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किशनगंज : जिले में दो चरणों में संचालित किया जा रहा है जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा: सिविल सर्जन

सारथी रथ, परिवार नियोजन के महत्व व उपलब्ध संसाधन के प्रति लोगों को कर रहा है जागरूक, लगातार बढ़ रही जनसंख्या नियंत्रण के लिए आवश्यक है परिवार नियोजन

किशनगंज, 09 जुलाई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, गरीबी, बेराजगारी तथा महंगाई आदि जैसी समस्याओं से बचाव को जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कराया जाना जरूरी है। जिसके लिए महिलाओं के साथ पुरुषों का भी बंध्याकरण कराया जाना आवश्यक है। जिले में जनसंख्या नियंत्रण संबंधी उपायों को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से 27 जून से 31 जुलाई के बीच जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इसके पहले चरण में 27 से 10 जुलाई तक दंपति संपर्क पखवाड़ा व दूसरे चरण में 11 से 31 जुलाई तक परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा आयोजित किया जायेगा। विदित हो कि जिले के सभी प्रखंडों में सारथी रथ को जन जागरूकता के लिये रवाना किया गया है। सिविल सर्जन डा० कौशल किशोर ने रविवार को बताया कि पुरुष नसबंदी को लेकर समाज में कई तरह का भ्रम फैलाया जाता है। लेकिन इस भ्रम को तोड़ते हुए “छोटा परिवार सुखी परिवार” की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए पुरुष वर्ग को आगे आने की आवश्यकता है। इसी क्रम में जिले की सभी प्रखंडों में सारथी रथ के सहयोग से आशा कार्यकर्त्ता महिलाएं व पुरुषों में बढ़ती जनसंख्या के कारण उत्पन्न समस्याओं से बचने के प्रति जागरूकता अभियान चला  रही हैं। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि परिवार नियोजन के महत्व व इसके लिये उपलब्ध विभिन्न उपायों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से आगामी 11 जुलाई को जिले के सदर अस्पताल सहित सभी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केंद्रों पर परिवार नियोजन मेला का आयोजन किया जायेगा। इतना ही नहीं हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के स्तर पर उपलब्ध सेवाओं का लाभ उठाने के लिये रैली, परिचर्चा सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में 11 जुलाई को शहर में साइकिल रैली निकाली जायेगी। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर  ने बताया कि छोटा परिवार खुशियां अपार” संदेश के साथ बंध्याकरण में सभी आशा कर्मी, प्रखंड सामुदायिक समन्वयक एवं आशा फैसिलिटेटर सारथी रथ के साथ सहयोग कर रही हैं। उन्होंने बताया कि अनचाहे गर्भ धारण से बचाव को बन्ध्याकरण जरूरी है। यह एक मामूली तथा साधारण सी शल्य क्रिया है। पुरुषों को शल्यक्रिया के पश्चात कम से कम 48 घंटे आराम करना होता है। एक सप्ताह तक उन्हें कोई भारी सामान नहीं उठाना चाहिए। एक सप्ताह आराम के बाद ही कोई कार्य आरंभ करनी चाहिए। यदि शल्य क्रिया के बाद तेज बुखार, अधिकाधिक या लगातार रक्त स्राव, सूजन या दर्द होता हो, तो तत्काल डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए। पुरुष का बन्ध्याकरण करना सुरक्षित और आसान है। महिला नसबंदी एक स्थायी साधन है जिसे मात्र 15 मिनट में दक्ष चिकित्सक द्वारा किया जाता है। विधि प्रसव, गर्भपात के 7 दिन के अंदर या 6 सप्ताह बाद अपनाया जा सकता है। पुरुष नसबंदी भी एक स्थायी साधन है जिसे मात्र 10 मिनट में दक्ष चिकित्सक द्वारा बिना चीड-फाड़ के किया जाता है। जिसमें 1 घंटा बाद लाभार्थी की छुट्टी भी हो जाती है। यह विधि कभी भी अपनायी जा सकती एवं इससे किसी भी प्रकार की कमजोरी नहीं होती है। कॉपर-टी एक अस्थायी विधि-जिससे बच्चों के जन्म में अंतर रखा जा सकता है। कॉपर-टी विधि 10 वर्षों एवं 5 वर्षों के लिए अपनायी जा सकती है। कॉपर-टी निकलवाने के बाद प्रजनन क्षमता तुरंत वापस आ जाती है। गर्भनिरोधक गोली माला-एन एक सुरक्षित हार्मोनल गोली है जिसे महिला को एक गोली प्रतिदिन लेनी होती है। माहवारी शुरू होने के 5वें दिन से गोली की शुरुआत करनी चाहिए।स्तनपान कराने वाली महिलाओं को प्रसव के 6 माह तक इस गोली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अंतरा एवं छाया दोनों परिवार नियोजन की नवीन अस्थायी विधियाँ हैं। अंतरा एक सुई है जो तीन माह तक प्रभावी रहती है। लंबे समय तक सुरक्षा के लिए हर तीन महीने में सुई लगवानी होती है। जबकि छाया एक गोली है जिसे सप्ताह में एक बार तीन महीने तक, फिर सप्ताह में केवल एक बार जब तक बच्चा न चाहें। जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि नसबंदी कराने वाले लाभार्थी को 3000 रुपये, उत्प्रेरक को 400 रुपये, प्रसव के तुरंत बाद बंध्याकरण कराने पर लाभार्थी महिला को 3000 रुपये, उत्प्रेरक को 400 रुपये, पीपीआईयूसीडी बंध्याकरण पर लाभार्थी को 2000 रुपये, एएनएम को 150 रुपये, आशा को 150 रुपये, प्रसव पश्चात कॉपर टी लगवाने पर 300 रुपये, गर्भपात उपरांत कॉपर टी लगवाने पर लाभार्थी को 300 रुपये, अंतरा प्रति सुई लगाने पर प्रति लाभार्थी 100 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

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