागीदारी विशेष रूप से सराहनीय रही।
डॉक्टरी सलाह और आत्मविश्वास की सीख
गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने छात्राओं को माहवारी स्वच्छता, संतुलित आहार, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। उन्होंने छात्राओं के प्रश्नों का उत्तर देकर उन्हें आत्मविश्वास के साथ इस सामान्य प्रक्रिया को समझने और अपनाने की प्रेरणा दी।
जिला परियोजना प्रबंधक मोहम्मद शमीम अंसारी और जिला मिशन समन्वयक मोहम्मद शहबाज़ आलम ने भी छात्राओं से संवाद करते हुए कहा कि, “माहवारी को लेकर झिझक नहीं, समझदारी जरूरी है।”
महिला अधिकार और सुरक्षा सेवाओं की जानकारी
कार्यक्रम में उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता पारोमिता घोष (वन स्टॉप सेंटर) ने छात्राओं को महिला सुरक्षा, अधिकार, और सरकारी सहायता सेवाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “किसी भी परेशानी की स्थिति में छात्राएं 181 हेल्पलाइन या वन स्टॉप सेंटर से सहायता ले सकती हैं।”
सहयोगी संस्थाओं की सहभागिता
कार्यक्रम में जेंडर स्पेशलिस्ट सुशील कुमार झा, अंजू कुमारी दास, पवन कुमार, सुबोध कुमार पासवान, और कोचाधामन प्रखंड कल्याण पदाधिकारी समेत विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं की सक्रिय भागीदारी रही।
जिलाधिकारी का संदेश: “माहवारी पर खुलकर बात करें”
अपने संदेश में जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा:
“हमारा प्रयास है कि किशोरियों को स्वास्थ्य, स्वच्छता और आत्मनिर्भरता से जुड़ी सही जानकारी दी जाए। माहवारी के मुद्दे पर खुलकर बात करना जरूरी है, ताकि कोई भी लड़की इस दौरान असहाय न महसूस करे। यह सिर्फ एक स्वास्थ्य विषय नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और सशक्तिकरण का भी प्रश्न है।”