किशनगंज : संयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर व्यवहार न्यायालय में किया गया कार्यक्रम का आयोजन, वक्ताओं ने रखे अपने-अपने विचार।

जैसे बांसुरी में फूंक मारना आसान है, परन्तु फूंक द्वारा सुमधुर ध्वनि निकालना एक कला है और बिना उस कला के बांसुरी नहीं बजायी जा सकती है। उसी प्रकार देश की संप्रभुता व शांति की रक्षा हेतु शक्ति व शांति के प्रयोग की कला आवश्यक है- श्री मनोज कुमार-1, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, किशनगंज
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, व्यवहार न्यायालय, परिसर में आज राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार, नई दिल्ली एवं बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देश के आलोक में जिला विधिक सेवा प्राधिकार, किशनगंज की ओर से आजादी का अमृत महोत्सव कार्यकम में संयुक्त राष्ट्र दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने अपने-अपने सुसंगत विचारों को रखा। श्री आशुतोष पाण्डेय, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, द्वितीय, किशनगंज, श्री श्याम नाथ साह, न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम श्रेणी, किशनगंज, श्री मधुकर प्रसाद गुप्ता, श्रीमती रचना कुमारी पैनल अधिवक्तागण एवं श्रीमती कुमारी गुड्डी, शिक्षिका ने अपने अपने विचार रखा जिनमें संयुक्त राष्ट्र के गठन व उसके उद्देश्यों पर चर्चा की। कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्ज्वलित के बाद “हम होंगे कामयाब” गीत से किया गया। कार्यक्रम के क्रम में विधि-विद्यार्थी की एक कविता “संयुक्त होकर बुराइयों से लड़े हम” का पाठ न्यायालय कर्मी सुश्री पिंकी कुमारी, श्रीमती सबिता कुमारी एवं अर्ध विधिक स्वयं सेवक सुश्री पूर्णिमा कुमारी एवं श्रीमती जोसना पॉल द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन श्री जितेन्द्र कुमार-1, पूर्व सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, किशनगंज समप्रति अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, प्रथम, किशनगंज द्वारा किया गया। श्री मनोज कुमार-1, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, किशनगंज ने अपने संबोधन में यह दर्शाया कि संप्रभुता एवं नागरिकों के शांतिमय विकास हेतु शक्ति, शांति व संयम का संतुलन बनाकर प्रयोग करने की कला होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण देकर यह दर्शाया कि जैसे बांसुरी में फूंक मारना आसान है, परन्तु फूंक द्वारा सुमधुर ध्वनि निकालना एक कला है और बिना उस कला के बांसुरी नहीं बजायी जा सकती है। उसी प्रकार देश की संप्रभुता व शांति की रक्षा हेतु शक्ति व शांति के प्रयोग की कला आवश्यक है। उन्होंने यह दर्शाया कि विकास के साथ-साथ नैतिकता भी आवश्यक है और काल के अनुसार सतर्कता भी आवश्यक है। इस संदर्भ में उन्होंने एक कथा का तथ्य भी प्रस्तुत किया। उन्होंने नैतिकता के संदर्भ में भारतीय दर्शन के अनुसार नैतिक ज्ञान की भी चर्चा की साथ ही आदर्श संयुक्त राष्ट्र (Model United Nation) की चर्चा की, जिसका उद्देश्य शिक्षा में अंतरराष्ट्रीय विधि, संयुक्त राष्ट्र की कार्य-प्रणाली, कूटनीति (Diplomacy) विषय को जोड़ना है।
उन्होंने दर्शाया कि यह वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अंतराराष्ट्रीय शांति एवं विश्वास (International Year of Peace and Trust) के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने श्रोताओं से अपेक्षा किया कि वे सभी संयुक्त राष्ट्र के संदर्भ में जागरूक रहें और लोगों के बीच जागरूकता भी फेलायें। उन्होंने सभी अतिथियों को इस अवसर पर शुभकामनाएँ दी। इस कार्यक्रम का संचालन श्री रजनीश रंजन, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, तृतीय-सह-सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, किशनगंज द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अन्य न्यायिक पदाधिकरियों में श्री सुभाष चन्द द्विवेदी, अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, तृतीय, किशनगंज भी उपस्थित थे। उक्त कार्यक्रम में अधिवक्तागण, शिक्षकगण एवं अर्ध विधिक स्वयं सेवक वगैरह उपस्थित थे।