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पंचायत चुनाव में नॉमिनेशन के साथ ही प्रत्याशी के समर्थक कबाब व शराब में डूबे चूके है और थानाध्यक्षों के नाक के नीचे से शराब व कबाव की दौर चल रहा हैं,

अनिल कुमार मिश्रा:– औरंगाबाद जिले के औरंगाबाद एवं नवीनगर प्रखंड़ में पंचायत चुनावों को लेकर नॉमिनेशन का कार्य जारी है। पुलिस कप्तान एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा संबंधित थानाध्यक्षों एवं अधिकारियों को पंचायत चुनाव के दौरान शराब पर पाबंदी का आदेश व दिशानिर्देश भी दिया गया है।

पुलिस कप्तान के कड़े आदेशों एवं निर्देशों के वावजूद भी नवीनगर एवं माली थाना में कबाब एवं शराब का दौर निर्वाधगति से चला और खुलेआम लाखों का शराब प्रत्याशियों ने नॉमिनेशन पर्ची दाखिल करने के पश्चात
आयोजित प्रीतिभोज में वितरण किया हैं ।

सूत्रो की बात मान ली जाये तो मुर्गा भात की पार्टी में प्रत्याशियों के समर्थन व चहेते पुलिस पदाधिकारी भी अच्छे क्वालिटी के शराब को चखते नजर आये। किन्तू
नॉमिनेशन पर्ची दाखिल करने के पश्चात आयोजित प्रीतिभोज में पुलिस द्वारा अच्छे क्वालिटी के शराब को चखने की पुष्टी केवल सच नहीं करता है। सूत्रों की आरोपों का पुष्टी किसी भी स्तर से अभी तक नहीं हो सका है, सच्चाई क्या है की पुष्टी हेतू प्रयास निरंतर जारी हैं

ज्ञात हों कि नवीनगर प्रखंड़ के माली थाना क्षेत्र में 11 सितम्बर 2021 को नॉमिनेशन के पश्चात प्रत्याशियों नें अपने घर पर प्रीतिभोज का आयोजन किया था, जिसमें मुर्गा -भात के अलावे भारी मात्रा में शराब भी बाटे गये है।
कहने के लिए बिहार में शराबबंदी कानून पुर्णतः लागू है और शराब भी बंद है । थाना के नाक के तले होम डिलीवरी के तहत शराब के खेप दवंग प्रत्याशी के घर पहुँच रहे हैं और इसकी जानकारी भी थाना को है। दावत के मजा चख चूके लोगों नें केवल सच को कहा राजनीतिक में सब कुछ जायेज है और नेताओं के लिए बिहार में शराब चालू है।

जन संदेश में बिहार सरकार से बुद्धिजीवियों ने मीड़िया के माध्यम से कहा है कि बिहार के जनता होने के नाते बिहार सरकार के माननीय मुखिया, मुख्य मंत्री नीतीश कुमार से एक बात कहना चाहूंगा की बिहार में पुर्णतः शराब बंद करे अथवा बिहार में शराब फिर से चालू करें। शराब बंदी कानून की विफलता से क्षेत्रिय अपराधकर्मी एवं इनके संरक्षक थानेदार माला माल हो गये और बिहार बदहाल व कंगाल हो गया है । शराब बंदी कानून थानेदार व शराब माफिया के लिए काम धेनू साबित होते आ रहे है तथा जनता इनके कुकृत्यों से त्रस्त हैं।

शराब तस्करों द्वारा होम डिलेवरी वाला काम निर्वाधगति से जारी हैं और बिहार में करोड़ो व अरबों रूपये की शराब का नष्ट करने से यह साबित हो चुका है कि बिहार के अरबों रुपए बेवजह अनैतिक धन उपार्जन की चाहत में दूसरे प्रदेशों में शराब के लिए जा रहे है जिसे शराब बिहार में आ रहे है । सरकार के आदेश पर सरकारी अधिकारी उसे नष्ट भी करते हैं ,जो बिहार सरकार के राजस्व की घटा और दूसरे प्रदेश के राजस्व को बढ़ावा है।

जन संदेश में कहा है बिहार पुलिस के कर्तब्यहिनता से लूटेरे वर्ग बिहार को और जर-जर बना दिया है। वहीं बिहार के थानेदार, प्रत्याशी एवं राजनीतिक पार्टी के नेताओ ने बिहार सरकार के शराब बंदी कानून को हाथों का खिलौना बना रखा है । खाना पुर्ती के लिए भ्रष्ट थानेदारों द्वारा यदा -कदा कमजोर लोगो को शराब बंदी कानून के तहत बली का बकरा बनाया जाता है ।
थाना अध्यक्षों के आतंक से कर्तब्य निष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों एवं समाज सेवियों को इज्जत बचाना दुसवार साबित हो रहे है और अच्छे लोग कुछ बोलने के जगह अपना ईज्जत बचाने में लगे हुए है।

फलस्वरूप पुलिस पदाधिकारियों के कर्तब्यहिनता के कारण बिहार में शराबबंदी कानून,अंधेर.नगरी चौपठ राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा कहावत को चरितार्थ कर रखा है। जिसे सरेआम अपराध बढ़ा है और शराब बंदी कानून के विफलता के प्रति थाना का हाँथ है और अतंत: मूकदमें की हकियत भी खोदा पहाड़ और निकली चुहिया की कहावत को चरितार्थ करता है।

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