बिहार विधान परिषद के सभागार में संपूर्ण क्रांति स्वर्ण जयंती समारोहआयोजित…..
सोनू कुमार /बिहार विधान परिषद के सभागार में आयोजित संपूर्ण क्रांति स्वर्ण जयंती समारोह में श्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि सम्पूर्ण क्रांति व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई थी जिसमे मानव मूल्यों को बचाने के लिए संघर्ष किया गया यह बात आने वाले पीढ़ी को जानने कि जरुरत है l जे पी ने पुरे देश में लोगो के अधिकार के लिए संघर्ष किया था, जो एक तरह से अपनी ही आजादी के लिए दूसरी लड़ाई के जैसी थी l देश के संविधान की मर्यादा को जब भी चोट पहुंचाने की कोशिश होगी तो देश के युवाओ कोआगे आकर संघर्ष करना पड़ेगा ।
समारोह में बोलते हुए सिक्किम एवं मेघयालय के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कहा कि गांधी मैदान में जब जयप्रकाश नारायण ने युवाओं का आह्वान कर कहा था, सिंहासन खाली करो की जनता आती है । जेपी का यह शंखनाद सत्ता संभालने वाले उन लोगों को बड़ी चुनौती थी, जिसे लोकनायक जय प्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति के जरिए दिया था। व्यवस्था में संपूर्ण परिवर्तन जेपी चाहते थे, लेकिन उन्हें सत्ता की कुर्सी से प्यार नहीं था । हमला चाहे जैसा होगा, हाथ हमारा नहीं उठेगा, यह संदेश छात्रों, युवाओं के लिए था ।
कुम्हरार, पटना के विधायक अरुण कुमार सिन्हा ने कहा, संपूर्ण क्रांति का लक्ष्य सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं था बल्कि हर क्षेत्र में बदलाव लाने का था। जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति को कभी इतिहास बनने नहीं दें,संपूर्ण क्रांति को हमेशा जिंदा रखें, यह दायित्व आज की युवा पीढ़ी और छात्र- नौजवानों की है।अपने कविता और गीतों के जरिए आन्दोलन को ताकत देने वाले हिन्दी प्रगति समिति बिहार के अध्यक्ष कविवर सत्यनारायण ने कहा कि जब जेपी का आंदोलन शुरू हुआ था तो फणीश्वर नाथ रेणु ने उन्हें बताया था कि हम साहित्यकारों का भी दायित्व बनता है कि उनके आंदोलन को ताकत दिया जाए । मौके पर उन्होंने 74 आन्दोलन कि अपनी कविता’- जुल्म का चक्कर,और तबाही कितने दिन ? कितने दिन ? हम पर, तुम पर सर्द सियाही कितने दिन? कितने दिन? सुनाई । कविवर सत्यनारायण की इस कविता के बाद तो पूरा माहौल ही बदल गया और वंस मोर, वंस मोर जैसे डिमांड आने लगे।
आंदोलन से जुड़ीं पूर्व विधान पार्षद किरण घई ने संपूर्ण क्रांति की उत्पत्ति और शुरुआत की कहानी विस्तार से बताइ और कहां कि सत्ता का विरोध युवा छात्र कर रहे थे, मगर वे दिशाहीन थे जिन्हें जेपी ने संभालने का काम किया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में विधायक समीर महासेठ, पूर्व उद्योग मंत्री ने कहा कि संपूर्ण क्रांति की मशाल हमेशा जलते रहना चाहिए। जो लोग मुख्य धारा में नहीं है, उन्हें मुख्य धारा में लाने का प्रयास करना चाहिए और इसके लिए आज की युवा पीढ़ी को संकल्प लेना होगा। उन्होंने बताया कि आन्दोलन में उनके घर को जलाने आये थे क्युकी उनके घर के एक हिस्से में सरकारी दफ्तर हुआ करता था ।
इस मौके पर जे पी आन्दोलन से जुड़े पूर्व केन्द्रीय मंत्री संजय पासवान, बिहार के पूर्व मंत्री विक्रम कुंवर, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल एवं कई लोगों का सम्मान किया गया I युवा पत्रकारिता से जुड़े ई टीवी के ब्रिजम पाण्डेय, दैनिक जागरण के रवि, केवल सच के संपादक ब्रजेश मिश्रा डॉक्टर रश्मि प्रसाद, प्रोफेसर मंजू सक्सेना और राजेश श्रीवास्त (दोनों जोधपुर, राजस्थान से), दिल्ली से जेठमल मेहता, मधूप जी, अरुण कुमार कमल नयन श्रीवास्तव। कार्यक्रम का प्रारम्भ डॉ नम्रता आनंद एवं रुपाली के मंगलाचरण गायन के साथ हुआ I संपूर्ण क्रांति स्वर्ण जयंती की स्मारिका ‘दर्प दलन’ (जिनमे आन्दोलन कि कुछ चर्चित कविताए है) का लोकार्पण भी गणमान्य अतिथियों के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुयश ने किया और धन्यवाद ज्ञापन इंटरनेशनल हुमन राइट्स यूनियन के महासचिव और कार्यक्रम के संयोजक संदीप स्नेह ने किया । आयोजन समिति से बिरेश कुमार सिंह, वेद प्रकाश, वंदना सिन्हा, संजीव कर्ण, सुवर्ण कुमार, निलेश कुमार, अजित कुमार यादव, अजीत कुमार, अरुण कुमार आदि उपस्थित थे I