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ठाकुरगंज : बरचौंदी के मुखिया प्रतिनिधि वीरेंद्र प्रसाद सिंह ने उठाए विकास और व्यवस्था पर गंभीर सवाल, सरकार से ठोस कदम की मांग

किशनगंज,13जून(के.स.)। फरीद अहमद, जिले के ठाकुरगंज प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत बरचौंदी के मुखिया प्रतिनिधि बीरेंद्र प्रसाद सिंह ने पंचायत की जमीनी स्थिति को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने वर्ष 2006 में राजनीति में कदम रखा और अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत सरपंच पद की जीत के साथ की। इसके बाद वे मुखिया बने और वर्तमान में मुखिया प्रतिनिधि के रूप में पंचायत के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

बीरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि पहले सरकार ‘सात निश्चय योजना’ के तहत पंचायतों को समुचित धन आवंटन करती थीं, जिससे गांवों में विकास के कार्य नियमित रूप से होते थे। लेकिन अब सरकार की ओर से उतना बजट नहीं मिलता, जिससे कई विकास कार्य अधूरे रह जाते हैं। उन्होंने पंचायत सरकार भवन के निर्माण पर सरकार द्वारा खर्च किए जा रहे 3 करोड़ रुपये पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि यही राशि गांवों के विकास कार्यों में लगाई जाती, तो पंचायत के हर गांव में प्रभावशाली विकास नजर आता।

नल जल योजना को बताया असफल

मुखिया प्रतिनिधि ने नल जल योजना को पूरी तरह विफल बताया। उन्होंने बताया कि पंचायत में लगभग 20 से अधिक जल प्लांट लगाए गए हैं जिन पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन उनमें से केवल दो-तीन प्लांट ही सुचारू रूप से कार्य कर रहे हैं। उनका कहना था कि लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

स्वास्थ्य सेवाओं पर भी उठाए सवाल

बीरेंद्र प्रसाद सिंह ने ठाकुरगंज के सरकारी अस्पताल की बदहाली पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है। मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है और कई जरूरी जांच बाहर से करवानी पड़ती है, जिससे गरीबों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि अस्पताल में सभी प्रकार की जांच की व्यवस्था हो और विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की जाए।

शिक्षा व्यवस्था पर तीखा प्रहार

शिक्षा के मुद्दे पर उन्होंने पंचायत में मौजूद 11 प्राथमिक विद्यालय और एक उच्च विद्यालय की व्यवस्था पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि शिक्षकों पर हर साल लगभग एक करोड़ से अधिक रुपये खर्च होते हैं, साथ ही मिड डे मील, मेंटेनेंस और समिति सदस्य पर भी राशि खर्च होती है, लेकिन इसके बावजूद शिक्षा का स्तर निराशाजनक है।

उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि एक बार उन्होंने आठवीं कक्षा के छात्र से “एक बटे दो” और “एक बटे तीन” में से बड़ा कौन है, यह पूछा तो छात्र जवाब नहीं दे पाया। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षक विद्यालय में कई बार तो गेट बंद होने के बाद आराम करते हुए मिलते हैं। जब वे निरीक्षण के लिए जाते हैं, तो शिक्षक टोकते हुए कहते हैं कि मुखिया प्रतिनिधि का स्कूल से क्या लेना-देना?

बिजली व्यवस्था की बदहाली पर भी जताई चिंता

मुखिया प्रतिनिधि बीरेंद्र प्रसाद सिंह ने बिजली व्यवस्था को लेकर भी गंभीर चिंता जाहिर की। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत बरचौंदी में बिजली आपूर्ति की स्थिति बेहद लचर है। कई वर्षों से पुराने और जर्जर तार झूलते हुए दिखाई देते हैं, जो समय-समय पर टूटकर गिर जाते हैं। इससे न केवल बिजली आपूर्ति बाधित होती है, बल्कि जान-माल के नुकसान का भी खतरा बना रहता है।

सरकार से की ठोस पहल की मांग

बीरेंद्र प्रसाद सिंह ने बिहार सरकार से मांग कि है कि वह शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए समय-समय पर स्कूल निरीक्षण का आदेश जारी करे और छात्रों की योग्यता जांच के लिए नियमित टेस्ट करवाए। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति ,बिजली व्यवस्था और विकास कार्यों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक गांवों का समग्र विकास संभव नहीं है।

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