किशनगंज : मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर कायाकल्प, लक्ष्य एवं एनक्वास प्रमाणीकरण जरूरी
जिले के सदर अस्पताल में निर्धारित मानकों के अनुरूप मरीजों को मिलेंगी जरूरी सेवाएं, विभागीय निर्देश के आलोक में उपलब्ध सेवाओं में गुणात्मक सुधार का प्रयास जारी

किशनगंज, 18 जनवरी (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, जिला समेत पूरे सूबे में मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कायाकल्प, लक्ष्य एवं राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्वास) प्रमाणीकरण योजना की शुरुआत की गई है। इसके तहत जिले के सदर अस्पताल, रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, एपीएचसी, एचएससी, एचडब्लूसी एवं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का लक्ष्य एवं राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्वास) प्रमाणीकरण से संबंधित गतिविधियों के संपादन में आवश्यक सहयोग एवं अनुश्रवण करने के लिए लगातार अनुश्रवण किया जा रहा है। इसी क्रम में कायाकल्प, लक्ष्य एवं राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्वास) प्रमाणीकरण योजना के शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्ति हेतु सदर अस्पताल में अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन की अध्यक्षता में साप्ताहिक समीक्षा बैठक का आयोजन प्रत्येक गुरुवार को किया जा रहा है। गुरुवार को अस्पताल में दी जानी वाली सुविधाओं पर विशेष चर्चा की गई। डा. अनवर हुसैन ने बताया कि सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में गर्भवती महिला एवं प्रसूता को दी जाने वाली हर तरह की सुख सुविधाओं का ख्याल रखा जाता है। ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि ज़िले के सभी स्वास्थ्य केंद्र में मरीज़ों को मिलने वाली सुविधाओं में गुणात्मक सुधार को बरकरार रखने, अस्पताल में आने वाले मरीज़ों एवं उनके साथ परिजन या अन्य अभिभावकों के साथ सुगमता पूर्वक व्यवहार करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है। डा. कौशल किशोर ने बताया कि विभाग द्वारा सदर अस्पताल में उपलब्ध सेवाओं के उच्च स्तरीय गुणवत्ता के लक्ष्य की प्राप्ति को लेकर मानक संचालन प्रक्रिया का निर्धारण किया गया है। इसे अंतिम रूप देने की कवायद शुरू की जा चुकी है।
बैठक डा. अनवर ने बताया कि कुल 10 मानक निर्धारित किये गये हैं। इसमें अस्पतालों में “मे आई हेल्प यू डेस्क” का संचालन, ओपीडी निबंधन काउंटर पर मरीजों की सहायता के लिये हेल्पर का इंतजाम, अस्पताल के प्रतीक्षालय में अनुमानित औसत उपस्थिति के आधार पर लोगों के बैठने का इंतजाम, टेलीविजन, पंखा, स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सहित अन्य जरूरी इंतजाम किये जाने हैं। 24 गुणा 7 मोड में रक्त अधिकोष के संचालन, डिस्पले की माध्मय से रक्त व कंपोनेंटर की उपलब्धता का सार्वजनिक प्रदर्शन, मेडिकल कचरा प्रबंधन का उचित इंतजाम, अस्पताल संक्रमण समिति का गठन व बायोमेडिकल कचरा प्रबंधन के लिये कर्मियों को प्रशिक्षित करने की योजना को निर्धारित मानक में किया जा रहा है। अस्पताल अधीक्षक डा. अनवर ने बताया कि विभागीय निर्देश के आलोक में इसी आलोक में सदर अस्पताल में 2 पाली में ओपीडी का संचालन शुरू किया गया है जिसके तहत ओ.पी.डी का संचालन सुबह एवं शाम दोनों समय होगा। सुबह 9 से 2 बजे दिन तक तथा शाम में 4 से 6 बजे तक किया जाए। गर्मी के दिनों में शाम 4 से 6 बजे तक तथा सर्दियों में 3 से 5 बजे तक किया जाना सुनिश्चित किया गया है। साथ ही भर्ती मरीजों को देखने के लिए चिकित्सकों के राउंड लगाने का समय भी निश्चित किया गया है। चिकित्सक सुबह 8.30 से 9 एवं शाम में गर्मियों में 5.30 से 6 तथा सर्दियों में 4.30 से 5 के बीच राउंड लगा रहे है। रोगियों को अब तीन दिन के स्थान पर पांच दिन की दवा उपलब्ध करायी जायेगी। मधुमेह व उच्च रक्तचाप सहित अन्य स्थायी बीमारियों के लिये एक बार में 30 दिन की दवा दी जायेगी। गर्भवती महिलाओं को आईएफए व कैलशियम की पूरी खुराक एक मुश्त दी जाती है। डीपीएम स्वास्थ्य डा. मुनाजिम ने बताया कि स्थानीय एवं हिंदी भाषा में दक्ष कर्मी “मे आई हेल्प यू” डेस्क पर उपस्थित रहेंगे एवं जीविका दीदी के सहयोग से ओपीडी एवं आईपीडी निबंधन काउंटर पर मरीजों एवं उनके परिजनों की सहायता के लिए हेल्पर की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। अब सदर अस्पताल में 3 दिनों के बजाय 5 दिन दवा का वितरण किया जायेगा। मधुमेह, रक्तचाप एवं जटिल रोगों की दवा एक मुश्त एक महीने के लिए मरीजों को दी जायेगी। साथ ही गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली आयरन एवं कैल्सियम की गोली पूरी खुराक के हिसाब से एक साथ देना सुनिश्चित होगी। साथ ही मरीजों का ऑपरेशन सुबह 8 से 2 बजे के बीच किया जाये तथा इमरजेंसी ऑपरेशन की व्यवस्था 24 घंटे की जानी सुनिश्चित होगी।