किशनगंज में आयुष्मान अभियान बना जनआंदोलन, तीन दिनों में बने 18 हजार कार्ड
91 की दादी से 19 के युवा तक...किशनगंज में उठ रही है सेहत की सुनामी – आयुष्मान अभियान ने बदला गांव-गांव का मंजर!"

किशनगंज,27 मई(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड में 91 वर्षीय बुजुर्ग महिला जब हाथ में आयुष्मान कार्ड लेकर मुस्कुरा रही थीं, तो कैमरों के फ्लैश चमक उठे और पीछे खड़े युवाओं ने मोबाइल में सेल्फी ली। यह सिर्फ एक कार्ड नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, सम्मान और सुरक्षा की एक नई क्रांति की तस्वीर थी। किशनगंज में आयुष्मान भारत योजना अब एक सरकारी अभियान नहीं, बल्कि आम जन का आंदोलन बन चुका है।
तीन दिन – 18 हजार मुस्कानें, 1 लाख का सपना
डीपीसी पंकज कुमार के अनुसार, आयुष्मान कार्ड बनाने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। शनिवार को 1500, रविवार को 4000, सोमवार को 8000 और मंगलवार को अब तक 10,000 से अधिक कार्ड बन चुके हैं। यह आंकड़े केवल संख्या नहीं, हजारों परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा देने वाली आशा की किरण हैं।
“हर घर कार्ड – यही है हमारा मिशन”: जिलाधिकारी विशाल राज
जब स्वयं जिलाधिकारी विशाल राज एक शिविर में पहुंचे, तो लोगों को आश्चर्य हुआ। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया, “मैं केवल निरीक्षण नहीं, समझने आया हूं। यह अभियान नहीं, हर गरीब के जीवन की सुरक्षा कवच है। जब तक हर पात्र को कार्ड नहीं मिल जाता, हम नहीं रुकेंगे।”
बुजुर्गों से लेकर मजदूरों तक – हर कोई जुड़ा है अभियान से
गांवों में सुबह से ही शिविरों में भीड़ उमड़ रही है। महिलाएं बच्चों को गोद में लिए खड़ी हैं, बुजुर्ग लाठी के सहारे पहुंच रहे हैं और युवा परिवार का कार्ड बनवाने के लिए खुद आगे आ रहे हैं। यह केवल कार्ड निर्माण नहीं, आत्मनिर्भरता की चुपचाप क्रांति है।
“अभियान नहीं, आंदोलन है यह”: सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी
सिविल सर्जन डॉ. चौधरी ने कहा, “जब एक गरीब को यह पता चलता है कि वह लाखों रुपये का इलाज मुफ्त में करा सकता है, तो उसकी आंखों में जो सुकून दिखता है, वही हमारी असली सफलता है।”
‘आयुष्मान वारियर’ बना पूरा जिला
डीपीसी पंकज कुमार की टीम दिन-रात अभियान में जुटी है। हर पंचायत में शिविर, हर सेविका सक्रिय है। स्कूलों में बच्चों को जागरूक किया जा रहा है, जो अपने घर जाकर माता-पिता को समझा रहे हैं। आशा, आंगनबाड़ी और पीआरएस कर्मी भी पूरे समर्पण से कार्य कर रहे हैं। लोग अब इसे सरकारी योजना नहीं, अपना मिशन मान रहे हैं।
तो आप कब बनवा रहे हैं अपना आयुष्मान कार्ड?
अब कोई बहाना नहीं चलेगा। यह कार्ड आपके परिवार के स्वास्थ्य की ढाल है। निकटतम पंचायत शिविर जाएं, पहचान पत्र साथ लाएं और अपने और अपनों को सुरक्षित करें।