किशनगंज : नवजात शिशु देखभाल व रोग प्रबंधन के लिये एसएनसीयू के सफल संचालन करायें सुनिश्चित: सिविल सर्जन
हर दिन जन्म लेने वाले करीब 20 फीसदी बच्चे होते हैं किसी न किसी रोग के शिकार, सिविल सर्जन ने की सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू का निरिक्षण, दिया जरूरी निर्देश

किशनगंज, 13 अगस्त (के.स.)। धर्मेंद्र सिंह, स्वास्थ्य विभाग को लेकर लोगों में पहले नकारात्मक सोच हुआ करती थी परंतु अब सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मिल रही बेहतर सुविधाओं की वजह से लोगों की सोच बदली है। अब लोग सरकारी स्वास्थ्य सेवा लेने में नहीं हिचक रहे हैं। केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग को लगातार बेहतर करने में लगी हुई है। बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा लोगों को मिले इसके लिए लगातार कार्य का निरिक्षण जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री एवं सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर द्वारा भी किया जा रहा हैं। उन्ही सेवाओं में से एक है सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू जिसका रविवार को निरीक्षण करते हुए संबंधित कार्यों की गहन समीक्षा की। सिविल सर्जन ने निरिक्षण के दौरान कहा की जिले के सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू सरकारी अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए तो कारगर साबित हो ही रहा निजी अस्पतालों में जन्मे बच्चों के लिए भी जीवन रक्षक साबित हो रहा है। लोग अब निजी अस्पताल की सुविधाओं को छोड़ सरकारी अस्पताल में मौजूद एसएनसीयू पर पूरा भरोसा कर रहे और नवजात शिशुओं को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में ही भर्ती करवा रहे हैं। एसएनसीयू यानी स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट की भूमिका महत्वपूर्ण है। नवजात की मौत से संबंधित अधिकांश मामले प्रसव के 24 घंटों के अंदर घटित होते हैं। समय पूर्व प्रसव, नवजात का संक्रमित होना, प्रसव के दौरान दम घुटना, जन्मजात विकृतियां इसके प्रमुख वजहों में शामिल है। समुचित पोषण का अभाव, कम उम्र में शादी, एएनसी जांच की अनदेखी सहित अन्य वजहों से नवजात किसी जन्मजात विकार के शिकार हो सकते हैं। ऐसे बीमार नवजात को तत्काल सुविधाजनक इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने में एसएनसीयू यानी स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट की भूमिका महत्वपूर्ण है। जिले में नवजात मृत्यु के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से एसएनसीयू के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया जा रहा है। सिविल सर्जन डा. कौशल किशोर ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक हर दिन पैदा होने वाले करीब 20 फीसदी बच्चे किसी न किसी रोग के शिकार होते हैं। तत्काल उचित चिकित्सकीय सुविधा के अभाव में उन्हें जान का खतरा होता है। उन्होंने कहा कि नवजात में रोग का पता लगाना मुश्किल होता है। जन्म के उपरांत बच्चों के वजन, आकार, आव-भाव, हरकत व लक्षणों के आधार पर रोगग्रस्त नवजात की पहचान की जाती है। जन्म के उपरांत बच्चों का नहीं रोना, शरीर व हाथ पांव का रंग पीला होना, हाथ-पांव ठंडा होना मां का दूध नहीं पीना, अधिक रोना, चमकी कटे तालू व होंठ सहित अन्य लक्षणों के आधार पर रोगग्रस्त नवजात की पहचान किये जाने की जानकारी उन्होंने दी। उन्होंने कहा कि एसएनसीयू सेवाओं के प्रति आम लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। ताकि इसका समुचित लाभ उठाया जा सके। सिविल सर्जन के निरीक्षण के क्रम में एसएनसीयू में 13 नवजात इलाजरत मिले। स्टॉफ नर्स भारत सिंह, विनोद कुमार, प्रियंका भारती तैनात मिली। उन्होंने बताया कि रोग पहचान में आने के तत्काल बाद उन्हें एसएनसीयू में इलाज के लिये भर्ती कराया जाता है। आम लोगों के लिये इसकी सेवांए मुफ्त हैं। जबकि निजी क्लिनिकों में इसी सेवा के लिये लोगों को बड़ी रकम चुकानी पड़ती है। सदर अस्पताल उपाधीक्षक डा. अनवर हुसैन ने बताया की एसएनसीयू में वैसे नवजात शिशुओं को भर्ती किया जाता है जिनका जन्म समय से पहले हुआ हो या फिर कमजोर पैदा हुए बच्चों के साथ साथ जन्म के दौरान अन्य समस्याओं से ग्रसित हों। इस दौरान जिले के सरकारी अस्पताल के अलावा निजी अस्पतालों में जन्मे बच्चों को भी भर्ती किया जाता है। उन्होंने ने कहा कि मई माह में 77 कुल बच्चो को एडमिट किया गया जिसमे से 19 बच्चे को रेफर किया गया है वही 53 स्वास्थ्य होकर सकुशल अपने घर गये। जून माह में 82 कुल बच्चो को एडमिट किया गया जिसमे से 09 बच्चे को रेफर किया गया है। वही 72 स्वास्थ्य होकर सकुशल अपने घर गये। जुलाई माह में 68 कुल बच्चो को एडमिट किया गया जिसमे से 15 बच्चे को रेफर किया गया है वही 50 स्वास्थ्य होकर सकुशल अपने घर गये। एसएनसीयू के साथ-साथ आईसीयू एवं नवजात शिशु से जुड़े अन्य विभागों के अलावा सदर अस्पताल के सभी विभागों को बेहतर किया गया है, जिसका परिणाम यह है कि सदर अस्पताल में इलाज के प्रति लोगों में विश्वास जगा है और लोग सभी तरह के इलाज के लिए अस्पताल में पहुंच रहे और बेहतर इलाज से लाभान्वित भी हो रहे हैं। एसएनसीयू के प्रभारी चिकित्सक डा. अंकिता कुमारी ने बताया कि बीमार नवजात का 24 से 48 घंटों तक विशेष चिकित्सकीय देखरेख में रहने की जरूरत होती है। इस दौरान नवजात की सेहत पर विशेष निगरानी रखी जाती है। एसएनसीयू आधुनिक सुविधाओं से लैस है। इसमें रेडियो वॉर्मर, ऑक्सीजन की सुविधा, जॉनडिश पीडित बच्चों के लिये महत्वपूर्ण फोटो थैरेपी सहित नवजात के लिये डाइपर, सक्शन मशीन जैसी सुविधा उपलब्ध है।