दवंगों की लाठी से मुखिया बनने की परीपाटी को दलित व महादलितों ने जमकर किया विरोध

औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड का हसौली पंचायत के तेलियाडीह गांव के दलितों-महादलितों का आरोप दबंग नही देने देते वोट,
मतधिकार के लिए जिलि प्रशासन से गाँव में मतदान केन्द्र बनाने की माँग।
आनिल कुमार मिश्र:-औरंगाबाद (बिहार) 11 सितम्बर 2021 :- भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव सुधार के लिए तमाम प्रयासों के बावजूद भी आज कुछ ऐसी जगहें है, जहां के दलित-महादलित , देश की आजादी के 74 साल बाद भी मताधिकार से वंचित है। हम बात कर रहे है बिहार के औरंगाबाद जिले के देव प्रखंड के हसौली पंचायत के तेलियाडीह गांव की। यहां के वोटरों ने एक बार फिर से इस बार हो रहे पंचायत चुनाव में वोट देने से रोक दिए जाने की आशंका जताई है।
महादलितों का आरोप है कि प्रायः हर चुनाव में इलाके की दबंग जाति के लोग उन पर अपने मनमाफिक उम्मीदवार को वोट देने का दबाव बनाते है और उन्हे जब लगता है कि वे उनके पसंदीदा प्रत्याशी को वोट नही करेगें तो उन्हे वोट देने से रोक दिया जाता है। इसके लिए वे कई तरह के हथकंडे अपनाते है और शासन-प्रशासन की नजर में इस कृत्य को नजर नही आने देने के लिए उन्हे बूथ से काफी दूर पहले ही डरा धमका कर खदेड़ दिया जाता है।
मताधिकार से वंचित मतदाताओं का कहना है कि मतदाता जागरूकता अभियान में हर चुनाव के पहले अधिकारी उन्हे कहते है कि वे निर्भीक होकर चुनाव में भाग ले और मतदान करें, किन्तू मतदान के दिन कुछ और ही दवंगों का तांड़व होता है। बूथ की ओर जब वे वोट डालने के लिए जाते है दवंगो द्वारा अपने चहेते उम्मीदवार को वोट देने के लिए कहा जाता है अन्यथा बिना वोट दिए वहाँ से लौट दिया जाता है।
शासन-प्रशासन के अधिकारियों से यहां के वोटरो ने अपने मताधिकार की रक्षा की गुहार लगाते हुए इस बार के पंचायत चुनाव में भी अपने साथ ऐसा ही कुछ होने की आशंका जताई है। यहां के वोटरो की मांग है कि उनके गांव में ही बुथ बनाया जाएं ताकि वे आसानी से मतदान के पर्व में हिस्सा ले सके।
शासन-प्रशासन के रवैये के प्रति मतदाताओं में आक्रोश भी साफ झलकता है।
ऐसे में देखना यह होगा कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा क्या ऐसे प्रबंध किए जाएंगे, जिससे कि यहां के दलित-महादलित पंचायत चुनाव में भाग ले सके और अपने पसंद के उम्मीदवारों को वोट कर सके ताकि पंचायती राज व्यवस्था में भी लोकतंत्र का झंडा बुलंद रह सके।