किशनगंजबिहारब्रेकिंग न्यूज़राज्य

किशनगंज : नवरात्रि के दूसरा दिन नव दुर्गा के द्वितीय स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी की होती है पूजा अर्चना

या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थितानमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि-विधान से देवी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करते हैं उनकी कुंडली में शक्ति जागृत हो जाती है। संन्यासियों के लिए इस देवी की पूजा विशेष रूप से फलदायी हैकिशनगंज, 16 अक्टूबर (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, सोमवार को नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्रि की द्वितीया पर भक्त मां नव दुर्गा के द्वितीय स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करते हैं। महाकाल मंदिर के पुरोहित गुरु साकेत ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्म का मतलब होता है तपस्या और चारिणी मतलब होता है आचरण करना। मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। यही वजह है कि उनका नाम मां ब्रह्मचारिणी पड़ा। गुरु साकेत ने बताया कि मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में माला है और देवी के बाएं हाथ में कमंडल धारण किया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो साधक विधि-विधान से देवी के इस स्वरूप की पूजा अर्चना करते हैं उनकी कुंडली में शक्ति जागृत हो जाती है। संन्यासियों के लिए इस देवी की पूजा विशेष रूप से फलदायी है। उन्होंने बताया कि नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान के बाद सफेद अथवा पीले रंग के कपड़े धारण करें। इसके बाद पूजा घर की साफ सफाई कर नवरात्रि के लिए स्थापित किए गए कलश में मां ब्रह्मचारिणी का आह्वान करें। मां को सफेद रंग की पूजन सामग्री जैसे कि मिश्री, शक्कर या पंचामृत अर्पित करें। घी का दिया जलाकर मां की प्रार्थना करें। दूध, दही, चीनी, घी और शहद का घोल बनाकर मां को स्नान करवाएं। मां की पूजा करें और उन्हें पुष्प, रोली, चन्दन और अक्षत अर्पित करें। इसके बाद बाएं हाथ से आचमन लेकर दाएं हाथ से उसे ग्रहण करें। हाथ में सुपारी और पान लेकर संकल्प लें। इसके बाद नवरात्रि के लिए स्थापित कलश और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। गुरु साकेत ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां नव दुर्गा का दूसरा स्वरुप मां ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया। जिसके फलस्वरूप यह देवी भगवान भोले नाथ की वामिनी अर्थात पत्‍‌नी बनी। जो व्यक्ति अध्यात्म और आत्मिक आनंद की कामना रखते हैं उन्हें इस देवी की पूजा से यह सब प्राप्त होता है, जो व्यक्ति भक्ति भाव और श्रद्धा से दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें सुख और आरोग्य की प्राप्ति होती है और मन प्रसन्न रहता है। उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है। गुरु साकेत ने बताया कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं। मां ब्रह्मचारिणी इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण भी इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है। विद्यार्थियों के लिए और तपस्वियों के लिए इनकी पूजा बहुत ही शुभ फलदायी होती है। जिन लोगों का स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर हो उनके लिए भी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना अत्यंत अनुकूल होती है। मां ब्रह्मचारिणी के लिए “ॐ ऐं नमः” का जाप करें। इस दिन जलीय आहार और फलाहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button