झारखंड : हजारीबाग आरटीआई इतिहास मे यह पहली बार हुआ जो मील का पत्थर साबित होगा भविष्य में, सूचना छिपाने, न देने, सूचना अधिकार अधिनियम 2005 का उलंघन, व पद का दुरुपयोग करने पर कोर्ट ने दिया FIR करने का निर्देश।
Dharmendra Singh, kishanganj
हजारीबाग सूचना के अधिकार के तहत मांगे गए जानकारी को ना देना कभी-कभी कितना महत्वपूर्ण हो जाता है। यह हजारीबाग के घटना को देखकर समझा जा सकता है। पदाधिकारियों की लापरवाही का परिणाम यह होगा कि अब उनपर एफआईआर और अदालत की कार्रवाई होगी। झारखंड राज्य का यह पहला मामला होगा जब सूचना नहीं देने के कारण किसी मामले में एफआईआर हो रहा है और इस मामले की पूरी सुनवाई अब कोर्ट में होगी। आपको बताते चलें कि हजारीबाग के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा ने निबंधन कार्यालय हजारीबाग से सूचना मांगा था। सूचना में मांग की गई थी कि हमें सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराया जाए। ऐसे में कार्यालय के द्वारा उन्हें सूचना नहीं दी गई।सूचना नहीं मिलने पर उन्होंने दोबारा 2 जुलाई 2021 में आवेदन दिया। फिर भी इन्हें सूचना नहीं मिली। अंत में उन्होंने 30 अक्टूबर 2021 को ऑनलाइन एफआईआर किया। लेकिन यहां भी उन्हें मायूसी हाथ लगी। ऐसे में उन्होंने हजारीबाग के वरीय पुलिस पदाधिकारी को भी पत्राचार किया। वहां से भी इन्हें मदद नहीं मिला। अंत में उन्होंने आज कोर्ट का सहारा लिया।कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश निर्गत किया है। जिसमें वैभव मणि त्रिपाठी तत्कालीन सब रजिस्टार, रूपेश कुमार सिन्हा वर्तमान रजिस्टर, रंजीत लाल तत्कालीन एसी, राजेश रोशन वर्तमान एसी को पार्टी बनाया गया है। ऐसे में आरटीआई एक्टिविस्ट का खुशी का ठिकाना नहीं है। उन्होंने कोर्ट को धन्यवाद दिया है कि संज्ञान लेते हुए आदेश दिया है। वही इनकी अधिवक्ता ओसिता कृति रंजन ने कोर्ट को बताया कि आरटीआई एक्टिविस्ट को सूचना नहीं दिया गया। साथ ही साथ उनको परेशान भी किया गया। वहीं उन्होंने कई अन्य मुद्दों को भी कोर्ट को बताया। एफआईआर रजिस्टर करने के आदेश मिलने के बाद उन्होंने भी कोर्ट के प्रति आभार जताया है।

जानें क्या है मामला
बताते चलें कि आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा को एक षड्यंत्र के तहत 3 मार्च 2021 को जेल भेज दिया गया था। 16 दिनों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा। पुलिस के द्वारा कहा गया था कि उनके डिक्की में नशीली पदार्थ एवं कई आपत्तिजनक सामान बरामद किया गया है। बाद में हजारीबाग एसपी ने इस पूरे गिरफ्तारी के पीछे षड्यंत्र बताते हुए केस निरस्त किया था।