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पटना : कायस्थ परिवार ने अपने अपने घरों में भगवान चित्रगुप्त जी का प्रकट उत्सव मनाया..

पटना/रणजीत कुमार सिन्हा, कायस्थ युवा मोर्चा दीघा के सदस्यों ने भगवान चित्रगुप्त जी के प्राकट्य दिवस वैशाख माह की गंगा सप्तमी पर एक संदेश देने का काम किया है।आज भगवान चित्रगुप्त का प्रकट दिवस है।सदस्यों ने यह भी बताया की भगवान चित्रगुप्त समाज एवं देश के कल्याण के लिए याद किए जाते है।इस अवसर पर कलम, दवात, पुस्तक की विशेषता का महत्व को भी समाज में बताया।चित्रगुप्त भगवान के बारे में जानकारी देते हुए कायस्थ युवा मोर्चा के सदस्य प्रशांत, आशीष, प्रतीक प्रसून, गौरव, अमन, अमित, रंजीत एवं संजीत जी ने कहा की इस पर्व पर गंगा तीर्थ स्नान और भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विशेष महत्व है।लेकिन कोरोना महामारी के कारण घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए और घर पर ही भगवान चित्रगुप्त की विशेष पूजा करनी चाहिए।

ग्रंथों के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर यमराज के सहयोगी चित्रगुप्त प्रकट हुए थे।चित्रगुप्त यमलोक में न्यायालय के लेखक माने गए हैं।

भगवान चित्रगुप्त जी के हाथों में कर्म की किताब, कलम, दवात और करवाल है।ये कुशल लेखक हैं और इनकी लेखनी से जीवों को उनके कर्मों के अनुसार न्याय मिलती है।कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि को भगवान चित्रगुप्त की पूजा का विधान है।

एक बार जब ब्रह्मा जी ध्यान लगा रहे थे तब उनके अंग से कई रंगों से चित्रित लेखनी लिए एक पुरुष उत्पन्न हुआ।इन्हीं का नाम चित्रगुप्त था।ब्रह्माजी की काया से उत्पन्न होने के कारण इन्हें कायस्थ भी कहा जाता है।चित्रगुप्त ने ब्रह्माजी से अपने कार्य के संबंध में पूछा तो उन्होंने बताया कि आपका काम यमलोक में मनुष्यों के पाप और पुण्य का लेखा तैयार करना है।उसी समय से ये यमलोक में पाप और पुण्य की गणना करते हैं।अम्बष्ट, माथुर तथा गौड़ आदि इनके बारह पुत्र हुए।

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