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किशनगंज : राष्ट्रीय डेंगू दिवस: जागरूकता डेंगू से बचाव का एकमात्र जरिया, मच्छरों के प्रजनन को रोकना जरूरी

जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में जागरूकता संबंधी कई कार्यक्रम का आयोजन

साथ ही निम्न बातों का ध्यान रखें:

  • सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
  • बच्चों को फुल आस्तीन की कमीज एवं फुल पैंट पहनाएं।
  • वाटर कूलर या नल के पास पानी जमा नहीं होने दें।

किशनगंज, 16 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, मच्छर के काटने से होने वाले रोगों में डेंगू बेहद खतरनाक रोग है। इस बीमारी की वजह से हर साल देश में हजारों लोगों की जानें जाती हैं। डेंगू के सबसे अधिक मामले बारिश के दिनों में सामने आते हैं। लिहाजा इस समय डेंगू से बचाव को लेकर ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत होती है। डेंगू के प्रति आम लोगों में जन जागरूकता बढ़ाने के लिये हर साल 16 मई को राष्ट्रीय स्तर पर डेंगू दिवस का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न आयोजनों के माध्यम से लोगों को इस रोग से बचाव संबंधी उपायों के प्रति जागरूक किया जाता है। इसी क्रम में डेंगू दिवस के मौके पर मंगलवार को जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में जागरूकता संबंधी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि मच्छर जनित रोगों में डेंगू अति गंभीर रोगों की श्रेणी में आता है। जिसके कारण इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि, इस बीमारी से बचाव के लिए सही जानकारी के साथ-साथ सतर्कता और सावधानी ही सबसे बेहतर और कारगर उपाय है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया कि डेंगू का लार्वा मुख्य रूप से जमे हुए साफ पानी में पैदा होता है। इसके लिये जुलाई से लेकर अक्टूबर का महीना काफी मुफीद माना जाता है। लिहाजा इस दौरान रोग के खतरों के प्रति ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि एडीज नामक मच्छर के काटने से डेंगू का रोग होता है। रोग पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर कोई विशिष्ट दवा या टीका फिलहाल उपलब्ध नहीं है। जन जागरूकता व मच्छरों के प्रजनन को रोकना ही इससे बचाव का उपाय है। डॉ आलम ने बताया, आमलोगों के बीच डेंगू से बचाव के लिए सही जानकारी नहीं होने के कारण उनके लिए डेंगू शब्द ही खौफ का मुद्दा है। यदि इसके विषय में आम लोगों को पूरी जानकारी दी जाए तो लोगों के मन से डेंगू का भय खत्म हो सकता है। वहीं, उन्होंने बताया, एडीज नामक मच्छर के काटने से डेंगू बुखार होता है। यह मच्छर साफ और स्थिर पानी में पनपता, जो अधिकांश दिन में ही काटता है। डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। 3 से 7 दिन तक लगातार बुखार, तेज सर में दर्द, पैरों के जोड़ों मे तेज दर्द, आँख के पीछे तेज दर्द, चक्कर एवं उल्टी, शरीर पर लाल धब्बे आना एवं कुछ मामलों में आंतरिक एवं बाह्य रक्तस्राव होना डेंगू के लक्षण में शामिल हैं। कुशल प्रबंधन एवं चिकित्सकों की निगरानी से डेंगू को जानलेवा होने से बचाया जा सकता है। इसलिए, जरूरी है कि डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर चिकित्सकीय सलाह ली जाए। डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर बिना चिकित्सकीय सलाह के बुखार की दवा खाना खतरनाक हो सकता है। डेंगू मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं। साधारण डेंगू, डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम। ज्यादातर लोगों को साधारण डेंगू ही होता, जो कुछ परहेज करने से ठीक हो जाता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम गंभीर श्रेणी में आते हैं। यदि इनका शीघ्र इलाज शुरू नहीं किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। डेंगू हैमरेजिक बुखार एवं डेंगू शॉक सिंड्रोम में मरीजों के उपचार के लिए रक्तचाप एवं शरीर में खून के स्राव का निरीक्षण करना जरूरी होता है। राष्ट्रीय वेक्टर बोर्न रोग नियंत्रण विभाग के अनुसार 1 प्रतिशत डेंगू ही जानलेवा है, लेकिन बेहतर प्रबंधन के अभाव में डेंगू 50 प्रतिशत तक खतरनाक हो सकता। जागरूकता के दम पर डेंगू के मामलों को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। डेंगू के मच्छर आम मच्छर से अलग होते हैं। जो दिन के रोशनी में काटते हैं। मच्छरों को आसपास पनपने से रोकने के लिये जरूरी है कि हम आसपास के माहौल को स्वच्छ व सुंदर बनाये रखें।

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