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जम्मू-कश्मीर वॉलीबॉल टीम ने केआईवाईजी में स्वर्ण जीतकर घाटी के लोगों को मुस्कुराने का मौका दिया।…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद। जहाँ एक ओर कश्मीर घाटी अक्सर दुखद घटनाओं की वजह से सुर्खियों में रहती है, वहीं इस बार घाटी के चार नौजवानों ने साहस, दृढ़ता, फोकस के साथ खेलो इंडिया यूथ गेम्स-2025 बिहार में स्वर्ण पदक जीतकर घाटी के लोगों को मुस्कुराने का मौका दिया।

बिहार में आयोजित किए जा रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में जम्मू-कश्मीर की लड़कों की वॉलीबॉल टीम ने उत्तर प्रदेश को कड़े मुकाबले में 3-1 से हराकर राज्य के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। स्कोरलाइन — 35-33, 19-25, 25-17, 25-21 था और यह मुकाबले की रोमांचक कहानी खुद बयां करता है, लेकिन असली कहानी उन खिलाड़ियों के दिलों में थी, जिन्होंने यह कारनामा कर दिखाया।

वानी महिर (श्रीनगर), साहिल शमिम (अनंतनाग), आबिद गुलजार (गांदरबल), और नासिर अजाज़ (बारामुला), तथा उनकी पूरी टीम सिर्फ जीत की उम्मीदें नहीं बल्कि उस धरती का भार भी साथ लाए थे, जो वर्षों से संघर्ष का सामना कर रही है।

सिर्फ कुछ हफ्ते पहले पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने घाटी को झकझोर कर रख दिया था। लेकिन ये खिलाड़ी कोर्ट पर निडर होकर नहीं, बल्कि जोश और जुनून के साथ खेलते दिखे। ब्लॉक करते, स्पाइक लगाते, डाइव लगाते हुए वे दर्शकों का भरपूर मनोरंजन कर रहे थे।

टीम के कोच नरेश कुमार, जो पहले स्कूल गेम्स में भी जेएंडके को कांस्य पदक दिला चुके हैं, ने इसे “दिल की जीत” बताया। उन्होंने अपने खिलाड़ियों की मेहनत को सराहा और कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है, इन युवाओं का भविष्य उज्जवल है।

आबिद गुलजार ने गर्व के साथ कहा, “यह जीत हमारे लिए सब कुछ है। हमारे घर में लोग कुछ अच्छा महसूस करना चाहते थे, और हम उन्हें वही देना चाहते थे।”

वानी महिर, जिन्होंने पहले ही बहरीन में हुए अंडर-18 एशियन चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया है, ने कहा कि टीम का लक्ष्य कुछ सकारात्मक लेकर घर लौटना था।

महीर और नासिर, दोनों स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के मौलाना आज़ाद स्टेडियम, जम्मू सेंटर के खिलाड़ी हैं, और सीनियर खिलाड़ियों के साथ अभ्यास कर रहे हैं ताकि ऐसे ही मौकों के लिए खुद को तैयार कर सकें।

 

 

वहीं आबिद गुलजार और साहिल शमिम ने घर से ही सपोर्ट पाया। आबिद के लिए तो वॉलीबॉल उनके खून में है। भारत के लिए खेल चुके उनके पिता शमीम अहमद उनके कोच हैं । आबिद ने अपने घर के आँगन में ही खेल की बुनियादी बातें सीखी। साहिल ने बड़े शहरों की सुविधाओं से दूर रहकर, लोकल सर्किट से ऊपर उठते हुए अपनी मंजिल हासिल की लेकिन कभी भी अपने हौसले को कम नहीं होने दिया।

टूटी-फूटी जगहों से लेकर राष्ट्रीय मंच तक का ये सफर बहुत कुछ बयां करता है। साहिल ने कहा, “हम चाहते हैं कि हमारी कहानी यह दिखाए कि मुश्किल वक्त में भी कुछ खूबसूरत उभर सकता है।”

जब खिलाड़ियों ने अपने गले में स्वर्ण पदक डाले, तो यह सिर्फ एक कोर्ट पर हुई जीत नहीं थी। यह उम्मीद, आत्मबल, और उन युवाओं की जीत थी, जिन्होंने सपनों को ऊंची उड़ान भरने दी और इसकी बदौलत इस मंजिल तक पहुंचे।

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खेलो इंडिया यूथ गेम्स के बारे में –

खेलो इंडिया यूथ गेम्स, खेलो इंडिया प्रोग्राम का हिस्सा हैं, जिसे 14 अक्टूबर, 2017 को लॉन्च किया गया था। खेलो इंडिया का उद्देश्य खेलों में व्यापक भागीदारी और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करना है। इस प्रोग्राम ने भारत की खेल सफलता में बहुत योगदान दिया है, जिसमें कई खेलो इंडिया एथलीट ओलंपिक और एशियाई खेलों सहित वैश्विक आयोजनों में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। बिहार 4-15 मई तक राज्य के पांच अलग-अलग शहरों और दिल्ली में खेलो इंडिया यूथ गेम्स के सातवें संस्करण की मेजबानी कर रहा है। केआईवाईजी 2025 में 27 खेल शामिल हैं और पहली बार ईस्पोर्ट्स को एक डेमो गेम के रूप में शामिल किया गया है।

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