भाकपा-माकपा का जिला मुख्यालयों पर आयोजित बदलो सरकार बचाओ बिहार प्रदर्शन रहा ऐतिहासिक
कुणाल कुमार/पटना। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और माकपा के संयुक्त आह्वान पर बदलो सरकार बचाओ बिहार नारे के साथ 14 सूत्री मांगों को लेकर 20 मार्च को पटना सहित बिहार के सभी 38 जिला मुख्यालयों पर जुझारू प्रदर्शन किये गये। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में छात्र, युवाओं, महिलाओं, किसान, मजदूरों आदि ने भाग लिया और मांग पत्र जिला अधिकारी को सौंपे गए। भाकपा राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय और माकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी ने मधुबनी और दरभंगा में आयोजित प्रदर्शन में भाग लिया। दोनों नेताओं ने कहा कि पहले चरण में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा और बड़ी संख्या में लोगों की गोलबंदी हुई।बिहार की सत्ता से एनडीए सरकार को हटाने का संकल्प लिया गया दूसरे चरण में अप्रैल महीने में बिहार के सभी प्रखंड एवं अंचल कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे। भाकपा और माकपा राज्य सचिव ने बिहार की जनता को इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए बधाई दी है। कम्युनिस्ट नेताओं ने कहा कि बिहार अनेक तरह के संकटों के दलदल में फंसता जा रहा है। आम जनता केन्द्र और राज्य की एनडीए सरकार की पूंजीपति परस्त नीतियों के दुष्प्रभावों से ऊब चुकी है। आम आदमी, खासकर गरीब, दलित, आदिवासी सरकार की शोषणकारी नीतियों से परेशान हो गया है और ऐसी सरकार से मुक्ति चाहता है। आम जनता की बदहाली और उससे मुक्ति के लिए जनता की छटपटाहट को देखते हुए इस जन विरोधी सरकार को बदलने के लिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने संयुक्त रूप से राज्यव्यापी आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया है। आन्दोलन के पहले चरण में 20 मार्च को राज्य के सभी जिलों में संयुक्त रूप से जुलूस और प्रदर्शन आयोजित किये गए। दूसरे चरण में अप्रैलमहीने में बिहार के सभी 533 प्रखंड सह अंचल कार्यालय पर प्रर्दशन आयोजित किये जायेंगे।
बिहार में आज तक भूमि सुधार का काम अधूरा है। लाखों बेघरों को घर नहीं मिला। लाखों भूमिहीन परिवारों को जमीन नहीं मिली। बड़े भूस्वामियों और दबंगों के अवैध कब्जे वाली लगभग बीस लाख एकड़ जमीन मुक्त नहीं हुई। इन सवालों के समाधान के लिए बंद्योपाध्याय आयोग गठित हुआ। उसकी अनुशंसा ठुकरा दी गई।
भ्रष्टाचार प्रशासन के नीचे से ऊपर तक जड़ जमाये बैठा है। बड़े नौकरशाहों के भ्रष्टाचार के किस्से रोज प्रकाशित हो रहे हैं। महंगाई चरम पर है। निम्न वर्ग से लेकर मध्य वर्ग के सभी लोग परेशान हैं। रूपये का मूल्य घट रहा है। सामान का मूल्य बढ़ रहा है। ऐसी हालत में निर्धारित आय वालों को घर चलाना मुश्किल है। सत्ता की छत्र-छाया में अपराधियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। गांव तो गांव है, राजधानी पटना में भी लोग सुरक्षित नहीं। व्यवसायी वर्ग लुटेरों के भय से कांपते रहते हैं। व्यवसाय पर विपरीत असर हो रहा है।
केन्द्र की भाजपा नीत सरकार द्वारा धार्मिक भाषाई अल्पसंख्यकों एवं समाज के अन्य कमजोर वर्ग दलित, आदिवासी, अतिपिछड़ा एवं महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों को रौंदा जा रहा है। इन कमजोर वर्ग के अधिकारों का रक्षा कवच है-संविधान। अब संविधान पर हमले हो रहे हैं। बिहार की एनडीए सरकार केन्द्र की इन कार्रवाइयों की समर्थक बनी हुई है।
इसी के मद्देनजर सार्वजनिक जनवितरण प्रणाली को। मजबूत करने,किसानों की आय दुगुनी करने के लिए तमाम कृषि उत्पादों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी करने, किसानों के अधिगृहित जमीन का वर्त्तमान बाजार दर पर मुआवजा देने,किसानों की बगैर सहमति के जमीन का अधिग्रहण बंद करने,सभी लाभार्थियों को 35 किलो अनाज देने,बेघरों को 10 डिसमिल जमीन और मकान देने,सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रतिमाह 3000 रुपये करने, स्मार्ट मीटर वापस लेने तथा 200 युनिट मुफ्त बिजली देने, आरक्षण की वृद्धि को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने, महंगाई पर रोक लगाने, अपराध और भ्रष्टाचार मुक्त बिहार बनाने, बाढ़-सुखाड़ का स्थायी निदान करने, 11. सभी योजना कर्मियों /आंगनबाड़ी/आशा/ ममता / मध्याह्न भोजन कर्मियों / वैक्सीन कुरियर/जीविका कैडर का स्थायीकरण करने,सफाई, परिवहन सहित तमाम असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिये सामाजिक सुरक्षा पेंशन सुनिश्चित करने,शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों में बसे गृहविहीनों को उजाड़ना बंद करने,बेरोजगारों को रोजगार दो या बेरोजगारी भत्ता देने आदि मांगों को लेकर प्रदर्शन आयोजित किए गए।