किशनगंज : टाइम टू डिलीवर ज़ीरो मलेरिया: इन्वेस्ट, इनोवेट, इम्प्लीमेंट की थीम पर मनाया गया विश्व मलेरिया दिवस।

विश्व मलेरिया दिवस: मलेरिया की रोकथाम, नियंत्रण व उन्मूलन के प्रति लोगों का जागरूक होना जरूरी।
- सभी स्वास्थ्य संस्थानों के साथ-साथ चिह्नित शिक्षण संस्थानों में कार्यक्रम आयोजित।
किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, मलेरिया रोग के खतरे व इससे बचाव संबंधी उपायों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस का आयोजन किया जाता है। हर साल की तरह इस बार भी विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता संबंधी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गये। इस मौके पर सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि आम जनों को जागरूक करने के उद्धेश्य से विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है।
इस साल ये दिवस ‘टाइम टू डिलीवर ज़ीरो मलेरिया: इन्वेस्ट, इनोवेट, इम्प्लीमेंट’ थीम के साथ के साथ सदर अस्पताल में मनाया गया।जिसमें सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर, एसीएमओ डॉ सुरेश प्रसाद, डीआईओ डॉ देवेन्द्र कुमार, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम , जिला वेक्टर जनित सलाहकार अविनाश रॉय उपस्थित हुए। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने कहा कि हाल के वर्षों में जिले में मलेरिया के मामलों में काफी कमी आयी है। जिले में वर्ष 2022 में कुल 09 मलेरिया रोगी एवं इस वर्ष अब तक 03 मलेरिया रोगी पाए गये हैं।
वहीं विगत वर्षों में जो मलेरिया के मामले मिले हैं, उनमें अधिकांश मरीज दिल्ली, हरियाणा, पंजाब या पूर्वोत्तर के राज्य से संबंद्ध पाये गये हैं। बीते साल कालाजार रोगी खोज अभियान के साथ मलेरिया रोगियों की खोज को लेकर जिले में विशेष अभियान संचालित किया गया। इसमें मलेरिया से जुड़े मामले काफी कम मिले। जिला वेक्टर जनित सलाहकार अविनाश रॉय ने बताया कि जिले में मलेरिया की जांच व इलाज का नि:शुल्क इंतजाम है। बावजूद इसके लोग जानकारी के अभाव में इलाज पर काफी खर्च करते हैं। प्राइवेट क्लिनिक में मलेरिया जांच के लिये 500 से 1000 रुपये चार्ज किया जाता है। वहीं जांच सभी पीएचसी, एपीएचसी, रेफरल, अनुमंडल व जिला अस्पताल में नि:शुल्क की जाती है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी संस्थानों में पर्याप्त मात्रा में मलेरिया जांच किट उपलब्ध हैं। रोग से जुड़े लक्षण होने पर लोगों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में अपनी जांच करानी चाहिये। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि जागरूकता को लेकर रोग का लक्षण छह से आठ दिन के बाद व्यक्ति में रोग के लक्षण दिखने लगते हैं। ठंड लगकर बुखार आना, बुखार ठीक होने पर पसीना आना, थकान, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पेट की परेशानी, उल्टी आना, बेहोशी, त्वचा पीला पड़ना, रोग के सामान्य लक्षण हैं। मलेरिया मादा एनोफिलीज़ मच्छरों द्वारा फैलाए गए एक तरह के परजीवी की वजह से होता है, जो ज़्यादातर शाम को या रात में काटता है। मलेरिया के पहले कुछ लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटे जाने के 7 से 18 दिनों के बाद दिखाई देते हैं। मलेरिया के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, लेकिन आमतौर पर ये तेज़ कंपकंपी और ठंड लगने के साथ शुरू होता है।
इसके बाद तेज़ बुखार और पसीना आता है। ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी जाती है। एसीएमओ डॉ सुरेश प्रसाद ने बताया की मच्छरदानी का उपयोग रोग से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है। इसके अलावा घर के आसपास जलजमाव नहीं होने देने, ठहरे हुए पानी में मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के लिये दवा का छिड़काव सहित अन्य उपायों की मदद से मलेरिया के खतरों से पूर्णत: निजात पायी जा सकती है।