सुनामी हो या भूकंप जब भी आते हैं अपने साथ भारी तबाही लेकर आते हैं। उतराखंड की बाढ़ हो या 2004 की सुनामी इनकी तबाही का मंजर शायद ही लोग भूल पाएंगे। इन आपदाओं की तबाही से उभरे भी नहीं के उससे पहले एक और आपदा दैत्य रूपी मुहं खोले सामने खड़ी है। दरअसल नेचर जियोसाइंस नामक एक जर्नल जो की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से जुड़ा है, के एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बांग्लादेश एवं पूर्वी भारत में एक बड़ा भूकंप आ सकता है, जो भारी तबाही लेकर आएगा। माना जा रहा है कि अभी हाल में नेपाल में आए भूकंप से कहीं ज्यादा तीव्रता होने से गंभीर खतरा हो सकता है…आइए जानते हैं आने वाले इस विनाश के बारे में…
क्या कहती है रिसर्च…
इस रिसर्च के मुताबिक“धरती के इस हिस्से में लगातार दबाव बना हुआ है जो कि एक बड़े भूकंप को पैदा कर सकता है,जिसकी पहुंच में करीब 14 करोड़ लोग होंगे।आपको बता दे पृथ्वी के गर्भ में जब 2 प्लेट्स आपस में टकराती है तो भूकंप आता है और इस प्रकार के भूकंप को रोका भी नहीं जा सकता। देखा जाए तो प्रकृति ने समय समय पर इस प्रकार के अपने कई रूप हमारे सामने पेश किये हैं।
भारत का एक बड़ा हिस्सा आ सकता है चपेट में
आपको बता दें माइकल स्टकलर, जो की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर और जियोफिजिस्ट हैं उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि “पूर्वी भारत का एक बड़ा हिस्सा खतरनाक भूकंप की आशंकाओं से घिरा हुआ है, रिपोर्ट में जिस इलाके का जिक्र किया गया है, वो करीब 100 किलोमीटर तक फैला हुआ है और इस भूकंप का सेंटर बांग्लादेश और भारत की सीमा के नजदीक हो सकता है।
प्लेट की गति के आधर पर यह खतरनाक स्थिति बन रही है
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेश का यह एरिया काफी गरीब और बड़ी आबादी वाला है इसलिए इस स्थान पर इस भूकंप के परिणाम बहुत ज्यादा भयानक हो सकते हैं। इतना ही नहीं रिपोर्ट में जिक्र है कि जीपीएस के आधार पर किए गए अध्ययन में भूगतिविधयों यानी प्लेट की गति के आधर पर यह खतरनाक स्थिति बन रही है। भारतीय एवं यूरेशियन प्लेट की चर्चा है।
आठ भू-वैज्ञानिकों की संयुक्त रिपोर्ट
दरअसल ये भूगर्भीय गतिविधियों पर शोध के आधार पर आठ भू-वैज्ञानिकों की संयुक्त रिपोर्ट है। इनमें एल डी अर्थ आब्जर्वेटरी कोलंबिया विश्वविद्यालय के माइकल एस स्टेकलर, स्कूल ऑफ अर्थ एंड इंवायरमेंटल साइंस क्वींस कालेज सिटी के धीमान रंजन मंडल, डिपार्टमेंट ऑफ जियोलॉजी ढाका यूनिवर्सिटी के सैयद हुमायूं अख्तर, के अलावा लियोनार्डो सीबर, लुजिया फेंग,जोनाथन गेल,इम्मा एम हिल एवं माइकल होवे की रिपोर्ट है।
फिर से आ सकती है 2004 जैसी सुनामी
सैयद हुमायूं अख्तर, जो की इस रिपोर्ट के सहलेखक और ढाका यूनिवर्सिटी के जियोलोजिस्ट भी हैं ने कहा है कि ” इस भूकंप का सेंटर गंगा और ब्रहमपुत्र नदी के डेल्टा से 19 किलोमीटर धरती के नीचे हो सकता है, इस भूकंप से आस-पास का 62 हजार स्क्वायर किलोमीटर का इलाका प्रभावित होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये बिल्कुल उसी तीव्रता का होगा, जिससे साल 2004 में आई सुनामी पैदा हुई थी।
नेपाल भूकंप से दौगुना ताकतवर
इस नौ मैग्नीच्यूड के भूकंप से झारखंड जैसे समीपवर्ती राज्यों को काफी नुकसान हो सकता है। वर्मा पर भी इस भूकंप का व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। एक मैग्नीच्यूड ज्यादा यानी 32 गुणा ज्यादा ताकतवर भूकंप होता है। रिपोर्ट के अनुसार नेपाल में आए भूकंप से दो गुणा ज्यादा तीव्रता का भूकंप आने की आशंका व्यक्त की गयी है।