किशनगंज : आगामी 10 अगस्त से आयोजित होगा एमडीए कार्यक्रम
राष्ट्र स्तर पर बिहार भी अपनी भूमिका साबित करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयास में जुटा है, सूबे के 13 जिले के साथ जिले में इस वर्ष आगामी 10 अगस्त से एमडीए राउंड चलाया जाना है, जिले में 2 तरह की दवाई खिलाई जाएगी, घर-घर जाकर ही लोगों को दवाएं खिलाई जाएगी
- पहली बार बूथ निर्माण कर लोगों को दवा खिलाना सुनिश्चित किया जाना है
किशनगंज, 30 जून (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2030 से घटाकर 2027 कर देश फाइलेरिया उन्मूलन के प्रति गंभीरता एवं प्रतिबद्धता जाहिर कर चुका है। सूबे के साथ जिला भी इस दिशा में लगातार कोशिश कर रहा है। राष्ट्र स्तर पर बिहार भी अपनी भूमिका साबित करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयास में जुटा है। सूबे के 13 जिले के साथ जिले में इस वर्ष आगामी 10 अगस्त से एमडीए राउंड चलाया जाना है। जिले में 2 तरह की दवाई खिलाई जाएगी। घर-घर जाकर ही लोगों को दवाएं खिलाई जाएगी। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा० मंजर आलम ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए बताया कि पटना में आयोजित स्टेट टीओटी के माध्यम से जिले के भी प्रतिनधि को प्रशिक्षण दिया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य 10 अगस्त से आयोजित एमडीए कार्यक्रम में शत-प्रतिशत योग्य आबादी को फाइलेरिया रोधी दवा सेवन सुनिश्चित कराना है। इसके लिए जिले में शतप्रतिशत नाइट ब्लड सर्वे किया गया है। वहीं जिला एवं प्रखंड स्तरीय समन्वय बैठक, गुणवत्तापूर्ण दवा खिलाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमतावर्धन सहित ससमय सभी आवश्यक गतिविधियों का कुशल क्रियान्वयन जरूरी है। जिसमें यह प्रशिक्षण बेहद कारगर साबित होगा। उन्होंने आगामी एमडीए राउंड की सफलता के लिए सभी सहयोगी संस्था के साथ जिले के जनप्रतिनिधि, आशा, आंगनबाड़ी और जीविका दीदियों को सहयोग करने की अपील की। डा० आलम ने कहा कि एमडीए में पहली बार बूथ निर्माण कर लोगों को दवा खिलाना सुनिश्चित किया जाना है। उन्होंने कहा कि बूथ का निर्माण आगनबाड़ी, स्कूल, पंचायत, पीएचसी, सीएचसी सहित मेडिकल कॉलेज पर होगा। उन्होंने एमडीए की सफलता में बेहतर माइक्रोप्लान निर्माण, डीए (ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर) के प्रशिक्षण, हाउस एवं फिंगर मार्किंग पर विस्तार से जानकारी दी। डा० आलम ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सरकार द्वारा किया जा रहा प्रयास सराहनीय है। रोग के प्रसार को नियंत्रित करने की दिशा में हर स्तर पर जरूरी प्रयास किया जा रहा है। इसमें समुचित सहयोग हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयास से फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया दिव्यांगता फैलाने वाली विश्व की दूसरी सबसे बड़ी बीमारी है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से संक्रमित व्यक्ति को क्यूलेक्स मादा मच्छर काटती है, तो उसके शरीर में माइक्रोफाइलेरिया परजीवी पहुंच जाते हैं। यह मादा मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह भी संक्रमित हो जाता है। छह माह से दो साल के भीतर माइक्रोफाइलेरिया परजीवी परिपक्व होकर कृमि में बदल जाता और प्रजनन कर अपनी तादाद बढ़ाता है। तब संक्रमित व्यक्ति में फाइलेरिया के लक्षण दिखना शुरू होते हैं। यह परजीवी रात 9 से 2 के बीच ज्यादा सक्रिय होता है। इसलिए इसकी जांच भी रात नौ बजे के बाद ही होती है। अधिकांशत किशोरावस्था में यह संक्रमण प्रारंभ होता है। इससे उनमें कमजोरी, काम में रुचि न लेना, थकान, खेलने-कूदने में मन न लगना जैसे लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा० मंजर आलम ने कहा कि यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह फाइलेरिया होने के लक्षण हैं। तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर चिकित्सा शुरू करवाना सुनिश्चित करवाएं। मरीज नियमित रूप से बताये गए दवा का सेवन करें और अपने परिवारजनों को भी चाहे वो मरीज न भी हों तो एमडीए अभियान के दौरान डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा का सेवन जरूर करने के लिए प्रेरित करें। पांच साल तक एक बार इन दवाओं के सेवन से कोई भी व्यक्ति आजीवन फाइलेरिया के खतरे से मुक्त हो सकता है।