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किशनगंज : बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में होगें नौका औषधालय, चिकित्सकों का दल किया जायेगा गठित: सिविल सर्जन

जिले में बाढ़ से पूर्व मुख्य तैयारियों के अभ्यास पर जोर देने के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, मच्छर जनित रोगों पर नियंत्रण के लिए राज्य सरकार ने जारी किए निर्देश, जल-जनित बीमारियों से निपटने के लिए उपलब्ध कराई जाएगी व्यवस्था

किशनगंज, 29 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, सूबे सहित जिले में हर वर्ष मानसून के समय कई जिलों को बाढ़ की विभीशिका का सामना करना पड़ता है। राज्य के 15 जिले सबसे अधिक बाढ़ से प्रभावित होते हैं। दूसरे कई जिलों में पानी के भारी जलजमाव या बाढ़ के आंशिक रूप का सामना करना पड़ता है। जिलों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रो में जानमाल के साथ कई जलजनित बीमारियों के प्रकोप का सामना लोगों को करना पड़ता है। जल जनित रोग महामारी का रूप ले लेती है। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने गुरुवार को बताया की इसे लेकर बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त, जिलाधिकारी तथा सिविल सर्जन को आवश्यक निर्देश दिये हैं। निर्देश में कहा गया है कि जिलास्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक महामारी रोकथाम समिति गठित है। जिसे डीडीसी, एसपी, सिविल सर्जन, आपूर्ति विभाग, जिला आपदा प्रबंधन विभाग तथा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पदाधिकारी सदस्य है। यह समिति अपने जिले में बाढ़ या जल-जमाव से उत्पन्न होने वाली बीमारियों के संभावित क्षेत्रों का पूर्व के अनुभव के आधार पर चिन्हित करेगी एवं वहां पर त्वरित तरीके से उपचारात्मक एवं निरोधात्मक कार्रवाई करेगी। साथ ही इसके प्रचार प्रसार के माध्यम का भी इस्तेमाल करेगी। सिविल सर्जन ने बताया की अपर मुख्य सचिव ने पत्र के माध्यम से बाढ़ पूर्व तैयारियों के संबंध में स्वास्थ्य कर्मियों एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ मॉक एक्सरसाइज या मॉक ड्रिल का आयोजन नियमित अंतराल पर करने के निर्देश दिए हैं। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पदाधिकारी की सहायता से क्षेत्र के पीने के पानी की सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही है। वहीं, बड़े जलस्रोतों के लिए ब्लीचिंग पाउडर का इस्तेमाल करने पर जोर दिया है। निर्देश में कहा गया है कि बाढ़ के बाद जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। डेंगू, मलेरिया, कालाजार आदि महामारी का फैलाव तेजी से होता है। इससे लोगों की एक बड़ी आबादी प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में जिला मलेरिया पदाधिकारी द्वारा डीडीटी छिड़काव और फोगिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यह बतया गया है कि जिलों या प्रखंड के स्वच्छता निरीक्षक पेयजल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए पानी के नमूनों को संग्रह करें। जिसकी जांच प्रमंडलीय प्रयोगशाला या चिकित्सा महाविद्यालय अथवा लोक स्वास्थ्य संस्था पटना में होगी। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने बताया की उक्त पात्र में अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि जिला या प्रखंड स्तर पर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सा दलों का गठन होगा। इनमें मोबाइल दल भी शामिल रहेंगे। इस टीम में चिकित्सा पदाधिकारी के अलावा पैरामेडिकल स्टाफ भी होंगे। सर्पदंश को लेकर सभी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के निर्देश भी दिए गए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नवजात शिशुओं का नियमित टीकाकरण बाधित नहीं हो इसकी व्यवस्था भी करने पर जोर दिया गया है। वहीं, गर्भवती महिलाओं की पहचान पूर्व से कर डिलीवरी किट एवं मैटरनिटी हट की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पत्र के माध्यम से जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या उपकेंद्र, स्कूल, पंचायत भवन आदि में अस्थायी अस्पताल खोला जायेगा। वहां पर अस्थायी अस्पताल का संचालन तब तक होगा जब तक महामारी पर नियंत्रण नहीं हो जाता है। बाढ़ से घिरे क्षेत्र में सड़क संपर्क टूटने पर नौका औषधालय का इंतजाम करने की बात भी कही गयी है। किसी भी तरह की सूचना के लिए राज्य नियंत्रण कक्ष के टोल फ्री नंबर 104 पर संपर्क स्थापित करने के लिए प्रचार प्रसार करने और इसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए निर्देशित किया गया है।

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