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किशनगंज में प्रसवपूर्व जांच बनी सुरक्षित मातृत्व की गारंटी, अब तक 18,492 महिलाओं ने पूरी की चार एएनसी जांच

किशनगंज,07 जून(के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, मां बनना एक स्त्री के जीवन का सबसे सुखद अहसास होता है, लेकिन यह सफर तभी सुरक्षित हो सकता है जब गर्भावस्था के दौरान जच्चा और बच्चा की समुचित देखभाल की जाए। इसी उद्देश्य को लेकर प्रसवपूर्व जांच यानी एंटी-नेटल केयर (ANC) पर स्वास्थ्य विभाग खास जोर दे रहा है।

सदर अस्पताल की महिला चिकित्सक एवं गायनाकोलॉजिस्ट डॉ. शबनम यास्मिन बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से चार बार प्रसवपूर्व जांच कराने से मां और नवजात दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। इससे उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की समय रहते पहचान हो जाती है और उचित उपचार संभव होता है। प्रसवपूर्व जांच में रक्तचाप, हीमोग्लोबिन, वजन, शुगर, प्रोटीन, एचआईवी टेस्ट, टेटनस इंजेक्शन और आयरन-फोलिक एसिड की टैबलेट शामिल होती हैं।

डॉ. यास्मिन के अनुसार गर्भवती महिला की पहली जांच 12 सप्ताह के भीतर, दूसरी 14–26 सप्ताह, तीसरी 28–34 सप्ताह और चौथी 36 सप्ताह से प्रसव तक कराई जानी चाहिए।

जनवरी 2025 से अप्रैल 2025 तक किशनगंज जिले में 18,492 महिलाओं की चार बार प्रसवपूर्व जांच की गई है। सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी के अनुसार, जिले में आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से इस संख्या को लगातार बढ़ाया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता गांवों में महिलाओं और उनके परिवारों को एएनसी जांच के महत्व के बारे में जागरूक करती हैं और उन्हें स्वास्थ्य केंद्र तक ले जाकर जांच कराने के लिए प्रेरित करती हैं।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के अनुसार, बिहार में अब भी केवल 25% गर्भवती महिलाएं ही चार बार प्रसवपूर्व जांच कराती हैं। जबकि पांच वर्ष पहले NFHS-4 में यह आंकड़ा मात्र 12% था। यानी पांच सालों में इसमें दोगुना वृद्धि हुई है। किशनगंज में स्वास्थ्य विभाग इस आंकड़े को और बेहतर करने के लिए प्रयासरत है।

प्रसवपूर्व जांच के माध्यम से कुपोषण, गंभीर रोग, और जटिलताओं की समय रहते पहचान हो पाती है जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है। इसके लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और जननी सुरक्षा योजना जैसी सरकारी योजनाएं भी सहयोग कर रही हैं।

स्वास्थ्य विभाग की अपील है कि गर्भावस्था की पुष्टि होते ही महिलाएं नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें, आशा बहनों से जुड़ें और नियमित रूप से प्रसवपूर्व जांच कराएं, ताकि सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।

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