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बिहार की समझदार जनता यह भलीभांति जानती है कि उसे विकास चाहिये या विनाश ?

रंजीत कुमार सिन्हा प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने नवरात्र के उपवास के समय में भी भागलपुर, गया और सासाराम की सभाओं में जो कुछ कहा है, वह शत प्रतिशत सही है। क्योंकि, 90 के दशक के अराजकता और कुशासन के माहौल का एक प्रत्यक्षदर्शी मैं भी हूँ । किसी भी तरह से लूटना है यही नीति थी 90 के दशक

के शासकों की, चाहे अपहरण का उद्योग फैलायें या अपराध, लूट, हत्या, बलात्कार को बढ़ावा और संरक्षण देने के ही सारे काम हुए उन दिनों । अब वापस उस युग में जाने के लिए बिहार की जनता कत्तई तैयार नहीं है। किस तरह से उन दिनों निवेशकों के साथ बर्ताव किया जाता था उसका एक छोटा उदाहरण मैं देता हूँ । एक निवेशक मेरे पास आये । वे जानते थे कि मैं उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री से मिलवा सकता हूँ । मैं उन्हें लेकर गया मुख्यमंत्री के पास। उन्होंने किसी पदाधिकारी को अपने स्टाइल में कोई निर्देश दे दिया। बात मेरी खत्म हो गयी। एक वर्ष बाद वे निवेशक मुझे कलकत्ता में मिले। मैंने पूछा किया हुआ? वे बोले ना बाबा ना बिहार में तो नहीं जायेगा हम । क्योंकि वहां पर तो बाछी को ही दूहना शुरू कर देते हैं I हम नया उद्धोग लेकर गया है तो वह एक बाछी के ही समान तो है I हम पहले उसको अच्छा से खिलाये-पिलायेगाI फिर वह गाभिन होगी I नौ महीने के बाद बच्चा देगी I तब ही दूध देगी न I उसमें से आप भी पीना चाहेंगे तो आपको भी एकाध गिलास मिल जायेगा I लेकिन, बाछी देखते ही दूहना शुरू कर देंगे तो आपको मूत (मूत्र) के अलावे क्या मिलेगा ? आर0 के0 सिन्हा

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