पटना : अखिल भारतीय डिज़िटल कवि सम्मेलन का आयोजन..
पटना/रणजीत कुमार सिन्हा, चित्रगुप्त सामाजिक संस्थान एवं नई दिशा परिवार, पटना के संयुक्त तत्वावधान में आज अखिल भारतीय डिजिटल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए संयोजक कमलनयन श्रीवास्तव ने कहा कि अभी पूरा विश्व कॅरोना के संकट काल से एवं भारत लॉक डाउन के दौर से गुजर रहा है।सब जानते हैं कि हर काल में आपदा, विपत्ति, एवं समृद्धि को देखते हुए कवि-साहित्यकारों ने अपनी लेखनी से देश-समाज को सचेत किया है एवं अपनी रचनाओं के माध्यम से नई दिशा दी है।अभी लॉक डाउन में घर पर रहकर दीवारों के बीच ऐसे रचनाधर्मी किस प्रकार अपनी रचनाधर्मिता को संवार रहे हैं, इसके मद्देनजर ही इस कविता के स्वर, घर पर रहकर के बहाने देश के ख्याति लब्ध रचनाकारों को डिजिटल माध्यम से उनकी रचनाओं का पाठ हुआ जिसमें रचनाकारों की नज़र में देश-दुनिया की फिक्र समाहित रहीं।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चर्चित साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने अपनी कविता ‘कोरोना विपदा बड़ी हम भी हिम्मतवान, हारेगा यह वायरस जीतेगा इंसान’ के माध्यम से कोरोना महामारी से आगे की जीत का संदेश दिया।मुख्य अतिथि संस्कृतिकर्मी एवं समाजसेवी अनिल सुलभ ने अपनी कविता ‘वसुधा के इस महायुद्ध में भारत विजय रहेगा, इसकी गहरी सभ्यता संस्कृति के आगे कौन शत्रु ठहरेगा’ सुनाकर कोरोना संक्रमण पर विजय का उदघोष किया।विशिष्ट अतिथि साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत डॉ० शेफालिका वर्मा ने’ तुम हर वक्त पॉजिटिव सोचो, मन मस्तिष्क में पॉजिटिव भावना ही आए, पॉजिटिव विचार ही आए’ कविता से कोरोना काल में सकारात्मक ऊर्जा की महत्ता को निरूपित किया।विशिष्ट अतिथि कवि घनश्याम ने अपनी कविता ‘बहुत भयानक त्रासदी झेल रहा है देश, आत्म नियंत्रण कीजिए सुचि होगा परिवेश’ सुनाकर वर्तमान परिवेश का चित्रण किया।विशिष्ट अतिथि राजेश बल्लभ जी ने कोरोना केंद्रित विचार व्यक्त किया। कवि मधुरेश शरण ने ‘सूरज को दीपक दिखाने की जुर्रत, जुगनू दुस्साहस किए जा रहे हैं’, सुनाई।डॉ० पंकज कर्ण ने’ अपनी जमीन से खुद ही उजडने लगे हैं लोग पत्तों की तरह आज बिखरने लगे हैं लोग’, समीर परिमल ने’ क्या मुझे ऐ यार होता जा रहा है, दिल मेरा खुद्दार होता जा रहा है’ नसीम अख्तर ने’ जब दूर अंधेरा होता है तब जाके सवेरा होता है, हम दिल को जलाते रहते हैं जब घर में अंधेरा होता है’, पीयूष कांति ने जिस को नहीं मालूम है जज्बात का मतलब, समझा रहा है वह हमें हर बात का मतलब’, मयंक राजेश ने ‘हां ! सियासत की वजह से नफरतों का दौर है, प्यार के रिश्ते दरकने लगे हैं आजकल’, डॉ० आरती कुमारी ने’खार से भी उलझती रही जिंदगी, फूल से भी महकती रही जिंदगी’ एवं सुश्री आस्था दीपाली ने’ प्रतिकूल समय आया है, संयम से साथ निभाना है’ एवं आराधना प्रसाद तथा मनीषा सहाय ने भी अपनी कविताओं के माध्यम से दो-चार कराया।देश-विदेश के कई काव्य प्रेमी ज़ूम एप पर इस कवि सम्मेलन का आनंद लिए।संचालन राजेश राज एवं आभार ज्ञापन रविन्द्र कुमार ने किया।