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भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर 5 सितंबर को मनाया जाता है शिक्षक दिवस।।….

.जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 05 सितम्बर :: भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को थिरुथानी, तमिलनाडु में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति और पहले उप-राष्ट्रपति बने थे। उन्हें 1954 में भारत रत्न से नवाजा गया था। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 27 बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया था। राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे. डॉ राधाकृष्णन पूरे विश्व को एक विद्यालय मानते थे। उनका कहना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए।

राधाकृष्णन द्वारा दिये गए संदेश से हमें शक्ति मिलती है। उनका कहना था कि –
पुस्तकें वह माध्यम हैं, जिनके जरिये विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण किया जा सकता है।

– शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।

– किताबें पढ़ने से हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी मिलती है।

– शांति राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से नहीं आ सकती बल्कि मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है।

– शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है। अत: विश्व को एक ही इकाई मानकर शिक्षा का प्रबंधन करना चाहिए।

– हमें तकनीकी ज्ञान के अलावा आत्मा की महानता को प्राप्त करना भी जरूरी है।

– शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ लड़ सके।

– कोई भी आजादी तब तक सच्ची नहीं होती है, जब तक उसे पाने वाले लोगों को विचारों को व्यक्त करने की आजादी न दी जाये।

– भगवान की पूजा नहीं होती, बल्कि उन लोगों की पूजा होती है जो उनके नाम पर बोलने का दावा करते।

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में माता-
पिता के बाद शिक्षक का अहम योगदान होता है। शिक्षक अपने ज्ञान से विद्यार्थियों के जीवन को ही आलोकित नहीं करते बल्कि पूरे समाज को नई दिशा प्रदान करते हैं। समय के साथ शिक्षा के क्षेत्र में आई नवीन चुनौतियों के कारण शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ी है।

वर्तमान में पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है जिसका सीधा असर शिक्षा पर भी पड़ा है।स्कूलों के लम्बे समय तक बंद रहने की स्थिति में शिक्षा व्यवस्था में बदलाव भी करना पडा है। बच्चों को पढ़ाई से निरंतर जोड़े रखने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने आनलाईन पढ़ाई शुरू किया है।

अनेक शिक्षक स्वेच्छा से अपने आसपास की परिस्थितियों के आधार पर बच्चों की शिक्षा के लिए उपाय कर रहे हैं।

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