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किशनगंज : पोस्टर प्रतियोगिता का किया गया आयोजन, 17 सितंबर को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस का होगा आयोजन, “सुरक्षित मातृत्व एवं शिशु देखभाल” है इस वर्ष का थीम।

जिले के सभी अस्पतालों द्वारा गुणवत्ता संबंधी कार्यों का प्रदर्शन पोस्टर प्रतियोगिता के रूप में किया गया।

  • जिलास्तर पर चयनित सर्वश्रेष्ठ 2 पोस्टर को राज्यस्तरीय प्रतिस्पर्धा के लिए भेजा जाएगा।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, रोगी सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 17 सितंबर को विश्व रोगी सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इस बार जिले में 11–17 सितंबर को विश्व रोगी सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है। रोगी सुरक्षा एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है और स्वास्थ्य देखभाल का एक मूलभूत सिद्धांत है। रोगी सुरक्षा स्वास्थ्य देखभाल की प्रक्रिया के कारण रोगियों को होने वाले नुकसान को रोकने के महत्व पर प्रकाश डालता है। रोगी सुरक्षा में सुधार का अर्थ है रोगी को होने वाले नुकसान को कम करना। विश्व रोगी सुरक्षा दिवस के लिए डब्ल्यूएचओ ने सुरक्षित एवं सम्मानजनक शिशु जन्म पर कार्य का चयन किया है। इस आलोक में उन्होंने इस वर्ष का थीम “सुरक्षित मातृत्व एवं शिशु देखभाल” रखा है। इस आलोक में डॉ. सरिता, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के द्वारा जारी पत्र के आलोक में 15 सितम्बर को जिला स्वास्थ्य समिति के प्रांगन में पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें सभी प्रखंड के एक एक ए ग्रेड नर्स ने किए गए गुणवत्ता संबंधी कार्यों का प्रदर्शन पोस्टर प्रतियोगिता के रूप में किया। उक्त कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ मुनाज़िम, जिला कार्यक्रम समन्वयक विस्वजीत, केयर के, प्रशनजीत विस्वास, डॉ सनोज एवं जिला के जीएनएम आदि उपस्थित हुए।

मातृ एवं नवजात मृत्यु दर में कमी लाना जरूरी :

सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन ने बताया दुनिया भर में हर साल निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों के अस्पतालों में असुरक्षित देखभाल के कारण 134 मिलियन प्रतिकूल मामले दर्ज किए जाते हैं। जिसके कारण हर साल 2.6 मिलियन लोगों की मृत्यु हो जाती है। 10 में से 4 मरीजों को प्राइमरी एवं एंबुलेटरी सेटिंग में नुकसान पहुंचता है। इनमें से 80 फीसदी मामलों को स्वास्थ्य सेवा कर्मियों को जागरूक करके रोका जा सकता है। विदित हो की 810 गर्भवती महिलाओं की मृत्यु प्रतिदिन गर्भ एवं शिशु जन्म के दौरान ऐसे कारणों से हो जाती है जो बेहतर प्रबंधन से रोकी जा सकती थी। साथ हीं 6700 नवजात शिशु की मृत्यु हो जाती है जो कि 5 वर्ष से कम आयु मृत्यु दर का 47% है। इसके अतिरिक्त 20 लाख शिशु मृत पैदा होता है। जिसमें से 40% प्रसव के दौरान शिशुओं की मृत्यु हो जाती है। कोविड-19 महामारी ने इस बार समस्या को और गहरा कर दिया है। जिसके लिए सुरक्षित मातृत्व एवं नवजात शिशु के बारे में अभियान चलाया जाना आवश्यक हो गया। गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रशिक्षित स्वास्थ्य प्रदाता के द्वारा उपलब्ध कराकर ही स्टिल बर्थ, मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु को टाला जा सकता है।

रोगियों की सुरक्षाकरना स्वास्थ्य कर्मियों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी :

सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने कहा 17 सितंबर, 2019 को संपूर्ण विश्व में पहला ‘विश्व रोगी सुरक्षा दिवस’ (World Patient Safety Day) मनाया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य किसी भी स्वास्थ्य कर्मी की सबसे पहली और सबसे बड़ी जिम्मेदारी रोगियों की सुरक्षा होती है। रोगियों की सुरक्षा के लिए सभी चिकित्सकों के साथ ही अन्य कर्मियों को भी स्वास्थ्य सेवाओं को अनुशासित और सुरक्षित बनाने की जरूरत है। सभी कर्मी समाज के प्रति जवाबदेह हैं। अभी विशेष रूप से कोरोना काल के समय में रोगियों की सुरक्षा स्वास्थ्य कर्मियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। लिहाजा ऐसे समय में स्वास्थ्य सेवाओं को कुशल और सुरक्षित करने के लिए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को मिलकर योगदान देना चाहिए। रोगियों की जांच के साथ ही उन्हें उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी करें जिससे वे स्वयं का बेहतर ध्यान रख सके।


सिविल सर्जन ने बताया कि रोगी अपनी सुरक्षा के लिए क्या कर सकते हैं :

  • यदि आप एलर्जी से पीड़ित हैं तथा आप अपनी सही और पर्याप्त जानकारी अस्पताल के कर्मचारी को देते हैं, तो वह आपकी उचित सहायता कर सकता है।
  • यदि आपको किसी भी बात पर संदेह है या यदि आप निदान से संबंधित जानकारी से संतुष्ट नहीं हैं, तो उससे संबंधित सवाल अवश्य पूछें।

आपके लिए प्रस्तावित होने वाली किसी भी चिकित्सीय प्रक्रिया के पक्ष एवं विपक्ष के बारे में चिकित्सक से अवश्य पूछें। यदि दवा के माध्यम से दुष्प्रभाव पैदा हो सकता है तो इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।

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