राजनीति

बिहार को पलायन और गरीबी के दलदल में ढकेलने वाले आज कर रहे झूठा दावा – अंजुम आरा

मुकेश कुमार/जद (यू) प्रदेश प्रवक्ता श्रीमती अंजुम आरा ने मीडिया में जारी बयान में कहा कि जिनके शासनकाल में बिहारवासियों ने पलायन और गरीबी का दंश झेला उन्हें आज जनता के साथ झूठा वादा नहीं करना चाहिए। उन्होंने तेजस्वी यादव पर आरोप लगाते हुए कहा कि महज चुनावी फायदे के लिए नेता प्रतिपक्ष लोगों को भ्रमित करने में लगे हैं।
उन्होंने कहा कि साल 1990 से लेकर साल 2005 तक के लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल को कौन भूल सकता है जब बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, डर के चलते लोगों ने बिहार से पलायन किया। उस दौर में अपहरण, हत्या, अवैध वसूली के डर से बड़े पैमाने पर बिहार से उद्योगपतियों, छात्रों, किसानों का पलायन हुआ जिससे ना केवल राज्य की अर्थव्यवस्था चैपट हुई बल्कि कृषि व्यवस्था भी चैपट हो गई।
तेजस्वी यादव को राज्य सरकार पर आरोप लगाने से पहले जरा अपने माता पिता के शासनकाल के दौरान बिहार में उद्योगों की क्या हालत थी, रोजगार के कितने अवसर लोगों को उपलब्ध हुआ करते थे इस बारे में सवाल पूछना चाहिए। उन्हें अपने माता-पिता से ये भी सवाल करना चाहिए कि उनके माता पिता ने अपने शासनकाल के दौरान बिहार से पलायन और गरीबी को खत्म करने को लेकर क्या-क्या उपाय किए? तेजस्वी यादव को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा कि गरीबी को लेकर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार सरकार पर सवाल उठाने से पहले उन्हें जरा आंकड़ों पर भी गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब उनके माता-पिता के कुशासन से बिहार मुक्त हुआ था तो उस दौरान बिहार में गरीबी की दर करीब 78 फीसदी के पास थी, जो कि साल 2022-23 तक मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की सरकार में करीब 27 फीसदी रही गयी। उन्होंने कहा कि ये साफ दर्शाता है कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार राज्य से गरीबी दूर करने को लेकर कितने गंभीर हैं और उनकी सरकार की तरफ से लागू योजनाओं से लोगों को कितना फायदा हो रहा है।

उन्होंने राज्य से पलायन को कम करने और गरीबी दूर करने को लेकर अनेकों योजनाएं बनाई और उनका सफल कार्यान्वयन कराया। राज्य में लोगों को रोजगार के नए-नए अवसर उपलब्ध कराए गए। लाखों की तादाद में युवाओं को सरकारी नौकरियां मुहैया करायी गयी जिससे खासकर युवाओं का राज्य से पलायन रुका। बिहार में नए-नए उद्योंगों की स्थापना की गई जहां हजारों की तादाद में रोजगार के नए अवसर सृजित किए गए जिससे लोगों का पलायन भी काफी हद तक कम हो गया साथ ही लोगों की आर्थिक स्थिति में भी बदलाव हुआ।

 

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