विश्व एनटीडी दिवस विशेष : एनटीडी रोग में शामिल हैं 20 बीमारियां

किशनगंज/धर्मेन्द्र सिंह, कालाजार और फाइलेरिया जैसी परजीवी रोगों समेत भारत में कम-से-कम 20 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग मौजूद हैं। जिससे देश भर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं। इनमें प्रायः अधिकतर लोग गरीब एवं संवेदनशील वर्ग से होते हैं। आज विश्व में हर पांच में से एक व्यक्ति एनटीडी रोगों से पीड़ित है। दुनिया में इन 11 बीमारियों का भारी बोझ भारत पर भी है। इन रोगों से रोगी में दुर्बलता तो आती ही है, कई स्थितियों में ये पीड़ित व्यक्ति की मौत का कारण भी बनती हैं। 30 जनवरी, 2021 को विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (एनटीडी) दिवस के रूप में चिह्नित किया गया है। दुनिया में सबसे ज्यादा हाशिए पर रहने वाले समुदायों के जीवन में कष्ट लाने वाली इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के रूप में यह दिन मनाया जाता है। साथ ही इन उपेक्षित उष्णकटिबंधीय बीमारियों को समाप्त करने के लिए वैश्विक समुदाय की प्रतिबद्धता को भी यह दिन उजागर करता है। जिले के जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डी.भी.बी.डी.सी.ओ.) डॉ मंजर आलम ने रविवार को बताया कि किसी व्यक्ति ने कालाजार का इलाज पूर्व में कराया हो फिर भी उन में बुखार के साथ कालाजार के लक्षण पाये जाएं तो उन्हें आरके-39 किट से जॉच न करते हुए बोन मैरॉव या स्पिलीन जॉच के लिए आशा द्वारा उन मरीजों को सदर अस्पताल रेफर किया जाय तथा उनके नाम की प्रविष्टी रेफरल पर्ची में की जायेगी। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार न हो लेकिन उनके शरीर के चमड़े पर चकता अथवा दाग हो किन्तु उसमें सूनापन न हो तथा वे पूर्व में कालाजार से पीड़ित रहे हो, वैसे व्यक्तियों को भी आरके-39 किट से जाँच हेतु प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को रेफर किया जाता है। कालाजार मरीजों के इलाज की सुविधा जिले के सभी पीएचसी में नि:शुल्क उपलब्ध है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी उन्होंने दी। सिविल सर्जन डॉ कौशल किशोर ने बताया कि 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं। डॉ मंजर आलम ने बताया कि फाइलेरिया एवम् कालाजार सहित एनटीडी की सूची में शामिल सभी 20 रोगों की जानकारी एवं जागरूकता होना बहुत जरूरी है। इसमें कई ऐसे रोग शामिल हैं जिसमें जान तो नहीं जाती, लेकिन जिंदा आदमी को मृत के समान बना देती है। फाइलेरिया भी ऐसी ही एक बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। फाइलेरिया के प्रमुख लक्षण हाथ या पैर या हाइड्रोसिल में सूजन का होना होता है। बताया कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली एक गंभीर बीमारी है। अगर समय पर फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द इलाज शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों में इसको लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है। इसलिए लोग अपने घर के आस-पास गंदा पानी नहीं जमा होने दे एवं सोते समय मच्छरदानी रोजाना उपयोग करें।