तेजस्वी यादव की अनर्गल बयानबाजी महज सत्ता पाने की बौखलाहट – राजीव रंजन प्रसाद
मुकेश कुमार/जद (यू) राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजीव रंजन प्रसाद ने तेजस्वी यादव की मीडिया में बयानबाजी पर निशाना साधते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष की बयानबाजी महज सत्ता पाने की बौखलाहट के सिवा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक तौर पर अंधेरे में रहने वाले तेजस्वी यादव को ये नहीं भूलना चाहिए कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही उन्हें 37 महीने तक महागठबंधन सरकार में राजनीतिक रोजगार देने का काम किया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की कृपा पर डिप्टी सीएम बने तेजस्वी यादव को ये समझना चाहिए कि सांविधानिक तौर पर राज्य सरकार में डिप्टी सीएम का कोई पद नहीं होता। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसलों का तेजस्वी यादव के द्वारा क्रेडिट लेना ना केवल जनता को भ्रमित करना है बल्कि ये हास्यास्पद भी है। तेजस्वी यादव बखूबी जानते हैं कि मुख्यमंत्री की अगुवाई में कैबिनेट की बैठक होती है जहां सरकार के फैसलों पर मुहर लगाई जाती है और फिर उसका क्रियान्वयन होता है। राज्य के लोगों की भलाई के लिए कोई भी नीतिगत फैसला मुख्यमंत्री लेते हैं ना कि डिप्टी सीएम।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने सफलतापूर्वक राज्य में जाति आधारित सर्वे कराने का काम किया और इस सर्वे के आधार पर चिह्नित 94 लाख परिवारों के एक सदस्य को स्वरोजगार एवं आर्थिक सहायता के तौर पर दो-दो लाख रुपए देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार की सात निश्चय पार्ट दो योजना के तहत आज लाखों युवाओं को सरकारी नौकरी देने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामों का क्रेडिट लेने के बदले अपने माता-पिता के शासनकाल के दौरान हुई बातों का भी मीडिया के सामने उल्लेख करना चाहिए और बताना चाहिए कि कैसे उस शासनकाल के दौरान युवाओं को नौकरी नहीं मिलती थी बल्कि सरकारी नौकरी की बोली लगती थी।
खुद को दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों का फर्जी खेवनहार बनने का दावा करने वाले तेजस्वी यादव को मीडिया के सामने ये भी बताना चाहिए कि कैसे लालू प्रसाद यादव एवं राबड़ी देवी शासनकाल के दौरान दलितों का नरसंहार हुआ और सैंकड़ों निर्दोष लोगों की जानें गई। तेजस्वी यादव को ये भी बताना चाहिए कि कैसे इनके पिता लालू प्रसाद यादव जब यूपीए सरकार में किंगमेकर की भूमिका में थे तो उन्होंने कभी भी जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की सिफारिश तत्कालीन केंद्र सरकार से नहीं की। ये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिशों का ही परिणाम है कि उन्हें केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत रत्न की उपाधि प्रदान की और अति पिछड़ा समुदाय को सम्मानित करने का काम किया।