किशनगंज : सदर अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के बीच तय समय में सपोर्ट सर्विस भी दुरुस्त नहीं कर पाया अस्पताल प्रशासन

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने मिशन के तौर पर 60 दिनों में व्यवस्था सुधारने का जो लक्ष्य रखा था उसकी मियाद विगत सोमवार को पूरी हो गई। इन 60 दिनों में चिकित्सकों की कमी को पूरा करना तो दूर अस्पताल प्रशासन सपोर्ट सर्विस का काम भी पूरा नहीं कर पाया। छह नवंबर को राज्यस्तरीय असेसमेंट टीम ने अस्पताल का मुआयना कर मिशन-60 डेज के तहत सूचीबद्ध किए गए कार्यों को देखा, परखा, उसकी समीक्षा की एवं जरूरी सेवाओं को जल्द शुरू किए जाने का निर्देश दिया। बुधवार को भी इन सपोर्ट सर्विस के 25 प्रतिशत से अधिक कार्य शेष दिखे। अभी भी रंग रोगन का कार्य चल रहा है। देखा जाय तो सर्जरी से ही इलाज संभव है लेकिन अभी तो सिर्फ अस्पताल की ड्रेसिंग चल रही है। हालांकि अस्पताल प्रशासन अगले एक पखवाड़े में असेसमेंट टीम द्वारा दिए गए सभी प्वाइंट को दुरुस्त कर लेने का दावा कर रहा है। अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवार आलम ने कहा कि राज्य स्तरीय असेसमेंट टीम ने 11 प्वाइंट पर सुधार की आवश्यकता बताया था। जिसमे कई कार्य पूर्ण हुए। लेकिन अभी भी कई महत्वपूर्ण कार्य पूरा किया जाना बांकी है।उन्होंने कहा कि मरीजों की सुविधा के लिए में आई हेल्प यू काउंटर, डिस्प्ले बोर्ड, ड्रेसिंग रूम, इमरजेंसी मरीज के लिए अलग काउंटर, सभी जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए। लेकिन अभी भी कई कार्य बांकी है। असेसमेंट टीम के सुझाव के बाद सदर अस्पताल के भवनों का रंग रोगन, ढक्कन युक्त नालियां, दो पहिया वाहनों के लिए पार्किंग की सुविधा सहित अन्य चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करवाए जा चुके हैं। लेकिन अभी भी कई कार्य पूर्ण किया जाना है।अस्पताल अधीक्षक डॉ अनवार आलम ने चिकित्सकों की कमी को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि मिशन 60 डेज के तहत अमूल चूल परिवर्तन आएगा। बचे हुए कार्यों की रिपोर्ट बनाकर एसेसमेंट टीम को दी गयी है। 15 दिनों में बांकी बचे सभी कार्य पूर्ण कर लिए जाएंगे। जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल परिसर में पुराने पोस्टमॉर्टम जो खंडहर है उसे विनष्ट कर वहां पार्क या पेड़ पौधे, के साथ ही बड़े चारपहिया वाहनों के लिए पार्किंग स्थल बनाने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ साथ सदर अस्पताल परिसर में ही नए पोस्टमॉर्टम रूम के पीछे खाली स्पेस में बायो मेडिकल वेस्ट संग्रह के लिए स्टोर रूम बनाया जाना है। ओटी रूम सहित अस्पताल के सभी खिड़कियों का शीशा बदलना शेष है। इसके साथ अस्पताल के प्रवेश द्वार के पास आवारा पशुओं के प्रवेश को रोकने के लिए कैटल पैड की खामियों को भी दुरुस्त किया जाना है। गेट के पास अतिक्रमण की समस्या को लेकर नगर परिषद को अस्पताल प्रशासन द्वारा पत्र भेजा गया है। सदर अस्पताल में चिकित्सकों की कमी सबसे बड़ी चुनौती है। किसी भी गंभीर रोगों के इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। यहां बड़े ऑपरेशन की स्थिति में मरीज को रेफर करना मजबूरी है। सिजेरियन, हाइड्रोसिल, हर्निया का ऑपरेशन तो संभव हो भी जाता है। लेकिन बड़े ऑपरेशन के लिए सर्जन नहीं हैं। एक सर्जन हैं भी तो वे प्रशासनिक पद पर हैं। उनके पास समय की कमी है। जिससे वे भी पूरी तरह समय नहीं दे पाते हैं।
सदर अस्पताल में है डाक्टरों की कमी।
गौरतलब हो कि जिले के सदर अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित कुल 34 पद स्वीकृत है, जिसके विरुद्ध सदर अस्पताल डीएस डॉ अनवर हुसैन सहित मात्र 12 डॉक्टर कार्यरत हैं। मात्र 11 डॉक्टर द्वारा ओपीडी एवं इमरजेंसी सेवा में तैनात कर मरीजों को बेहतर सेवा देने में सदर अस्पताल जुटा हुआ है। हालांकि बीते दो वर्ष में सदर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट, डायलिसिस यूनिट, सिटी स्कैन, डिजिटल एक्स-रे, बेहतर सुविधा से लैस लेबर रूम एवं ऑपरेशन थियेटर उपलब्ध है। वहीं बीते माह से सदर अस्पताल में आरटीपीसीआर लैब भी चालू है। सदर अस्पताल में इन सुविधा उपलब्ध रहने के वावजूद डॉक्टर की कमी के वजह से समुचित चिकित्सीय सेवा से जिले के मरीजों को महरूम रहना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत सदर अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी से हो रही है। सदर अस्पताल में पदस्थापित एक मात्र सर्जन डाक्टर अनवर हुसैन अस्पताल डीएस हैं। सदर अस्पताल में सर्जरी विभाग सहित आंख सहित सभी विभाग में विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी है। वहीं हाल के दिनों में बदलते मौसम के कारण बरसात जनित बीमारियों से एक बार फिर सदर अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है। चालू सप्ताह में मरीजों की तादाद में बढ़ोतरी देखा जा रहा है।