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*बिहार में सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए योजना तैयार करने हेतु उच्चस्तरीय बैठक आयोजित*

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/बिहार सरकार के विज्ञान, प्रावैधिकी एवं तकनीकी षिक्षा विभाग के तत्वावधान में आज एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें राज्य के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत स्थलों के संरक्षण एवं संवर्धन के महत्वपूर्ण मामलों पर विचार-विमर्ष किया गया। डाॅ० मनीषा विनोदिनी रमेष, प्रो० वाइस-चांसलर (प्रोवोस्ट), अमृता विष्व विद्यापीठम्, केरल द्वारा की गई चर्चा अभिनव हेरिटेज हेराल्डः संस्कृतिक और विरासत के लिए भू-स्थानिक मंच प्रदान करने के ईर्द-गिर्द केन्द्रित थी।

हेरिटेज हेराल्ड पहल बिहार भर के गाँवों की अनूठी व सांस्कृतिक विरासत के प्रभावी दस्तावेजीकरण, प्रसार और प्रस्तुति के लिए भू-स्थानिक प्लेटफाॅमों और इंटरैक्टिव प्रणाली का उपयोग करते हुए एक प्रोद्योगिकी संचालित दृष्टिकोण का प्रस्ताव है। यह विरासत प्रबंधन प्रयासों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिष्चित करने के लिए वैज्ञानिक, समाजिक और आर्थिक आयामों को एकीकृत करती है।

बैठक में बिहार में सांस्कृतिक संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया। बिहार के पर्यटन विभाग के निदेषक-सह-विषेष सचिव, श्री उद्यन मिश्रा, कला युवा एवं संस्कृति विभाग, बिहार के प्रतिनिधि शामिल थे, जिन्होंने विभिन्न सरकारी निकायों द्वारा दिये जाने वाले सहयोगात्मक भावना को रेखांकित किया।

हेरिटेज हेराल्ड परियोजना के प्रमुख घटकों में शामिल हैः गाँव की विरासत को प्रदर्षित करने के लिए अत्यधिक इंटरैक्टिव प्रणाली विकसित करना, और प्रभावषाली संरक्षण अनुप्रयोगों के लिए विरासत विज्ञान के क्षेत्र को आगे बढ़ाना। युवा पीढ़ी के लिए गाँव के विरासत को प्रभावी ढ़ंग से प्रस्तुत करना, स्थानीय समुदायों के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक लाभों का सक्रिय रूप से प्रबंधन करना, और गाँव की सांस्कृतिक विरासत के व्यापक समझ को बढ़ावा देना, टिकाऊ आर्थिक विकास के लिए गाँव की सांस्कृतिक विरासत पर्यटन के विकास को उत्प्रेरित करना और स्थानीय आबादी के लिए आजिविका के अवसरों में उल्लेखनिय सुधार करना।

प्रस्तावित कार्य प्रणाली में एक व्यापक सांस्कृतिक अनुभव प्रबंधन का निर्माण, विरासत और सांस्कृतिक को प्रभावी ढ़ंग से प्रदर्षित करने के लिए एक सुलभ वेब और मोबाईल पोर्टल का विकास, व बिहार अंतर्गत चयनित गाँव में हेरिटेज हेराल्ड की रणनिति लागू करने की योजना शामिल है।

चर्चा के दौरान अपर सचिव-सह-निदेषक श्री अहमद महमूद ने बिहार की विषिष्ट सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए तकनीकी प्रणाली का उपयोग करने के महत्व पर प्रकाष डाला। उन्होंने डाॅ० मनीषा और अमृता विष्वविद्यापीठम् टीम द्वारा प्रस्तुत व्यापक और दुरदर्षी दृष्टिकोण की सराहना की। श्री उदयन मिश्रा ने टीम को बिहार के संभावित सांस्कृतिक विरासत स्थलों की पहचान करने में पर्यटन विभाग के सहयोग का आष्वासन दिया।

बैठक साकारात्मक और सहयोगात्मक ढ़ंग से समपन्न हुई। बैठक के प्रस्तावों से बिहार के अमुल्य सांस्कृतिक विरासत की बेहतर समझ, संरक्षण और सतत विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

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