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डीएम द्वारा लोक शिकायत के 17 मामलों की सुनवाई की गई।…

त्रिलोकी नाथ प्रसाद/लोक शिकायत निवारण में अरूचि, कार्यों में शिथिलता तथा जनहित के मामलों में संवेदनहीनता के आरोप में तीन अंचल अधिकारियों से स्पष्टीकरण किया गया

बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता; सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम
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पटना, शुक्रवार, दिनांक 11 अप्रैल, 2025ः जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में तीन लोक प्राधिकारों के विरूद्ध कार्रवाई की गई।

डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत के कुल 17 मामलों की सुनवाई की गई तथा परिवादों का निवारण किया गया। लोक शिकायत के निष्पादन में शिथिलता बरतने के कारण तीन अंचलों यथा पाटलिपुत्र, पालीगंज एवं बख्तियारपुर के अंचल अधिकारियों से स्पष्टीकरण किया गया।

* दरअसल अपीलार्थी श्री विश्वनाथ कुमार, पता-राजाबजार, अंचल-पाटलिपुत्र, अनुमंडल-पटना सदर, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। अपीलार्थी की शिकायत एक ही प्लॉट का गलत तरीके से दो जमाबंदी सृजन करने एवं दाखिल-खारिज करने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, पाटलिपुत्र द्वारा इस मामले में कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की गयी है। उनका प्रतिवेदन भी त्रुटिपूर्ण, अस्पष्ट एवं भ्रामक है। अंचल अधिकारी द्वारा जाँच पड़ताल में दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए था परन्तु उनके द्वारा परिवादी का पक्ष सुने बिना तथ्यात्मक रूप से गलत प्रतिवेदन दे दिया गया तथा मामले के समाधान हेतु कोई प्रयास ही नहीं किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने महीनों में समाधान नहीं हो सका है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पटना सदर के समक्ष दिनांक 27.09.2024 को ही परिवाद दाखिल किया गया था। लगभग छः महीना बाद भी यह परिवाद अंचल अधिकारी के स्तर पर ही लंबित है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने, भ्रामक प्रतिवेदन देने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, पाटलिपुत्र से कारण-पृच्छा की गई। साथ ही भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सदर को मामले की विस्तृत जाँच करते हुए समस्या का विधिवत समाधान करने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने दोनों पदाधिकारियों को परिवाद का नियमानुसार निवारण करते हुए सुनवाई की अगली तिथि दिनांक 09.05.2025 को कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया।

* एक दूसरे मामले में अपीलार्थी श्री सुरेश कश्यप, पता-गौरिया, अंचल-पालीगंज, अनुमंडल-पालीगंज, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। परिवाद का विषय अतिक्रमण रोकने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, पालीगंज द्वारा इस मामले में कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की गयी है। परिवादी द्वारा आज बताया गया कि इस भूमि पर केनरा बैंक का पालीगंज शाखा संचालित कर दिया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि अंचल अधिकारी द्वारा अतिक्रमण रोकने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। अंचल अधिकारी का प्रतिवेदन भी अस्पष्ट है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने महीनों में समाधान नहीं हो सका है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पालीगंज के समक्ष दिनांक 25.07.2024 को ही परिवाद दाखिल किया गया था। लगभग आठ महीना बाद भी यह परिवाद अंचल अधिकारी के स्तर पर ही लंबित है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने, अस्पष्ट प्रतिवेदन देने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, पालीगंज से कारण-पृच्छा की गई। साथ ही अनुमंडल पदाधिकारी, पालीगंज को मामले की विस्तृत जाँच करते हुए समस्या का विधिवत समाधान करने का निदेश दिया गया। अपर समाहर्ता, पटना को इस मामले में चल रहे जमाबंदी-रद्दीकरण वादों को विधिवत ढंग से शीघ्र निष्पादित करने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित पदाधिकारियों को परिवाद का नियमानुसार निवारण करते हुए सुनवाई की अगली तिथि दिनांक 03.05.2025 को कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया।

* एक अन्य मामले में अपीलार्थी श्री आनंद प्रसाद सिंह, पता-सैदपुर, करौटा, अंचल-बख्तियारपुर, अनुमंडल-बाढ़, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। अपीलार्थी की शिकायत उच्च माध्यमिक विद्यालय, हिदायतपुर, सैदपुर की भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, बख्तियारपुर द्वारा इस मामले में कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की गयी है। उनका प्रतिवेदन भी स्पष्ट नहीं है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का इतने महीनों में समाधान नहीं हो सका है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, बाढ़ के समक्ष दिनांक 03.07.2024 को ही परिवाद दाखिल किया गया था। लगभग आठ महीना बाद भी यह परिवाद अंचल अधिकारी के स्तर पर ही लंबित है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने, अस्पष्ट प्रतिवेदन देने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, बख्तियारपुर से कारण-पृच्छा की गई तथा उन्हें अतिक्रमण हटाने का निदेश दिया गया। साथ ही अनुमंडल पदाधिकारी, बाढ़ को मामले की विस्तृत जाँच करते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने तथा समस्या का विधिवत समाधान करने का निदेश दिया गया। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित पदाधिकारियों को परिवाद का नियमानुसार निवारण करते हुए सुनवाई की अगली तिथि को कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।

 

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