खर्राटों के लिए होमियोपैथी में है कारगर इलाज

डॉक्टर लक्ष्मी नारायण सिंह-भागदौड़ के दिनों में सुकून भरी नींद कि चाह व आवश्यकता हर प्राणी को होती है। आप सोचें यदि रात भर पर्याप्त सोने के पश्चात भी व्यक्ति दिन भर ऊंघाता रहे, बैठे-बैठे ही सो जाए, हर थोड़ी देर के बाद जम्हाईया ले। उक्त सभी लक्षणों को नजरअंदाज करना व्यक्ति के स्वास्थ्य व सामाजिक दोनों पक्षों को क्षति पहुंचा सकता है। उक्त लक्षण संकेत है कि व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
होमियो दवाएं लक्ष्ण के अनुसार इस्तेमाल करें?
1- लक्ष्ण अत्यंत गहरी नींद आती है। नींद के दौरान रोगी तेज तेज खर्राटा भरी आवाज करता है। गहरी लंबी सांसे खींचता है। खूब जोर लगाता है, स्वसन संस्थान पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति हेतु परंतु दिमाग की शिथिलता के कारण वह रोगी उदास रहता है। थकान महसूस करता है -दवा का नाम है ओपियम 20 एक बूंद तीन बार रोज लेना चाहिए।*
2-व्यक्ति का नाक व गला सदैव सूखा रहता है। जिसके चलते जलन, गुड गुड आहट सीटी जैसी आवाज पैदा होती है। व्यक्ति जब सोता है तो स्पष्ट तीव्र सीटियां सुनाई देती है। जैसे स्वांस-प्रस्वास किसी बांसुरी से गुजर रहा हो ऐसी अवस्था नींद आते ही शुरू हो जाती है। रात भर अत्यंत सफोकेशन व बेचैनी रहती है। जैसे किसी कपड़े या sponge की तरह श्वसन में व्यवधान आ रहा है-स्पॉजिया टोस्टा एक बूंद तीन बार रोज लेना चाहिए।
3- खुली नाक से गाढ़ा सफेद श्लेष्पा स्रावित होता रहता है। कुछ समय बाद खुली नाक बंद हो जाएगी व बंद नाक से श्लेष्पा प्रवाहित होता है यही क्रम सतत चलता रहता है व रोगी नींद में अत्यंत परेशान रहता है। खर्राटे आते हैं व थोड़ी थोड़ी देर बाद स्वसन अवरोध के कारण रोगी जाग जाता है। रोगी को ऊपर से गिरने, सीडीओ से फिसलने के सपने आते हैं व रोगी चमक कर उठ बैठता है-लेक कैनाईम 30 एक बूंद तीन बार रोज लेना यह बहुत कारगर दवा है।
4- रोगी के गर्दन वह छाती पर स्पर्श तक का वर्दाश्त ना कर पाए सदैव दबाव व धुटन महसूस करें। है थोड़ी देर बाद लंबी गहरी सांस ले व सूखापन के कारण जवान बाहर निकालें। ऐसी रोगी जब सोते हैं तो स्वसन में व्यवधान आता है, खराटे आएंगे, दम घुटेगा वह रोगी को गर्मी व बेचैनी महसूस होती है। जिसके चलते घबरा कर उठ बैठता है। गर्म पसीने से नहा जाएगा लैकेसिस 30 एक बूंद तीन बार रोज लेना चाहिए।
5-गर्दन झुकाते ही, मुंह धोते समय, पढ़ते समय रोगी के नाक से खून आ जाती है, जिसका कारण है रक्त का प्रभाव, रोगी के नासा शीर्ष की ओर तीव्र होना जिससे रोगी की नाक अति संवेदनशील होती है। हल्का स्पर्श भी बर्दाश्त नहीं कर पाती। रात्रि में तीव्र खराटे आते हैं। सोते समय रोगी की नाक बंद रहती है मुंह से स्वास्थ लेना पड़ता है। व्यवधानपूर्वक निंद्रा। रोगी के गर्दन में कुचलन सा दर्द सदैव बना रहता है -अमोनियम कार्व 30 एक बूंद तीन बार रोज लेना चाहिए
6-जुकाम ,थकान व ज्वर की शिकायत बनी रहती हो उस अवस्था में निंद्रा के समय खर्राटे होना स्वाभाविक है क्यों कि लम्बे समय में संक्रमण के चलते सूजन आ जाती है व श्वसन में वादा आती है लेम्ना माइनर 30 एक बूंद तीन बार रोज लेना चाहिए यह बहुत कारगर दवा है।
7-आरामतलवी लोग , अधेड़ उम्र,व कमजोरी,शराब, तम्बाकू आदि का भरपूर सेवन ऐसे लोगों को खर्राटा आने पर -डिजिटलिस 30 एक बूंद तीन बार रोज लेना चाहिए
कोई भी दवा चिकित्सक के सलाह से ही इस्तेमाल करें