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किशनगंज : कायाकल्प योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए सदर अस्पताल परिसर में प्रशिक्षण शिविर का किया गया आयोजन।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की होती हैं अस्पताल को संवारने की जिम्मेदारी : अपर निर्देशक

  • विभिन्न तरह के मापदंडों के आधार पर अंकों का किया जाता है निर्धारण।
  • कायाकल्प योजनाओं में तीन सौ मापदंडों के आधार पर 70 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य।

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य केंद्रों में सभी तरह की सुख सुविधा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कायाकल्प योजना की शुरूआत 15 मई 2015 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की गई थी। जिले या राज्य सहित देश के उन तमाम स्वास्थ्य केंद्रों और जन स्वास्थ्य सुविधाओं को विशिष्ट मानकों की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग जुटा हुआ है। कायाकल्प को लेकर जल्द ही जिले के अस्पतालों का राज्य की टीम भ्रमण करने वाली है। इसी योजना को जिले के सभी अस्पतालों में धरातल पर उतारने को लेकर जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम एवं बीसीएम को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण शिविर का आयोजन बुधवार को सदर अस्पताल परिसर में किया गया। इस अवसर पर अपर निर्देशक स्वास्थ्य डॉ अशोक ने बताया की प्रशिक्षण में शामिल पदाधिकारियों और कर्मियों को कायाकल्प योजनाओं को लागू होने से पहले लगभग 400 सौ मापदंडों को पूरा करना होता है। इन्ही बिंदुओं के आधार पर स्वास्थ्य केंद्रों को 800 अंक दिए जाते हैं। इसके साथ ही 70 प्रतिशत अंक लाने के बाद ही सरकार की ओर से धन राशि उपलब्ध कराई जाती है। इस राशि की उपयोगिता अस्पताल की स्वच्छता, अस्पताल से निकलने वाले कचरे का सही इंतजाम, अस्पताल के फूलों की क्यारी एवं बिजली सहित कई अन्य में अस्पताल प्रशासन के द्वारा खर्च की जाती है। ओपीडी, ओटी समेत अस्पताल के परिसर को साफ सुथरा रखने के लिए कहा गया। कायाकल्प के जो भी 8 मानक हैं, उस पर अस्पताल को ध्यान देने के लिए कहा गया। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेन्द्र कुमार ने बताया कि अस्पताल में साफ-सफाई को लेकर तो कहा ही गया। साथ ही ब्लड स्पिल मैनेजमेंट, ग्लोविंग, मरकरी स्पिल मैनेजमेंट के साथ डॉक्यूमेंटेशन के बारे में भी बताया गया। उन्होंने बताया कि मरीजों को उचित प्रबंधन के साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए सरकार द्वारा लाई गई कायाकल्प योजना से न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा सुदृढ़ होगी, बल्कि स्वास्थ्य संस्थानों की तस्वीर में पूर्व की भांति सकारात्मक बदलाव भी होगा। इससे मरीजों को भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी। साथ में समुचित व्यवस्था के साथ लोगों को स्वास्थ्य सेवा दी जाएगी। दरअसल, स्वास्थ्य सुविधाओं में बेहतर बदलाव एवं मूलभूत सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए ही सरकार द्वारा यह योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिलेगी। साथ ही अस्पताल में स्वच्छता समेत अन्य मूलभूत सुविधाओं में सकारात्मक बदलाव होगी।अपर निर्देशक स्वास्थ्य डॉ अशोक ने बताया कि राज्य के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधाएं एवं रखरखाव सहित कई अन्य तरह की सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार की ओर से कायाकल्प योजना की शुरुआत की गई है। जिसके तहत अब जिले ही नहीं बल्कि राज्य व देश के अस्पताल संवरने लगे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में साफ-सफाई और संक्रमण रोकने के लिए किए गए प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए कायाकल्प योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत साफ-सफाई सहित अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली अन्य मूलभूत सुविधाओं का ख्याल रखा जाना है ताकि मरीजों को बेहतर प्रबंधन के साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके और मरीजों को किसी प्रकार के परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि कायाकल्प योजना के तहत स्वास्थ्य केंद्रों एवं अस्पतालों में सुविधाओं के आधार पर लगभग 250 बिदुओं पर जांच की जाती है। इनमें सात बिंदु प्रमुख होते हैं, जिसमें मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं, साफ़-सफाई, प्रबंधन, सामाजिक कार्य, मरीजों का भोजन, सैनिटेशन, हाइजीन, वेस्ट मैनेजमेंट, सपोर्ट सर्विस, इंफेक्शन कंट्रोल, हाइजीन प्रमोशन, चहारदीवारी, औषधीय गुण वाला बगीचा सहित कई अन्य बिन्दुओं पर जांच की जाती है। इन्हीं मापदंडों के आधार पर खड़ा उतरने वाले अस्पताल को अंकों का निर्धारण किया जाता हैं।

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