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:-: सूली चढ़ाना :-:

पटना डेस्क:-सनातन संस्कृति में 12 वर्ष के ऊपर के सभी गम्भीर अपराधियों को सार्वजनिक रूप से सूली चढ़ाने का नियम था। सूली, सुई के समान एक बड़ा धातु का बना खम्बा होता था, जिसका सिरा नुकीला होता था, जिस पर अपराधी को बैठा दिया जाता था, जिसके कारण धीरे धीरे उसकी मृत्यु हो जाती थी। इस प्रक्रिया के दौरान, अपराधी को जो मानसिक व शारीरिक पीड़ा होती थी, उससे निकली मानसिक तरंगों के प्रभाव के कारण, दूसरे लोगों को अपराध करने में डर लगता था, उसके विपरीत वर्तमान संवैधानिक व्यवस्था में अपराधियों को मिलने वाली सुविधाएं सबको पता हैं और वह बंद जेल में, कैसे रहता हैं और क्या करता हैं, इस बात से भी सभी परिचित हैं। वर्तमान में जो बातें बंद कमरे में होनी चाहिए, उन्हें सार्वजनिक और जो सार्वजनिक होनी चाहिए, उन्हें बंद कमरे में करने का नियम हैं। बिरियानी खिलाना संवैधानिक संस्कृति हैं और सूली पर चढ़ाना मनुवादी संस्कृति हैं। विजय सत्य की ही

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