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अररिया : विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर मानसिक स्वस्थ्य से जुड़े मुद्दों को लेकर डीडीसी की अध्यक्षता में परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित

अररिया/अब्दुल कैय्यूम, विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर सोमवार को जिला प्रशासन के तत्वावधान में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे को लेकर समाहरणालय स्थित डीआरडीए सभागार में विस्तृत परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उप विकास आयुक्त मनोज कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस परिचर्चा में बड़ी संख्या में वरीय प्रशासनिक व स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया। जिसमें सभी ने अपना विचार व अनुभव साझा करते हुए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े चुनौती व इसके समाधान पर अपने विचार रखे। उप विकास आयुक्त ने कहा कि अपने काम व जिम्मेदारियों के बीच बेहतर सामंजस्य, व्यवस्थित दिनचर्या व अपने आस-पास के माहौल को खुशनूमा बना कर हर तरह के तनाव व उदासी को मात दिया जा सकता है। ऑफिस के काम व पारिवारिक जीवन के बीच बेहतर तालमेल होना जरूरी है। प्राथमिकताओं का निर्धारण व इसका उचित प्रबंधन हमें मानसिक रूप से खुशहाल बनाता है। अपना विचार रखते हुए अनुमंडल पदाधिकारी, अररिया शैलेशंचद्र दिवाकर ने कहा कि हर व्यक्ति की अपनी अलग समस्या है। ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान न हो। अपनी समस्याओं को आपसे बेहतर समाधान कोई और नहीं कर सकता है। इसलिए हर हाल में साकारात्मक बने रहने की जरूरत है। अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, अररिया पुष्कर कुमार ने कहा कि शारीरिक गतिविधियां, पसंदीदा खेल में अपनी भागीदारी व्यक्तिगत जीवन के तनाव को कम करने का सबसे आसान जरिया है। सारी चीजों को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इसलिये कुछ एक चीजों को ब्रह्मांडीय शक्ति पर छोड़ देना भी तनाव दूर करने में कारगर है। जिला शिक्षा पदाधिकारी अररिया राज कुमार ने कहा कि खुशी व आनंद ही सभी के जीवन का परम लक्ष्य है। बहुत सारा पैसा, भौतिक संपदा से आपका जीवन आनंदमय नहीं हो सकता है। अपने शोख व खुशी को तलाशें इसे हासिल करने में अपना वक्त व इनर्जी खपत करें। वरीय उप समाहर्ता सह जिला जनसंपर्क पदाधिकारी अररिया दिलीप कुमार ने कहा कि प्रतिर्स्पद्धाओं से भरे इस दौर में हर व्यक्ति तनाव व अवसाद के दौर से गुजरता है। इसलिये जीवन के प्रति साकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाते हुए स्वस्थ दिनचर्या अपनाना जरूरी है। वरीय उपसमाहर्ता विकास कुमार ने कहा कि जीवन का महत्वपूर्ण पहलू होने के बावजूद मानसिक स्वास्थ्य लोगों की निजी समस्या बन कर रह गयी है। इस पर विस्तृत चर्चा करते हुए इसके प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। कार्यपालक दंडाधिकारी आशा कुमारी ने संयुक्त परिवार के महत्व से अवगत कराते हुए एकल परिवार व व्यक्तिवादी सोच को तनाव व अवसाद का बड़ा कारण बताया। कार्यक्रम में मानसिक स्वास्थ्य पर विचार रखते हुए डीवीबीडीसीओ डॉ अजय कुमार ने बताया कि विकासशील देशों में बीमारियों का स्वरूप भी बदलता रहता है। पूर्व में डायरिया, हैजा, चेचक, पोलियो, कालाजार स्वास्थ्य जनित मुख्य समस्या थी। इसके स्थान पर अब हृदय रोग, मोटापा, कैंसर जैसे रोग तेजी से फैल रहे हैं। इसमे मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण पहलू बन कर उभरा है। धीरे-धीरे लोग इसके प्रति जागरूक भी हो रहे हैं। डीआईओ डॉ मोईज ने कहा कि हमे अतिवादी होने से बचना होगा। तनाव बीमारियों को आमंत्रित करता है। इसलिये इससे बचाव जरूरी है। कार्यक्रम का संचालन कर रहे डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने की जरूरत है। दूसरों से जुड़ना, शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना, दूसरों की मदद करना, पर्याप्त नींद लेना व साकारात्मक बने रहना मानसिक स्वास्थ्य के लिये जरूरी है। बैठक में कई स्वास्थ्य अधिकारी व सहयोगी संस्था के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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