किशनगंज : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन महाकाल मंदिर में हुई मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना
या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥किशनगंज, 09 अप्रैल (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, चैत नवरात्रि के पहले दिन मंगलवार को महाकाल मंदिर सहित शहर के विभिन्न मंदिरों में धूमधाम से मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गई। भक्त सुबह से ही मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए पहुंचने लगे। इस बार नवरात्रि 9 अप्रैल से लेकर 18 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाएगी। पूजा अर्चना से पूर्व कलश स्थापित किए गए। महाकाल मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने बताया कि मां दुर्गा के पहले स्वरूप को शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवरात्रि पूजन में पहले दिन इनकी पूजा और उपासना की जाती है। इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल होता है। साथ ही माता वृषभ पर विराजमान रहती हैं। गुरु साकेत ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं। मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना करने से चंद्र दोष से मुक्ति भी मिलती है। गुरु साकेत ने कहा कि इस बार चैती नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। नवरात्रि पूजा को विधि विधान पूर्वक करना बहुत जरूरी होता है। शुभ मुहूर्त के अनुसार माता को चुनरी चढ़ा और भगवान गणेश का नाम लेकर माता की पूजा आरंभ किए। नवरात्रि ज्योति प्रज्जवलित किए। इससे घर और परिवार में शांति आने के साथ नकारात्मक उर्जा का नाश होता रहता है। फल और मिठाई का भोग लगाने के बाद माता की आरती में शामिल हुए। नवरात्रि पर महाकाल मंदिर सहित शहरी क्षेत्र स्थित विष्णु राधा मंदिर परिसर, शीतला मंदिर परिसर, लोहारपट्टी मंदिर, उत्तरपाली दुर्गा मंदिर, पश्चिमपाली दुर्गा मंदिर सहित कई मंदिरों में पूजा अर्चना शुरू हुई।