विचार

-: भूकम्प :-:

पटना डेस्क /सनातन में धरती को महिला की संज्ञा दी गई हैं क्योंकि धरती एक महिला की भांति रजस्वला होती हैं और अपने गर्भ से ही, समस्त जीवों को जीवन प्रदान करती हैं। जैसे रजस्वला होने पर महिला को आराम चाहिए एवं उसे उस समय जिस शारीरिक व मानसिक पीड़ा से पीड़ित होना पड़ता हैं, ठीक वैसा ही धरती के साथ होता हैं अर्थात जो धरती हमें दिखती हैं वह शारीरिक रूप हुआ और प्रकृति हमें दिखती नहीं हैं, वह मानसिक रूप हुआ। अब धरती के इस विज्ञान को जाने बिना ही, हम लगातार उस पर भार बढ़ाते रहेंगे व वर्षभर ही उससे लगातार काम कराते रहेंगे, तो वह अपना रोष भूकम्प के रूप में प्रकट करेगी ही। धरती पर कोई भी कार्य, उसकी नाड़ी का अनुसंधान करने के बाद ही करना चाहिए, जिससे जीव व धरती, दोनों में ही सन्तुलन बना रहे। महिला या धरती दोनों ही अपने प्राकृतिक रूप में सुंदर दिखते हैं।

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