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पटना : मातृ भूमि के लिए वीरता, शौर्य, स्वाभिमान, और पराक्रम के महाराणा प्रताप की जन्मदिवस पर शत शत नमन..

पटना/रीता सिंह, महाराणा प्रताप एक योद्धा ही नही थे, बल्कि ऐतिहासिक महापुरुष थे।उन्होंने अपने जीवन काल मे राजपूती धर्म और क्षत्रिय धर्म का पालन किये।घास की रोटी खाना पसंद किए।लेकिन मुगलो के आगे सर नही झुकायें परम्परा का निर्वाह करते हुए बाबू कुँवर सिंह की गाथा को अपने तरिके से prisithitiyo, में राजपूती गाथा का गुणगान किए।आज के इस पवित्र जन्मतिथि पर ये सावित होता है कि महाराणा प्रताप अपने वीरता के साथ मुगलों को देश से खदेड़ा, उन्होंने उन दिनों कोविड 19 की तरह फैल गया इसे चेतक के साथ भारी युद्ध का सामना करना पड़ा, और अपने विशाल सेना जो बीस हजार से उपर था और मात्र 300 सेना के साथ छोड़ युद्ध हुआ।और मुगलों को परास्त किये उसी परपरा को निर्वाह करते हुए बाबू वीर कुंवर सिंह 1857 में ब्रिटिश सम्राज्य को खदेड़ा, महाराणा प्रताप की जन्म तिथि पर बाबू वीर कुंवर सिंह अपने आप आ जाते है।इसे सावित होता है कि सूर्य वंश के सिसोदिया, क्षत्रियों महाराणा प्रताप, सूर्य वंश के परमार क्षत्रिय बाबू वीर कुंवर सिंह राजपूत के धरोहर है।विश्व के इतिहास में इनकी जीवन गाथा को ब्रिटेन, रसिया, अमेरिका, स्पेन, चाइना, और सभी विश्वविद्यालयो में सेना के सभी विभागों में गोपनीय से पढ़ाये जाते है।जब हमारे देश मे पठन पाठन नही है, हमारे देश की दुर्भाग्य है दुनिया के सभी मलेट्री, संस्थाओं में महाराणा प्रताप और वीर कुंवर सिंह की गाथा को पढ़ाया जाता है।और आदर के रूप में मानते है प्रथम विश्वयुद्ध काफी सेनाओं के जेब मे से महाराणा प्रताप और बाबू वीर कुँवर सिंह जी के फोटो निकला था।तलवार वाली फ़ोटो उस वक्त विश्व के जितने सेनाओं के जेनरल थे दुनिया के कई में इनकी जीवनिक ट्रांसलेट, किया, और साथ, साथ भोजपुरी और मारवाड़ी, भाषा भी सीखे, और अपने बच्चे को भी सिखाया।उनकी धारणा है कि बच्चे भोजपुरी और मारवाड़ी सीखेंगे तो सेना में अच्छे से सेवा देगे।इसीलिए मोरिसश में भोजपुरी पढ़ाया जाता है, इंग्लैंड में भी पढ़ाया जाता है, ऐसे विश्व के कई देशों में भोजपुरी और मारवाड़ी, गोपनीय तरीके से पढ़ाई जाती है, साथ ही साथ उनका देश सुरक्षित है।महाराणा प्रताप के जन्म तिथि पर क्षत्रिय समाज को गर्व करने की बात है।सभी धर्म जाति को उन्होंने एक समान देखा  आज हमारा राजपूत, रेजिमेंट सेना में महाराणा प्रताप और बाबू वीर कुँवर सिंह के आशिर्वाद से लड़ते है, और दुश्मनों का छाती छेद, कर देते है इसी लिए  9 मई 1540 में महाराणा प्रताप जी का जन्म हुआ।राजपूत में जन्म लेना ही सबकुछ नही होता अपने धर्म के प्रति कर्तव्य निष्ट होना महत्व रखता है, जैसे एक क्षत्रिय की उस दिन नही होती, जिस दिन उनकी सांसे थम जाती है, वल्कि उस दिन हो जाती है, जिस दिन क्षत्रिय चापलूस, चाटुकार, और मक्कारों की झूठी, प्रसंशा से प्रफुलित होकर सत्य और न्याय से मुह मोर लेता है और दूसरे को अपमान करने में अपनी शान समझता है, मातृ भूमि के लिए वीरता, शौर्य, स्वाभिमान, और पराक्रम के महाराणा प्रताप की जन्मदिवस पर उमेश प्रसाद सिंह शत शत नमन।एवं सभी सामुहिक इन्टरनेट वाट्सएप से आपस मे बाते कर महाराणा प्रताप जी की जन्मदिवस इंटरनेट के जरिये मनाई गई।

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