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किशनगंज : जिले में बाल हृदय योजना से पीड़ित गरीब बच्चों को मिल रहा जीवनदान।

03 बच्चों के हृदय का किया गया सफल ऑपरेशन, तीन और बच्चों का होना है ऑपरेशन, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हुआ निःशुल्क उपचार

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ कार्यक्रम के तहत बाल हृदय योजना गरीब बच्चों के लिये जीवनदायनी साबित हो रही है। इस कार्यक्रम के तहत 18 साल तक के बच्चों का जन्मजात 40 से अधिक बीमारियों के निःशुल्क उपचार की पूरी व्यवस्था की गयी है। कार्यक्रम के तहत शून्य से 18 साल के बच्चों को स्क्रीनिंग के बाद बेहतर चिकित्सा के लिये हायर सेंटर भेजा जाता है। इस क्रम में अब तक 03 बच्चों के हृदय का सफल ऑपरेशन किया गया। सर्जरी के बाद सभी बच्चे अहमदाबाद से अपने घर लौट चुके हैं। वहीं तीन और बच्चों का ऑपरेशन होना है। विभागीय जानकारी के अनुसार उनको अहमदाबाद भेजा जायेगा। विदित हो कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम जिले के विभिन्न स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की स्क्रीनिंग कर दिल में छेद से ग्रसित बच्चों को चिह्नित करती है। उसके बाद एम्बुलेंस से बच्चों को इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान पटना में भेजकर स्क्रीनिंग करायी जाती है। इनमें से चयनित बच्चों का अहमदाबाद के सत्य साईं हॉस्पिटल में निःशुल्क ऑपरेशन कराया जाता है। बच्चे के साथ एक अटेंडेंट भी हवाई यात्रा कर अहमदाबाद जाते हैं। उनके रहने खाने, चिकित्सकीय प्रबंधन, दवा की निःशुल्क व्यवस्था की जाती है।सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने गुरुवार को जानकारी देते हुए बताया कि जिले में हृदय में छेद के साथ जन्में 03 बच्चों की सफल सर्जरी हो चुकी है। इसमें बहादुरगंज प्रखंड की 04 वर्षीय फराह नाज, दिग्हलबैंक प्रखंड की 04 वर्षीय इरम आरजू एवं बहादुरगंज प्रखंड की 10 वर्षीय मलिका रानी शामिल हैं। इन सभी बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी व सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। सभी बच्चे स्वस्थ्य हैं। इसके अलावा 03 और बच्चे का चयन किया गया है जिसे जल्द ही जिले से सफल सर्जरी के लिए भेजा जायेगा। एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से नौ बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं। जिनमें से लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष तक के बच्चों को किसी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर आईजीआईएमएस, एम्स, पीएमसीएच भेजा जाता है। टीम में शामिल एएनएम, बच्चों का वजन, उनकी लंबाई व सिर एवं पैर आदि की माप व नाप तौल आदि करती हैं। फार्मासिस्ट रजिस्टर में स्क्रीनिंग किये गये बच्चों का ब्योरा तैयार करते हैं। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी बच्चों को चार मुख्य समस्याओं पर केंद्रित किया जाता है। इनमें डिफेक्ट एट बर्थ, डिफिशिएंसी डिजिज, डेवलपमेंट डीले तथा डिसेबिएलिटी आदि शामिल हैं। इससे जुड़ी सभी तरह की बीमारी या विकलांगता को चिह्नित कर इलाज किया जाता है। आरबीएसके के माध्यम से व मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना की मदद से हृदय में जन्मजात छेद से ग्रसित जिले के कई बच्चों को नया जीवनदान मिला है। इतना ही नहीं बच्चों में होने वाले न्यूरल ट्यूब की खराबी, डाउन सिंड्राम, कटे होठ व तालू, जन्मजात मोतियाबिंद व बहरापन, दृष्टि संबंधी दोष ही नहीं बच्चों के विकासात्मक कमियां जैसे ज्ञानबोध का विलंब, भाषा विलंब, व्यवहारगत विसंगति सीखने का क्रम भंग ध्यान की कमी सहित अन्य समस्याओं के समुचित इलाज का नि:शुल्क इंतजाम हैं। जरूरतमंदों को इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना चाहिये। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक डॉ. ब्रहमदेव शर्मा ने कहा कि जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के संचालित कार्यों के नियमित अनुश्रवण व निरीक्षण की जिम्मेदारी सभी अधिकारियों को सौंपी गयी है। इसी क्रम में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा संचालित गतिविधियों में तेजी लाने के उद्देश्य से इसका अनुश्रवण किया जा रहा है। उन्होंने कहा आरबीएसके सरकार की ऐसी योजना है, जिसमें धर्म, जाति व आय सहित अन्य आधार पर किसी से कोई भेद नहीं किया जाता है। इसमें समाज के हर वर्ग व तबका के 0 से 18 साल तक के बच्चों में होने वाले गंभीर से गंभीर रोगों के नि:शुल्क इलाज का इंतजाम है।

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