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किशनगंज : जागरूक होकर महिलाएं करा रही हैं परिवार नियोजन।

लगातार बढ़ रही जनसंख्या नियंत्रण के लिए आवश्यक है बंध्याकरण।

  • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पोठिया एवं ठाकुरगंज में प्रखंड समन्वय समिति की बैठक।
  • “बच्चे अपने मर्जी से अनचाहे नहीं” संदेश के साथ बंध्याकरण में एफ आर एच एस टीम कर रही है सहयोग।
  • बंध्याकरण कराने वाले को सरकार देती है आर्थिक सहायता।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, गरीबी, बेराजगारी तथा महंगाई आदि जैसी समस्याओं से बचाव को जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कराया जाना जरूरी है। जिसके लिए महिलाओं के साथ पुरुषों का भी बंध्याकरण कराया जाना आवश्यक है। यह कहना है जिला योजना समन्वयक विस्वजीत कुमार का। उन्होंने पोठिया में प्रखंड स्तरीय समन्वयक की बैठक में बताया कि 27 जून से आगामी 10 जुलाई तक दम्पति संपर्क पखवाड़ा एवं आगामी 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा का आयोजन किया जाएगा। जिले के महिलाएं व पुरुषों में बढ़ती जनसंख्या के कारण उत्पन्न समस्याओं से बचने के प्रति जागरूकता देखी जा रही है। इसी से प्रेरित होकर महिलाएं परिवार नियोजन करा रही हैं। पोठिया के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रंजन कुमार ने कहा कि परिवार नियोजन के स्थायी समाधान के लिए महिला या पुरुषों का बन्ध्याकरण कराया जाना जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए लगातार स्वास्थ्य विभाग की ओर से लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जगह-जगह पोस्टर, बैनर, प्रचार गाड़ी सोशल मीडिया के साथ आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से समय समय पर अस्पतालों में बन्ध्याकरण कराने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है। साथ ही बन्ध्याकरण कराने वाले महिला या पुरुषों को आर्थिक लाभ भी दिया जाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में काफी महिला बंध्याकरण किया गया। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है। परिवार नियोजन कार्यक्रम को जन आंदोलन का रूप दिया जाना चाहिए। देश में बाल-विवाह पर कारगर कानूनी रोक लगायी जानी चाहिए। पुरुष बन्ध्याकरण या पुरुष नसबंदी, पुरुषों के लिए शल्यक्रिया द्वारा बन्ध्याकरण प्रक्रिया है। पुरुषों को भी बन्ध्याकरण को आगे आना चाहिए। डॉ रंजन कुमार ने कहा कि-छोटा परिवार खुशियां अपार” संदेश के साथ बंध्याकरण में सभी आशा कर्मी एवं प्रखंड सामुदायिक समन्वयक एवं आशा फैसिलिटेटर सहयोग कर रही है। उन्होंने बताया कि अनचाहे गर्भ धारण से बचाव को बन्ध्याकरण जरूरी है। यह एक मामूली तथा साधारण सी शल्य क्रिया है। पुरुषों को शल्यक्रिया के पश्चात कम से कम 48 घंटे आराम करना होता है। एक सप्ताह तक उन्हें कोई भारी सामान नहीं उठाना चाहिए। एक सप्ताह आराम के बाद ही कोई कार्य आरंभ करनी चाहिए। यदि शल्य क्रिया के बाद तेज बुखार, अधिकाधिक या लगातार रक्त स्राव, सूजन या दर्द होता हो, तो तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। पुरुष का बन्ध्याकरण करना सुरक्षित और आसान है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार सहनी ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र पोठिया में भी दंपत्तियों को परिवार नियोजन की सभी विधि विशेषकर अस्थायी विधि की जानकारी दी जाती है। जिससे कि लोग इसका लाभ उठा सकें। अस्थायी विधि का उपयोग कर लोग पहले बच्चे तथा दूसरे बच्चे के बीच अंतर रख सकते हैं। इसके अलावा फैमिली प्लानिंग कार्नर द्वारा लोगों को स्थायी विधि के रूप में पुरुष नसबंदी की भी जानकारी दी जाती है। उन्हें बताया जाता है कि पुरुष नसबंदी महिला बंध्याकरण की तुलना में आसान है। इससे पुरुषों की पौरुषता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। 

परिवार नियोजन के उपायों को जानें:

महिला नसबंदी एक स्थायी साधन है जिसे मात्र 15 मिनट में दक्ष चिकित्सक द्वारा किया जाता है। या विधि प्रसव/गर्भपात के 7 दिन के अंदर या 6 सप्ताह बाद अपनाया जा सकता है।

पुरुष नसबंदी भी एक स्थायी साधन है जिसे मात्र 10 मिनट में दक्ष चिकित्सक द्वारा बिना चीड-फाड़ के किया जाता है जिसमें 1 घंटा बाद लाभार्थी की छुट्टी भी हो जाती है। यह विधि कभी भी अपनायी जा सकती है एवं इससे किसी भी प्रकार की कमजोरी नहीं होती है।

कॉपर-टी एक अस्थायी विधि जिससे बच्चों के जन्म में अंतर रखा जा सकता है| कॉपर- टी विधि 10 वर्षों एवं 5 वर्षों के लिए अपनायी जा सकती है। कॉपर-टी निकलवाने के बाद प्रजनन क्षमता तुरंत वापस आ जाती है।

गर्भ निरोधक गोली माला-एन एक सुरक्षित हार्मोनल गोली है जिसे महिला को एक गोली प्रतिदिन लेनी होती है। माहवारी शुरू होने के 5वें दिन से गोली की शुरुआत करनी चाहिए। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रसव के 6 माह तक इस गोली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

अंतरा एवं छाया दोनों परिवार नियोजन की नवीन अस्थायी विधियाँ हैं। अंतरा एक सुई है जो तीन माह तक प्रभावी रहती है।लंबे समय तक सुरक्षा के लिए हर तीन महीने में सुई लगवानी होती है। जबकि छाया एक गोली है जिसे सप्ताह में एक बार तीन महीने तक, फिर सप्ताह में केवल एक बार जब तक बच्चा न चाहें।

नसबंदी कराने पर मिलती है प्रोत्साहन राशि:

जिला योजना समन्वयक विस्वजीत कुमार ने बताया की नसबंदी कराने वाले लाभार्थी को 3000 रुपये, उत्प्रेरक को 400 रुपये, प्रसव के तुरंत बाद बंध्याकरण कराने पर लाभार्थी महिला को 3000 रुपये उत्प्रेरक को 400 रुपये। पीपीआईयूसीडी बंध्याकरण पर लाभार्थी को 2000 रुपये एएनएम को 150 रुपये, आशा को 150 रुपये, प्रसव पश्चात कॉपर टी लगवाने पर 300 रुपये, गर्भपात उपरांत कॉपर टी लगवाने पर लाभार्थी को 300 रुपये, अंतरा प्रति सुई लगाने पर प्रति लाभार्थी 100 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। मौके पर प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक सुनील कुमार शामिल के अलावे सभी स्वास्थ्य कर्मी शामिल थे।

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