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सुशासन सरकार फेल और पप्पू पास हो गए

संपादक  ब्रजेश मिश्र –पूरा बिहार यह जानता है कि पप्पू यादव 17 साल जेल में किसी न किसी में सजा काटे। अजित सरकार हत्याकांड से चर्चित हुए 1991 में पहली बार पूर्णिया MP चुने गए। यह बाहुबली थे , हैं और रहेंगे परन्तु राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने अपने पाप को पुण्य में तब्दील कर लिया है। भगवान भी कहते है पाप का एहसास और मानवता की सेवा से यह बुरे कर्म से मुक्त ही जाता है। 1996, 1999, 2004, 2014 में भी MP के रूप में चुने गए। कई पार्टी में शामिल हुए और अब उनकी खुद की पार्टी है जाप, जिसको बिहार की जनता विपत्ति काल में जपने लगी है। मैं कोई समर्थक नहीं हूं पप्पू यादव का लेकिन विगत कुछ वर्षों जनकल्याण और मजबूर, लाचार, बीमार, बाढ़ में फंसे लोगों सहित वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की मौत बांटती वातावरण में भी खुद की परवाह नहीं करते हुए मानवता की मिसाल पेश की है जिससे इस प्रतीत होता है कि कोई है देखने वाला। मैं यह मानता हूं कि इनकी छवि आपराधिक रही है पर विगत कुछ वर्षों के उत्कृष्ट कार्य ने इनका पाप धो दिया है। आज बिहार के तथाकथिक गुंडे हैं जीके पास अकूट संपत्ति है लेकिन क्या मजाल की कोई उनसे मदद मांग लें या यह किसी को दे दें। बिहार सरकार के तानाशाही रवैया और जनता की आवाज को दबाने की कोशिश है पप्पू यादव की गिफ्तारी, लेकिन इससे सच पर पर्दा नहीं डाला जा सकता।

बिहार में एम्बुलेंस, ऑक्सीजन, इंजेक्शन, दवा, बेड की किल्लत ने सुशासन सरकार के शासन पर दाग लगा चुका है जिसको पप्पू यादव की गिफ्तारी से नहीं धोया जा सकता बल्कि उसको दाग अब और भी गहरा हो चुका है। पप्पू यादव अपने सामाजिकता के मिशन में पास हो गए हैं। नीतीश कुमार सत्ता के मद में चूर और तेजस्वी यादव कुछ न करने की आदत से मजबूर हैं और सत्ता की चाभी लेकर घूमने वाले का बेटा “फर्स्ट बिहार – फर्स्ट बिहारी” के नाम पर कलंक है। बिहार में नेता कोई जिंदा है यह साबित सिर्फ पप्पू यादव ने किया है। कोरोना हो जाने और उसकी मौत हो जाने पर सगा बेटा, भाई और बाप सहित अन्य रिश्तेदार श्मशान जाने से परहेज कर रहे हैं वैसे में पप्पू यादव कभी हॉस्पिटल तो कभी एम्बुलेंस तो कभी श्मशान घाट में लोकतंत्र का ज़मीर जिंदा है साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। जिस प्रकार नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, चिराग पासवान सहित भाजपा के नेताओ का परिवार है उसी प्रकार पप्पू यादव का भी परिवार है लेकिन कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर में सहयोगात्मक भावना के साथ तन मन और धन के साथ खड़ा है यही तो है वास्तविक लोकतंत्र जिसमे सर्फ पप्पू पास हुए।
भले ही राजनीतिक दृष्टिकोण से राजीव प्रताप रूडी का समर्थन करें लेकिन सबकी आत्मा पप्पू यादव के साथ है। एम्बुलेंस जिस भी कारण से बंद पड़ा हो उसके लिए सबसे पहले जिम्मेवार MP साहब है और इसके बाद DM, योजना पदाधिकारी और चोरी की तरह छुपा कर कोई इतना बड़ा कार्य जिसके जिले में करे वह SP जिम्मेवार है लेकिन सत्ता के मद में चूर अहंकार की बलिवेदी पर स्वार्थ की राजनीति के कारण पप्पू यादव को चढ़ाया गया। पप्पू यादव का तो जेल से पुराना रिश्ता है लेकिन अगर वास्तविक रूप से जिम्मेवार लोग अगर जेल जाएंगे तो शायद वापस नहीं आएंगे और शर्म से हृदय गति रुक जाएगा। भाजपा, जदयू, कांग्रेस, और राजद इन नेताओं की नैतिकता भी कोरोना संक्रमण में विलुप्त ही चुका है। तेजस्वी यादव की कोरोना में चुप्पी भविष्य के लिए बहुत हीं नुकसानदायक साबित होने वाली है क्योंकि अब ” माय ” समीकरण भी ध्वस्त हो चुका है। नीतीश कुमार राजनीति की अंतिम पारी खेल रहे हैं लेकिन इनका राजनीति अंत समाप्त हो रहा है। बिहार की 12 करोड़ जनता नीतीश कुमार को * एक जमीर वाला नेता* के रूप में स्वीकार करती थी जिसकी तुलना नरेन्द्र मोदी से होती थी परंतु सत्ता के लालच ने उसपर पानी फेर दिया। नीतीश कुमार का ज़मीर तो 2012 में ही मर गया था इसके बाद तो सिर्फ सत्ता की राजनीति करते हैं मानवता की नहीं और सबसे बड़ा बात है कि इसका ज्ञान भी इनको है। भाजपा इनका DNA चेक कर चुकी है और वह कभी भी इसकी जांच रिपोर्ट दे सकती है।

पटना पुलिस की छवि पटना नगर निगम से ज्यादा गई गुजरी है। राजनेताओं की गुलाम कर रही पटना पुलिस पप्पू यादव की गिरफ्तारी पर बहुत खुश हो रही है लेकिन पुलिस के घर वाले भी पप्पू यादव के सराहनीय कार्य से खुश हैं। अपराधियों पर नकेल कसने की कितनी ताकत रखती है यह पटनावासियों को पता है लेकिन किसी के डंटे से पीटकर बाज बहादुर बनती है।
धर्म मे भी कहा गया है कि
” अंत भला तो सब भला। ”

पप्पू यादव आपके द्वारा किये जा इंसानियत ने आपकी छवि को जनहित में उपयोगी बना दिया है और मैं आपके सच्चे दिल से किये जबरहे प्रयास को प्रणाम करता हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि आपके जैसे बाहुबली रहे लोगों का भी दिल परिवर्तन हो और वह भी समाज के लिए आगे आएं ताकि दुनिया को यह बताया जा सके कि बबहुबलियों का ” ज़मीर ” पक्ष विपक्ष की राजनीति कर रहे राजनेताओं से बेहतर है। पप्पू यादव पूरा बिहार का हर व्यक्ति के दिल तक पहुंच चुका है जिसको नीतीश कुमार नहीं निकाल सकते।

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