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नाम गुम जायेगा, चेहरा ये बदल जायेगा मेरी आवाज़ ही, मेरी पहचान है गर याद रहे………!

त्रिलोकी नाथ प्रसाद:-लता मंगेशकर जी के निधन के साथ ही भारत के एक युग का समापन हो गया। हरेक भारतीय की आंखें नम हैं। अपने जीवनकाल में अपनी स्वर प्रतिभा के अलावा अपनी जीवन शैली और मूल्यों के कारण भारत के मानस पटल पर अविस्मरणीय छाप छोड़ने वाली ‘स्वर कोकिला’ आज हम सब के बीच नहीं हैं। मगर आप हम सभी भारतीयों और असंख्य गैर-भारतीयों के हृदयों में अपने कालजयी गीतों के माध्यम से अमर रहेंगी। नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत के रूप में आपकी अलौकिक उपस्थिति सदा हम सबके बीच बनी रहेगी। शत् शत् नमन।।

 

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