किशनगंज : प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत स्वास्थ्य संस्थानों में विशेष शिविर का किया गया आयोजित
गर्भावस्था के दौरान मुख्य रूप से खून, रक्तचाप, एचआईवी संबंधी जांच जरूरी है। गर्भस्थ बच्चे की सही स्थिति, एनीमिया, एचआईवी सहित अन्य रोगों से बचाव ही नहीं, प्रसव संबंधी जटिल मामलों को चिह्नित करने के लिहाज से ये महत्वपूर्ण है: सिविल सर्जन

- गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व 04 जांच कराना जरूरी
- सुरक्षित मातृत्व व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाना अभियान का उद्देश्य
किशनगंज, 09 अगस्त (के.स.)। धर्मेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत बुधवार को जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में विशेष शिविर आयोजित किया गया। इसमें गर्भवती महिलाओं की जरूरी चिकित्सकीय जांच के साथ जरूरी दवा व परामर्श नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया। अभियान के तहत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, हेल्थ सब सेंटर सहित अन्य संस्थानों में विशेष इंतजाम किये गये थे। एएनएम व आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से संबंधित पोषक क्षेत्र में अभियान से पूर्व ही गर्भवती महिलाओं को चिह्नित किया गया था। ताकि शत प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की जांच संभव हो सके। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि सुरक्षित मातृत्व व जच्चा बच्चा की सुरक्षा के लिए प्रसव पूर्व चार जांच जरूरी है। जांच गर्भवती महिला व उनके गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जरूरी है। इससे गर्भावस्था के दौरान होने वाली जोखिमों का आसानी से पता लगा कर इसे प्रबंधित किया जा सकता है। विभिन्न संक्रामक व जेनेटिक रोग से बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से भी ये जरूरी है। इससे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी को चिह्नित कर सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना अभियान का मुख्य उद्देश्य है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान मुख्य रूप से खून, रक्तचाप, एचआईवी संबंधी जांच जरूरी है। गर्भस्थ बच्चे की सही स्थिति, एनीमिया, एचआईवी सहित अन्य रोगों से बचाव ही नहीं, प्रसव संबंधी जटिल मामलों को चिह्नित करने के लिहाज से ये महत्वपूर्ण है। इसलिये सभी गर्भवती माताओं को गर्भधारण के तुरंत बाद, प्रथम तिमाही के दौरन प्रथम जांच की सलाह दी जाती है। इसके बाद गर्भावस्था के चौथे या छठे महीने में दूसरी, छठे या आठवें महीने में तीसरी व नौवें महीने में चौथी जांच करानी चाहिये। सदर अस्पताल में कार्यरत महिला चिकित्सा पदाधिकारी डा. शबनम यास्मिन ने बताया कि प्रसव अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तुरंत जाच करानी चाहिए। दरअसल, समय पर जाँच कराने से किसी भी प्रकार की परेशानी का शुरुआती दौर में ही पता चल जाता और पता लगने पर ही उसे आसानी से दूर किया जा सकता है। इससे प्रसव के दौरान गर्भवती महिलाओं को किसी प्रकार की अनावश्यक शारीरिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। साथ ही सुरक्षित और सामान्य प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व 04 जाच कराना जरूरी है। महिलाओं की स्वास्थ्य जाँच के लिए की गई यह व्यवस्था शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने की बेहतर व्यवस्था है। सरकार की यह व्यवस्था मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में अच्छी पहल है। इससे ना सिर्फ सुरक्षित प्रसव होगा, बल्कि शिशु-मृत्यु दर पर विराम लगेगा। इसके साथ ही जच्चा-बच्चा दोनों को अनावश्यक परेशानिया का सामना नहीं करना पड़ेगा। सभी गर्भवती महिलाओं को आयरन एवं कैल्सियम की गोली का उचित मात्रा में सेवन करना जरूरी है। तभी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं व उनके गर्भस्थ बच्चे का उचित शारीरिक व मानसिक विकास होता है। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि पीएमएसएमए अभियान के तहत जिले के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में तीन हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच संभव हो सकी। इस क्रम में हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के तीन सौ से अधिक मामले चिह्नित किये गये हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न स्तरों पर जरूरी प्रयास कर रहा है। इसमें जननी सुरक्षा योजना बेहद महत्वपूर्ण है। योजना के तहत सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये व शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में भुगतान किया जाता है। सुरक्षित प्रसव के लिये समय पर घर से अस्पताल व प्रसव के उपरांत घर पहुंचाने के लिये एंबुलेंस की सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है।