किशनगंज : विश्व अस्थमा दिवस: “अस्थमा की देखभाल हम सभी के लिए जरूरी” थीम को लेकर मनाया गया अस्थमा दिवस।

मरीज़ों को ताज़ी, खुली एवं स्वच्छ हवा में अधिक समय व्यतीत करना चाहिए: सिविल सर्जन
- बीमारियों से बचाव एवं सुरक्षित रखने में चिकित्सकों की भूमिका सराहनीय।
किशनगंज, 02 मई (के.स.)। धर्मेन्द्र सिंह, पूरे विश्व के लोगों तक अस्थमा से जुड़ी हुई जानकारियों को पहुंचाने एवं बीमारियों से संबंधित बचाव एवं सुरक्षित रहने को लेकर उन्हें जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष मई महीने के प्रथम मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। दरअसल अस्थमा बीमारी को ठीक तो नहीं किया जा सकता, बल्कि अस्थमा के दौरे को उपचार के माध्यम से काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है। विश्व अस्थमा दिवस के दिन हीं नहीं बल्कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों के ओपीडी में इलाज़ कराने के लिए आए लोगों को सांस की बीमारी को लेकर जागरूक करने की आवश्यकता होती है।
क्योंकि आए दिन शहर में प्रदूषण की समस्याओं से जूझना पड़ता है। लिहाज़ा अनिवार्य रूप से मास्क का प्रयोग या चेहरे को ढंकने के बाद ही घर से बाहर निकलना चाहिए। ताकि कई प्रकार की बीमारियों से बचाव एवं सुरक्षित रहते हुए अपना या अपने परिवार की सुरक्षा की जा सके। अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो हमलोगों के फेफड़ों पर आक्रमण कर श्वसन प्रणाली को बुरी तरह से प्रभावित कर देती। मंगलवार को सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि ऐसे में अस्थमा के मरीजों की सहायता करना हम सभी की जिम्मेदारी होनी चाहिए।
द ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) के द्वारा इस वर्ष विश्व अस्थमा दिवस की थीम “अस्थमा की देखभाल सभी के लिए है” रखी गई है। क्योंकि अस्थमा लंबे समय तक चलने वाली सूजन से संबंधित बीमारियों में शुमार है। जो फेफड़ों के वायुमार्ग को प्रभावित करती है। अधिकांश अस्थमा के मरीज दवा तो खाते हैं लेकिन नियमित रूप से दवा का सेवन नहीं करने से कई प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। चिकित्सकों द्वारा उचित सलाह एवं उपचार करने से बीमारी से बचाव एवं सुरक्षित रहने में कोई कठिनाई नहीं होती है। अस्थमा के मरीजों को धूल, धुआं, परागकणों से बचने के साथ ही भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से पूरी तरह से बचना चाहिए। अस्थमा से पीड़ित मरीजों को अधिकांश समय खुली और ताजी हवा में व्यतीत करना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में रोशनी के साथ ही शुद्ध एवं ताजा पेयजल पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए। हल्के एवं सुपाच्य भोजन ग्रहण करने से सांस लेने में परेशानी नहीं होती है। सबसे अहम बात यह है कि अस्थमा के मरीजों को धीरे-धीरे एवं खूब चबाकर भोजन करना चाहिए। ऐसे मरीज़ों को दिन में कम से कम आठ से दस बार अनिवार्य रूप से पानी पीना चाहिए। अस्थमा के मरीज गरिष्ठ भोजन, तले हुए पदार्थ, अधिक मीठा, ठंडा पानी, दही का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही अस्थमा के रोगियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए।
कोल्ड ड्रिंक के सेवन का परहेज करने से अपने आपको बचाव एवं सुरक्षित महसूस कर सकते हैं। अस्थमा के मरीज़ों को दिन में 8 से 10 ग्लास पानी जरूर पीना चाहिए। दमा के रोगी को हल्का भोजन करना चाहिए। नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। ताजे और स्वच्छ पानी का भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए। दमा के मरीज़ों को इन्हेलर अपने साथ रखना चाहिए। धूल, मिट्टी और एलर्जी पैदा करने वाले कीटाणुओं से खुद का बचाव करना चाहिए। अस्थमा के मरीज को खुली और ताजी हवा में अधिक से अधिक समय व्यतीत करना चाहिए।