किशनगंज : जिले के सभी ऑगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन का हुआ आयोजन, वैक्सीन से वंचित लोगों को भी केंद्र में किया गया टीकाकृत।

6 माह बाद से शिशुओं को दें अतिरिक्त ऊपरी आहार, पर्याप्त ऊपरी आहार शिशुओं के शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक।
शिशुओं के पोषाहार के लिए इन बातों का रखें ख्याल:
- 6 माह बाद शिशुओं को स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार दें।
स्तनपान के अतिरिक्त दिन में 5 से 6 बार शिशु को अतिरिक्त आहार सुपाच्य भोजन के रूप में दें।
शिशु को मल्टिंग आहार (अंकुरित साबुत अनाज या दाल को सुखाने के बाद पीसकर) देना चाहिए।
माल्टिंग से तैयार आहार से शिशुओं को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
शिशु द्वारा अनुपूरक आहार नहीं खाने की स्थिति में भी उन्हें थोडा-थोडा करके कई बार अतिरिक्त भोजन खिलाना चाहिए।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, शिशुओं के सर्वांगीण विकास के लिए स्तनपान के साथ ही उन्हें बेहतर अतिरिक्त ऊपरी आहार का दिया जाना जरूरी होता है। शनिवार को प्रत्येक माह की तरह 19 तारीख को जिले के सभी प्रखंडों में संचालित ऑगनबाड़ी केंद्रों पर अन्नप्राशन एवं वैक्सीनेशन शिविर का आयोजन हुआ। जिसके माध्यम से जहाँ जिले की सभी सेविका-सहायिका ने अपने-अपने पोषक क्षेत्र में छः माह की उम्र पार करने वाले बच्चों का अन्नप्राशन कराया वहीं, हेल्थ टीम द्वारा वैक्सीनेशन से वंचित लोगों को टीकाकृत किया गया। अन्नप्राशन दिवस पर आईसीडीएस की कोचाधामन की बाल विकास परियोजना पदाधिकारी नमिता घोष के द्वारा मौधो पंचायत के वार्ड संख्या 06 की ऑगनबाड़ी केंद्र में अन्नप्राशन दिवस मनाया गया। उन्होंने बताया कि छः महीने बाद से ही शिशुओं को स्तनपान कराने के साथ अतिरिक्त अनुपूरक आहार दिया जाना चाहिए। इस उम्र में शिशुओं का शारीरिक एवं मानसिक विकास तेजी से होता है। इसलिए इस दौरान शिशुओं को ज्यादा आहार की जरूरत होती है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर महीने 19 तारीख को अन्नप्राशन दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिसमें सेविकाएँ छः माह के शिशुओं को खीर खिलाकर उनका अन्नप्राशन करती हैं। इसके साथ ही अन्नप्राशन दिवस पर माता-पिता या परिजनों को सेविकाएँ शिशुओं को दिए जाने वाले अतिरिक्त आहार की जानकारी देती हैं। हर माह अन्नप्राशन दिवस सभी आंगनबाड़ी केंद्र पर आयोजित किया जाता है। पूजा रामदास जिला परियोजना सहायक ने बताया कि शिशु के लिए प्रारंभिक आहार तैयार करने के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है। सूजी, गेहूं का आटा, चावल, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में मिलाकर दलिया बनाए जा सकते हैं। बच्चे की आहार में चीनी अथवा गुड़ को भी शामिल करना चाहिए।
क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। 6 से 9 माह तक के बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए। वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये। दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के विकास में सहायक होते हैं। जिला समन्वयक मंजूर आलम ने बताया कि इस दौरान मौजूद बच्चों की माँ को बच्चे के स्वस्थ्य शरीर निर्माण को लेकर आवश्यक जानकारियाँ दी गई। इसके अलावा 6 माह से ऊपर के बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के लिए पूरक आहार की जरूरत के विषय में जानकारी दी गयी। 6 माह से 9 माह के शिशु को दिन भर में 200 ग्राम सुपाच्य मसला हुआ खाना, 9 से 12 माह में 300 ग्राम मसला हुआ ठोस खाना, 12 से 24 माह में 500 ग्राम तक खाना खिलाने की सलाह दी गयी। इसके अलावा अभिभावकों को बच्चों के दैनिक आहार में हरी पत्तीदार सब्जी और पीले नारंगी फल को शामिल करने की बात बताई गयी। चावल, रोटी, दाल, हरी सब्जी, अंडा एवं अन्य खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों के विषय में चर्चा कर अभिभावकों को इसके विषय में जागरूक किया गया।